Helpless father.... books and stories free download online pdf in English

लाचार बाप....

ये कहानी लिखते समय मेरी आखों में
सिर्फ़ आसू थे... हिम्मत हो ही नही रही थी...

Lotus.👌

एक बेबस बाप खुदकुशी से पहले अपनी बेटी से
खत के ज़रिए कुछ कह जाता हैं
दफन थी वो इस सीने में दर्द मै अपने खोलूंगा
इस खत के ज़रिए अंतिम दफा में सारी बातें बोलूंगा
घर कुटुंब सगे संबंधी गांव ज्वार सब त्याग गई
मर्यादा को लाग के किसके संग तू भाग गई
यह कदम उठाते तुझे थोड़ी सी लज्जा नही आई किस जन्म मे मेने पाप किए इस जन्म में सजा पाई
क्या कमी रही परवरिश में मेरी रानी की तरह तो पाला था लोगो का कहना है यहां बस यही गलती कर डाला था उस घर के बारे मे सोचो जहा बेटी को मारा जाता हैं सम्मान सिसकियां भरता है अभिमान खड़ा मुस्कुराता है कैसे भाई के सम्मूख आयेगी जो ज़िद पे एड जाता था तेरी खुशियों के खातिर वो मुझसे भी लड़ जाता था मेरे साथ मे क्या अनर्थ हुआ किस को व्रतात सुनाऊं मैं जीवन अब यकिस अर्थ रहे जग को क्या मुख दिखाऊ मे थे लोग वही थी सभा वही पर मे न अब उस लायक जिस सभा मे कभी में भी सम्मान स्वाभिमान का परिचायक था अपने लोगो के कष्ट दाई बातो से बच कर चलता हु कोई पूछ न ले तेरे बारे मे इस बात से ही डरता हूं मेरी भी एक खुवाहिश थी कन्यादान तुम्हारा करना था बाबुल का घर जब छोड़ो तू म कुछ दूर संग ही तो चलना था उन सारे अधूरे खुवाबों को जिंदा गाड़ दिया जग बैरन को तो जीत लिया बस अपनो से हर गया जिस पल तुम गई हो उस रात से में न सोया हु
अंधियारे एक कमरे में फुट फुटकर रोता हूं जाते समय मुख न देखी मरने पर तो आ जाना पिता के लिए पुत्री का जो धर्म है निबा जाना जहा भी रहो खुश रहना आखिर में दुआ में देता हूं दुःख अब सहन नही होता अंतिम विदा में लेता हु गर अगले जन्म में मनुज मिले रोम रोम दुहाई देती हो चाहे दुख लाखो दे मुझको पर अगले जन्म ना बेटी दे
इस मार्मिक शब्दो के साथ पिता अपने सारे अपमान के विष को एक घुट में पी गया...
इस दुनिया से रुखसत हो गया


मेरा इतना ही कहना है सभी से हालत चाहे जो हो कभी बाप का सर न झुके एसी परिस्थिति ना बने की बाप को सरमिंदा होना पड़े उसने भी तुम्हारा भला भी सोचा है तो इस बात का सम्मान करना चाइए जब मेरे लिखने पर ही मेरी आंखे भर आई तो आप लोग पढ़ोगे तो क्या होगा तो दोस्तो जरूर पढ़े खास कर हमारी प्यारी बहने भी माना कि यह दौर अलग है मगर अपनी सोच हमे खुद बदलनी है कोई तुम्हे समझाने नही आयेगा पापा की परी हो तो परी बन कर ही रही मगर कभी पापा के सम्मान पर आंच न आए न वो ये कदम उठाए जिसे उन्हे शर्मिंदा न होना पड़े यैसा काम करो की उन्हे आप पर गर्व हो समाज को गर्व से कह सके मेरी बेटी है