वो माया है.... - 92

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(92) बद्रीनाथ बाहर से लौटकर आए थे। थके हुए थे। आजकल वह बिना कुछ किए भी थके हुए लगते थे। इस समय तो बाहर से आए थे इसलिए सचमुच थक गए थे। वह आंगन में पड़ी चारपाई पर बैठ गए। उमा ने उन्हें पानी लाकर दिया। उन्होंने पानी पीकर गिलास वापस कर दिया। उनके आने की आहट पाकर किशोरी भी आंगन में आ गई थीं। वह उनके पास ही चारपाई पर बैठ गईं। उन्होंने कहा,"बद्री.....विशाल से मुलाकात हुई। क्या कहा उसने ?"उमा भी जानने को उत्सुक थीं कि विशाल ने क्या कहा। बद्रीनाथ कुछ देर चुप रहने के बाद बोले,"उसने