दोहा - कहें सुधीर कविराय

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दोहा - कहें कविराय सुधीर ********युवा, नशा, नाश, अंजान, तन******युवा नशे में चूर हैं, अभी न उनको ज्ञान।नशा नाश उनका करे, इससे वो अंजान।।*****धन, धनिक, धनवान, कुबेर, पाखंड********धन का तुझे गुरुर क्यों, और धनिक भी लोग।कूछ धन तू भी पा गया, शायद ये संयोग ।। धनिक न होते लोग वे, जो धन से धनवान।कहते उनको सब धनिक, जिस तन नही हो मान।। धनिक उसे ही मानते, जिनको नहीं घमंड।धन कुबेर उनको नहीं, जो करते पाखंड।।******आदि,अंत******आदि अंत को भूल जा, कर तू अपना काम।सत्य मार्ग तू चल सदा, चमकेगा तव नाम।।******परीक्षा, परिधान*******भागोगे कब तक भला,छुडा परीक्षा जान।पास फेल हरपल सदा, जीवन