काव्यजीत - 2

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एक रिश्ता पाकीजा साहां उससे बात करना अच्छा लगता हैइस मतलबी दुनियां में साथ उसका सच्चा लगता हैहां उससे है जरा ज्यादा सा लगावक्योंकि वो समझता है मेरे मन के भावहां उसके बिन अब हर बात लगती है अधूरीमगर क्या इसे प्यार का नाम देना ही है जरूरीएहसासों का उससे है नातालगाव सा है उससे मन को उसका साथ भी है भाताहां मगर है ये रिश्ताप्यार से जरा है कमदोस्ती से थोड़ा ज्यादाबेमतलब सा और बड़ा हो सादाहै पाकीज़ा ये बंधन पावन साजैसे बारिश की बूंदों और सावन साजज्बातों के इस रिश्ते को कोई नाम न दोनाम का इसे कोई