भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 17

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एपिसोड १७ काळा जादू : अंत "ए. भंचो××××नहीं , यह सब बंद करो वरना....! हीही, हीही..!" अंदर चीखना-चिल्लाना, हंसना और कभी-कभी गंदे शब्दों का प्रयोग करना, उपद्रव मचाना, कभी खिड़कियों को खटखटाने और कभी बाहर से दरवाजा पटकने की आवाज अब असहनीय हो रही थी, कि यह वही है। दरवाज़ा ज़ोर से पीटने की आवाज़ आ रही थी, दरवाज़े के छोटे-छोटे लकड़ी के टुकड़े टूट रहे थे, जगदीशराव का मंत्र अभी भी चल रहा था, लेकिन विलासराव रामचन्द्र की नज़रें दरवाज़े के बाहर ही टिकी थीं।, बहुत धीरे-धीरे धुंध छंट रही थी, जा रही थी, तभी अचानक रोल प्ले हुआ