में और मेरे अहसास - 95

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सर्दी के दिन अपना रंग दिखाने लगे हैं l लोग घरों में बंध रह दिन बिताने लगे हैं ll   सारे बदन को ठंडा किया बेदर्दी मौसम ने l ठिठुरते है फ़िर भी साथ निभाने लगे हैं ll   सूरज आंख मिचोली खेले परेशान हैं लोग l ऊनी स्वेटर, मफ़लर पहनो सिखाने लगे हैं ll    हाथ और पैर ठिठुर गये हैं ठंड की वजह से l जहां देखो वहां गर्म चाय को पिलाने लगे हैं ll   बाहिर ठंडी घर में भी ठंडी जैसे हो कोहराम l सर्दी के दिन भैया भीतर से हिलाने लगे हैं ll १६-१-२०२४