Naya Sabera books and stories free download online pdf in Hindi

नया सबेरा - उपन्यास - समीक्षा

समीक्ष्य पुस्तक : नया सबेरा (उपन्यास ):
लेखक -श्री सूर्य नारायण शुक्ल
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उपन्यास लेखन के प्रमुखत : 6 तत्व होते हैं-
(१) कथानक / कथावस्तु (२) पात्र / चरित्र-चित्रण (३) कथोप कथन / संवाद (४) देशकाल / वातावरण (५) भाषा-शैली (६) उद्देश्य ।
जो उपन्यास इन शर्तो को पूरा करता है प्राय : वह सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
इस समय मेरे सामने श्री सूर्य नारायण शुक्ल का लिखा उपन्यास "नया सबेरा " है जिसे समीक्षात्मक दृष्टि से अभी - अभी पढ़कर मैंने समाप्त किया है।उपन्यास इन सभी बिंदुओं पर खरा उतरता मुझे प्रतीत हुआ है ।
इसका कवर पेज लुभावन है और इसका मुद्रण सर्वश्रेष्ठ।सबसे अच्छी बात यह कि इसके फॉण्ट बड़े बड़े हैँ जो हम जैसे वरिष्ठ बुजुर्ग पाठकों के लिए आरामदायक हुआ करते हैँ।
कथानक, इसके पात्र, कथा शिल्प और पात्रों और परिस्थितियों का घटनाक्रम बिलकुल रोजमर्रा की जिंदगी के जैसी हैँ।
लेखक की शैली इतनी प्रभावित करने वाली है कि सच मानिए अगर आप एक बार इसे पढना शुरू करेंगे तो आप उसे अंत तक पढ़ने के लिए विवश हो जायेंगे।
कहा जा सकता है कि इसे पढ़ते हुए पाठक विस्मराइज हो जाता है। लेखक उनमें डूबकर जब लिखता है तभी यह सम्भव हो पाता है।
उपन्यास का कथानक अक्सर छोटे बड़े शहरों के मध्यमवर्गीय परिवार में लडके लड़कियों के साथ घटित होने वाली घटना और उसके एक के बाद होने वाले असर पर आधारित है।
कानपुर में गन फैक्ट्री में काम कर रहे शर्मा जी की रुपवती कन्या कोमल, जिसे लोग देव कन्या भी कहकर बुलाते थे, को एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी कर दी है कि वह बड़ा अफसर बनकर जग में नाम रौशन करेगी। एम. एस. सी. की पढ़ाई के दौरान सुंदर व्यक्तित्व के प्रोफेसर विमल प्रकाश उसे अपने घर पर ट्यूशन देते देते उससे प्यार कर बैठते हैँ।पहले तो कोमल तैयार नहीँ होती है लेकिन बाद में वह भी उनसे प्यार कर बैठती है।जब शारीरिक संबंध भी बन गए तो कोमल को गर्भ ठहर गया।
अब यहां से कथानक नाटकीय रोमांच ले लेकिन रहा है। दोनों सहमत हैँ लेकिन पहले तो विमल गर्भ गिरवाने को कहता है और जब वह नहीँ तैयार होती है तो अपने अभिभावकों की सहमति लेने मिश्रिख निकल जाता है।
इधर कोमल पेट से है यह बात उसके परिजन जान जाते हैँ और उधर विमल लौटकर वापस आ नहीँ पाते हैँ।किसी तरह विमल के घर जब परिजन पहुंचते हैँ तो पता चलता है कि विमल घर भी नहीँ पहुंचे थे। फिर वे आखिर कहां खो गए?
इधर विवश होकर जब किसी तरह गर्भ गिरवाने डाक्टर के पास वह गई तो आपरेशन के दिन डाक्टर के पति को दिल का दौरा पड़ जाता है और वह वापस आ जाती है।अब वह और उसके परिजन तय तय करते हैँ कि विज्ञापन के जरिये किसी संतान इच्छुक से सम्पर्क किया जाय।.... आगे कथानक ढेर सारे मोड़ लेता है और अंत में सब भला होता है।
एमजान पर उपलब्ध यह उपन्यास उपन्यास प्रेमियों के लिए अवश्य पठनीय है।
एक और बात यह जोड़ना चाहूंगा कि श्री शुक्ल मेरे शिक्षक भी रहे है और शिक्षक का काम शिष्य की शंकाओं का यथासम्भव समाधान करना होता है। इस पुस्तक (नई सुबह ) को लिख कर उन्होंने मेरी पूर्व प्रकाशित कथा पुस्तक "कब आएगी नई सुबह?" का मानो उत्तर दे दिया है कि.... सुबह तो आएगी ही.. नई सुबह बनकर!
🌹प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी