हथकड़ी

  • 1.1k
  • 387

जिंदगी किस मोड़ पर कैसे और कब बदल जाए ये कह नही सकते, ऐसा ही कुछ राजपुरोहित जी के साथ हुआ। हीरालाल जी बहुत ही संपन्न और प्रतिष्ठित कारोबारी थे। हर ओर उनकी प्रतिष्ठा, वैभवता की ख्याति थी। जन्म से ब्राह्मण पर विचारो और गुणों से महाजन प्रतीत होते थे, समय के साथ परिवर्तन होते रहना चाहिए किंतु कभी कभी परिवर्तन की अनदेखी भी करनी चाहिए ये उनका मूल मंत्र था।हीरालाल जी के दो पुत्र थे, परंतु उनके कोई पुत्री नही थी इस बात का सदैव वह अफसोस जताया करते थे।एक माह पूर्व की बात है हीरालाल जी किसी कार्य