इस बरस के आम

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चलो शुक्र है पापा घर आ गए, अब उनसे मिलने अस्पताल नहीं जाना होगा.....बहुत कष्ट झेला है वेंटिलेटर पर उन्होंने....उफ्फ...!! सारे शरीर पर इंजेक्शन ही इंजेक्शन.....वैसे वेंटिलेटर से बाहर आना भी भाग्य की बात है वो भी अस्सी की उम्र में.... सुशीला अपने आप से बातें करते-करते घर का काम निबटा रही थी। विद्यासागर जी उसके पति अभी ऑफिस जा रहे थे। सुशीला ने कहा, ’’सुनिए आज ऑफिस से सीधे अस्पताल नहीं आइएगा, भैया का फ़ोन आया था, पापा आज डिस्चार्ज हो जाएंगें, हम लोग शाम को घर ही चलेंगे। ’’अच्छा!! उनकी हालत में सुधार तो है ना....!! कहीं तुम्हारे