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हरम सुलतान

जहाँ पर आज वर्तमान देश तुर्की है वहाँ कभी ओटोमन साम्राज्य हुआ करता था।ओटोमन तुर्क राजाओं में सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली राजा सुलेमान हुआ है।सुलेमान को उसकी ताक़त और प्रसिद्धि की वजह से इतिहासकारों ने उसे सुलेमान द मैग्नीफेसेन्ट के नाम से पुकारा है।इसी सुलेमान की प्रमुख रानी थी हरम सुल्तान!हरम सुल्तान एक क्रीत दासी थी जो दासी की मामूली स्थिति से उबरकर बड़ी चालाकी और होशियारी से सुलेमान की प्रमुख रानी बन बैठी।निःसंदेह उसमें उसकी सुंदरता का भी विशेष योगदान था लेकिन राजाओं के हरम में प्रवेश पा लेने वाली दासियां भी कोई कम सुंदरी नहीं होती।उसका उत्थान अद्भुत और आश्चर्यजनक था।हरम सुल्तान के सौंदर्य और उसकी लोकप्रियता ने साहित्यकारों और इतिहासकारों का बराबर ध्यान आकर्षित किया है।हरम सुल्तान के जीवन पर कई उपन्यास,नाटक लिखे गए हैंऔर टी वी सीरियल बनाए गए हैं जो बेहद लोकप्रिय रहे हैं।
हरम सुलतान का जन्म रुथेनिया में हुआ था इसलिए उसे रोक्सेलना भी कहा जाता है।रुथेनिया उस समय पोलैंड राज्य का पूर्वी भाग था,आजकल यह भूभाग यूक्रेन देश में पड़ता है।उन दिनों क्रीमिया के तातार कबीले पूर्वी यूरोप के देशों में छापेमारी करके लड़कों- लड़कियों का अपहरण करके ले जाते थे और उन्हें दास-दासी बनाकर ओटोमन साम्राज्य के इलाक़े में बेच देते थे।ठीक इसी तरह किस्मत की मारी हरम सुलतान भी ओटोमन साम्राज्य तुर्की की राजधानी इस्ताम्बुल पहुँच गई।वह कैसे राजा के हरम में दासी के तौर पर प्रविष्ट हुई इसके बारे में इतिहासकारों के क़यास हैं जिन्हें साहित्यकारों ने कल्पना के पंख लगाकर सुंदर रूप दे दिया है।हरम के जीवन और घटनाओं पर आजकल एक टी वी सीरियल तुर्की में बड़ा लोकप्रिय है।इसका अंग्रेजी एडिशन' मैगनीफेसेंट एरा' यूरोप में बहुत पसंद किया जा रहा है।
सुलतान सुलेमान को वह इतनी अधिक भा गई कि सुलतान ने ओटोमन परंपरा को तोड़कर उससे न केवल विवाह किया बल्कि उसे प्रमुख रानी का दर्ज़ा भी दिया।इससे पहले सुलतान केवल राजपरिवारों और भद्र परिवारों की लड़कियों को ही पत्नी बनाते थे।वह पहली शाही रखैल थी जो महारानी और साम्राज्ञी बनी।हरम सुलतान ताउम्र साम्राज्ञी के पद पर बनी रही।उसने सुलतान को छह संतानें उत्पन्न करके दी।उसकी संतानों में से एक सलीम द्वितीय अगला सुलतान बना।सलीम द्वितीय के बाद सुलतान बना मुराद तृतीय भी हरम सुलतान का ही पोता था।
हरम के पास इतनी अधिक शक्ति संचित हो गई थी कि वह ओटोमन साम्राज्य की राजनीति को प्रभावित करने लगी थी। हालाँकि उसकी शक्ति उसके पति और सुलतान सुलेमान के कारण ही थी और सुलतान की इच्छा के विरुद्ध उसका कोई अस्तित्व नहीं था इसके बावजूद यह माना जाता है कि उसका ओटोमन साम्राज्य के मामलों में पूरा-पूरा दखल था और कई मामलों में वह अपनी व्यक्तिगत छाप छोड़ने में सफल रही।वह सम्राट के शयनकक्ष की साथी ही नहीं बल्कि दरबार में भी महत्वपूर्ण सलाहकार थी।उसने सलाहकार के तौर पर पोलैंड के राजा को पत्र लिखे।उसने सार्वजनिक कार्यों में रुचि ली और जनता के प्रयोग के लिए हस्की सुलतान काम्प्लेक्स और हस्की सुलतान हमाम बनवाए।
