में और मेरे अहसास - 98

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मन्नत के धागों से ख़ुदा को मनाना छोड़ दिया l अपने और अपनों के लिए सताना छोड़ दिया ll   अँधेरों से न घबराना, किसीसे आश भी नहीं रखते l छोटी छोटी बातों को दिलसे लगाना छोड़ दिया ll   बेवजह सोच के परेशान नहीं रहना ओ करना l रूठे हुए को मनाके प्यार को जताना छोड़ दिया ll   एकतरफ़ा बेनामी रिश्तों को निभाते नहीं रहेना l  हर लम्हा हर पल की खबरें बताना छोड़ दिया ll   लोगों को खुश रखने की नाकाम कोशिश करके l आज़माके समझाने के साथ ज़माना छोड़ दिया ll १-३-२०२४    फागुन