आजादी - 41 ( समापन किश्त )

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विनोद की मनुहार से आनंदित दरोगा दयाल ने आगे कहना शुरू किया ” विनोद जी ! सबसे पहले तो मैं आपको मुबारकबाद देना चाहुंगा कि भगवान ने आपके इस होनहार बेटे को आप तक सही सलामत पहुंचा दिया । इसी विषय में मेरा आपसे यह कहना है कि एक संतान की जुदाई का दर्द आप अनुभव कर चुके हैं और हम चाहेंगे कि आपके इस होनहार बेटे की मदद से हम कुछ और पालकों के अधरों पर मुस्कान ले आयें । हमें अब राहुल के मदद की दरकार है और हमें पूरी उम्मीद है कि आप मना नहीं करेंगे ।