रोक्सेलना जिसे ओटोमन तुर्की के योग
लोग हरम सुलतान के नाम से जानते थे जब सुलेमान सम्राट के हरम में प्रविष्ट हुई तब उसकी आयु लगभग पन्द्रह वर्ष होगी।हालाँकि यह अंदाजा ही है।सही आयु कोई नहीं जानता।लेकिन इतिहासकारों का अनुमान है कि सुलेमान के राजा बनने के वर्ष यानि कि वर्ष 1520 के आसपास ही वह सुलेमान की रखैल और दासी बन चुकी थी।
हरम का रखैल और दासी के अपमानजनक और अति निचले स्तर से सुलतान की वैध पत्नी और प्रमुख रानी बनने का सफ़र जहाँ अद्भुत था वहीं यह महल के अन्य निवासियों,रानियों,रखैलों की ईर्ष्या का विषय था।यहाँ तक कि ओटोमन साम्राज्य की सामान्य जनता भी इसे ईर्ष्या मिश्रित भर्त्सना से देखती थी।उसे सुलतान की एक अन्य रानी महिदेवरन से प्रतियोगिता करनी पड़ी।न केवल प्रतियोगिता बल्कि उसके द्वारा महल में रची गई साजिशों से भी पार पाना पड़ा।सलीम द्वितीय को छोड़कर उसके बाकी पाँच बच्चों के जन्म के वर्षों के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी इतिहास में उपलब्ध नहीं होती।
हरम सुलतान का नाम उसके परिवार ने क्या रखा था यह कोई नहीं जानता।फिर भी कहानियों में उन्हें एलेक्सांद्रा के नाम से पुकारा जाता रहा है। ओटोमन लोग हमेशा से उन्हें हस्की हरम सुलतान के नाम से याद करते हैं।फ़ारसी भाषा में हरम या खुर्रम का अर्थ खुशमिज़ाज है।
इतिहास में नज़र डालें तो हरम सुलतान या हस्की हरम सुलतान या अलेक्सांद्रा पोलिश साम्राज्य के एक भूभाग रुथेनिया में पैदा हुई थी।वह वीव शहर से 68 किलोमीटर या 42 मील दूर रोहटेन नाम के छोटे से क़स्बे में पैदा हुई।पोलिश कवि सैमुएल वरदोवस्की के अनुसार हरम के पिता का नाम संभवतः लिसोवस्की था।लिसोवस्की एक ऑर्थोडॉक्स प्रीस्ट था जो रुथेनियन मूल का था।सन 1510 में क्रीमियन तातारों ने उसे अपहृत कर लिया।पहले वे उसे क्रीमिया के कफ़्फ़ा शहर में ले गए।कफ़्फ़ा उस समय दास व्यापार का एक बड़ा केंद्र था।वहाँ से हरम इस्ताम्बुल ले जाई गई।सुलेमान की माँ वालिदे हफ़सा सुलतान ने उसे अपने पुत्र की दासी बनाने के लिए खरीद लिया।हरम धीरे धीरे सुलतान की क्रीत दासी से ख़ास रखैल बन गई।सोलहवीं शताब्दी के इतिहासकार मिशेलो लिटानुस लिखते हैं कि तुर्की के बादशाह की सबसे प्रिय पत्नी और होने वाले बादशाह को जन्म देने वाली माँ के रूप में वह छोटी सी कन्या से तेज दिमाग़, मौके का फ़ायदा उठाने वाली साजिशी सुंदरी के रूप में परिवर्तित हो गई।
