ये तुम्हारी मेरी बातें - 7

  • 945
  • 345

"बुरा मत मानना प्रतिमा, लेकिन तुम्हारे पति तुमसे भी ज़्यादा अच्छी चाय बनाते हैं।" शुक्लाइन ने तारीफ रूपी तंज कसते हुए कहा।चेहरे पर सामान्य मुस्कुराहट बनाए रखते हुए प्रतिमा बोली" इसमें बुरा मानने जैसी क्या बात है। ये तो मेरा सौभाग्य है कि वकील साहब के रूप में मुझे इतना अच्छा जीवन साथी मिला है जो इस बात तक का ध्यान रखते हैं की मुझे किस वक्त कौन सी चाय पीनी पसंद है। अब हर कोई इतना भाग्यशाली कहां ही हुआ करता है, है ना शुक्लाईन भाभी!"प्रतिमा की बात खतम भी नहीं हुई थी और शुक्लाइनने चुनौती स्वीकारते हुए हामी