द्रोहकाल जाग उठा शैतान - 30

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एपिसोड 30जैसे ही पहाड़ की चोटी से सूर्य का चमकीला केसरिया रंग का आधा हिस्सा धीरे-धीरे नीचे की ओर खींचा गया जैसे कि उसे दलदल में खींच लिया गया हो, इस धरती पर अंधेरा छाने लगा। अँधेरा होते ही आसमान से काले कौवे (क्यों, क्यों, क्यों) चिल्लाते हुए अपने घरों की ओर जाने लगे और चमगादड़ बाहर घूमने लगे। चूंकि जनवरी की शुरुआत थी, इसलिए कोहरे का प्रकोप कुछ पहले ही बढ़ गया था। आज! रहजगढ़ के जंगल में एक बड़े बैंगनी हरे पेड़ पर एक टिटवी अपनी टि्व-टिव आवाज में चहचहा रही थी। उसकी पीली आंखें आगे की ओर