हरम के बच्चों में से एक भविष्य में बादशाह बना।हरम का पोता भी बादशाह बना।पढ़ने-सुनने में यह जितना आसान लगता है वास्तव में यह उतना ही मुश्किल था।हरम और दरबार की साजिशों के बीच अपना रुतबा और दबदबा क़ायम रखना और अपनी संतानों के लिए सल्तनत की सत्ता फिसलन भरी सीढियां सुरक्षित करना उसके लिए टेढ़ी खीर रहा होगा।
हरम की पाँच संताने महमूद,मिहिरमा,अब्दुल्ला,सलीम और बाजिद पाँच वर्षों के अंतराल में पैदा हुए।छटा जहांगीर जिसकी पीठ पर जन्मजात कूबड़ था बाद में पैदा हुआ।लेकिन हरम ने सल्तनत की राजगद्दी के लिए चार स्वस्थ उत्तराधिकारी पहले ही पैदा कर दिए थे।
हरम को उसका यह नाम उसके स्वभाव की खुशमिजाजी की वजह से मिला था।लेकिन अपनी खुशमिजाजी के बावजूद उसकी पहली रानी महीदेवरन से नहीं निभी।जैसे जैसे वह सुलेमान की नजरों में चढ़ती गई वैसे वैसे ही महीदेवरन की निगाहों की ईर्ष्या और नफ़रत की वजह बनती गई।
हरम को एक पुत्र से अधिक पैदा करने की अनुमति मिली जो कि सुलतान की रखैलों को नहीं मिलती थी।सुलतान की रखैलें एक पुत्र की माँ ही बन सकती थी।
उस समय ऐसा बेतुका नियम शायद रखैलों का सुलतान पर प्रभाव सीमित करने और सत्ता के खूनी संघर्ष के लिए कम प्रतियोगी पैदा करना रहा होगा।
1520 में सुलतान सुलेमान और हरम का मिलन हुआ और 1521 में महमूद उत्पन्न हुआ।1543 में महमूद की मृत्यु हो गई।
पाँच पुत्रों की माँ का राजनैतिक कद बढ़ रहा था जो हरम में झगड़ों की वजह बन रहा था।सुलेमान की माँ हफ़सा सुलतान ने इन नित्यप्रति के झगड़ों को बहुत हद तक नियंत्रण में रखा।
[13/01, 20:10] Satish Sardana: बतनदो नेवागरो लिखते हैं कि जबरदस्त रंजिश के चलते महिदेवरन ने हरम को पीट दिया या पिटवा दिया था।इस पिटाई की ख़बर जब सुलेमान को लगी वह गुस्से से भर गया और उसने महिदेवरन को अपने महल से निकालकर पुराने महल में भेज दिया।तुर्की इतिहासकार नेसडेट स्कागलु इस घटना को महज़ एक कोरी गप्प मानती हैं।1533 या 1534 में सुलेमान ने हरम से विवाह किया।यह विवाह समारोह तुर्की ओटोमन साम्राज्य के वैभव के अनुरूप ही भव्य था।पहले कभी किसी क्रीत दासी को विवाहित रानी का दर्ज़ा नहीं मिला था।हरम को अब हस्की सुलतान का ओहदा मिल गया था।यह ओहदा पाने वाली वह पहली दासी थी।यह ओहदा एक सौ साल तक तुर्की के इतिहास में दासी रानियों को शान और ताक़त दिलवाता रहा है।
बेशक़ ये रानियाँ कभी ख़रीदी गई बांदी या लौंडी थी बाद में राजा की रखैल बनी लेकिन इनका दर्जा आज़ाद राजकुमारियों और ऊँचे घराने की रानियों को टक्कर देता था।
वे अपनी संतानों को गद्दी पर बिठवाकर न केवल सुलतान बनवा सकने में सक्षम साबित हुई बल्कि अपनी संतानों के पीछे दरबार में बैठकर ओटोमन साम्राज्य को दिशा देती रही।
ऐसी रानियों का सम्मान यूरोप के शक्तिशाली साम्राज्यों की रानियों से कहीं भी कम न था।
सुलेमान ने हरम से विवाह करके दासियों को रानी बनाने की जो प्रथा आरंभ की उसने बाद के सुल्तानों के लिए एक उदाहरण का काम किया।हरम को शाही ख़ज़ाने से 2000 सिक्के रोज़ाना वेतन मिलता था जिससे उसके सत्ता पर प्रभाव का पता चलता है।