गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 91

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जीवन सूत्र 154 आखिर श्रेयस्कर है ईश्वर का ही मार्गभगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है:-ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः।।4/11।।इसका अर्थ है, हे अर्जुन!जो मुझे जैसे भजते हैं, मैं उन पर वैसे ही कृपा करता हूँ; सभी मनुष्य सब प्रकार से,मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।जीवन सूत्र 155 भगवान कृपा में नहीं करते भेदभाव ,मनुष्य ने बनाई है दीवारें भगवान के दरबार में उनकी कृपा को लेकर कोई भेदभाव नहीं है। जिनके दृष्टि में भगवान एकमात्र सहारा हैं तो भगवान उसी तरह उनकी मदद करते हैं। मीरा के लिए "मेरे तो गिरधर गोपाल