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Pathan - 1

पठान उपन्यास

कॉपीराइट -pawan kumar saini

Published notion press 2021

 

First Edition 

कहानी शुरू होती है 

"सौरभ विला" मालाबर हिल, बैंड्रा (पश्चिम), मुंबई घर से 

ये घर है- सौरभ का इसके नाम पर ही इसका नाम रखा जाता है | सौरभ का एक लड़का है, जिसका नाम अनूप है | अनूप कि मा को गुजरे हुए वर्षो हो गए | और बाप की भी अभी हाल ही में, दिल के दौरे से मौत हो गयी | पूरा घर सुना हो गया तब तक बाप था ; दोनों मिलकर घर का काम करते थे,  लेकिन अब सारा काम अकेले अनूप को करना पड़ता है। (हाय बता दूँ अनूप एक सुन्दर और ऐटिटूड में रहने वाला बंदा है )सौरभ ने सम्पदा के नाम पर, अपने बेटे अनूप के लिए, सिर्फ ये घर और बैंक में कुछ पैसे छोड़े थे | और चिंजौर में एक लैब जिसमें उसके पिता साइंटिफिक रिसर्च करता था। अनूप अपने पिता के नक़्शे कदम पर चल रहा है और अपने पिता के साइंटिफिक रिसर्च को आगे बढा रहा है।

अनूप मार्केट में अपनी बाइक पर बैठा है, जों रोड के दाहिने और है |

रोड पर काफी भीड़ है | एक तरफ लोग निकल रहे है, दूसरी तरफ बाइक कार | अनूप की नज़र कुछ दुरी पर एक रुकी हुई गाडी पर जाती है, जिसमे एक सुन्दर लड़की अपने बाल सवार रही है | अनूप उसकी सुंदरता को देखता है और बोलता है, "वाओ! क्या माल है |"

बस खूबसूरत लड़की देखते ही फिसल जाता है | अनूप बाइक से उतरता है  और फूल वाले को कहता है। लगता है, ये फूल भगवान आज समर्पित नहीं होंगे।

फूल वाला - अनूप, मैंने पैक कर दिये।

अनूप - ना ना ना आज नहीं। (अनूप उस लड़की की रैज रोवर तक जाता है और उसकी कार पर हाथ लगाकर उस लड़की की तरफ एक टक देखने लग जाता है |

लड़की कुछ देर देखती है और बोलती है, " क्या बात है | ")

अनूप - काफी खूबसूरत हो वाकेही लगता है | 

लड़की - तुम्हे मुझसे मतलब क्या है?

अनूप - नाम क्या है तेरा?

लड़की - ( लड़की मुँह चढ़ाते हुए ) प्रिया |

अनूप - सेटिंग करेंगी मुझसे?

प्रिया - ना | प्रिया कार की विंडो से जोर से आवाज़ लगाती है, 'अनामिका, जल्दी करो। '

अनूप - ना ना ना बिलकुल ना ये तो मेरी सरासर बेज़ती हुई |

प्रिया - ओ! तो तुम्हारी इज़त भी है |

अब यहाँ से निकलो |

अनूप -  ( हाथ उठाकर बोलता है ) देख प्रिया | मैं एक अच्छा लड़का हूँ मेरे जैसा लड़का तुम्हे ढूढ़ने से नहीं मिलेगा और मेरी बड़े पांच आदमियों में इज़त है । और मैं एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनुगा, ओ हाय वैसे बता दू मेरा नाम अनूप है और लोग भी यहीं बुलाते है , ( शिर को हिलाते हुए ) सचमुच, हम्म्म याह | यहीं नाम है मेरा।

प्रिया - तो मैं क्या करूँ? अब निकल यहाँ से |

अनूप - देख प्रिया मेरी बात सुन तू  | प्रिया समझ तू मैं सच में अच्छा लड़का हूँ | मेरी गर्लफ्रेंड बनकर देख धीरे धीरे पता चल जायेगा कि मैं कितना अच्छा लड़का हूँ। सच मुच, मैं बहुत अच्छा लड़का हूँ।

पहली बार मैं ख़राब लग सकता हूँ , दूसरी बार मुझसे जरूर प्यार हो जायेगा और मैं एक निहायती लड़का हूँ, सच मुच हम्म्म याह। 

प्रिया -  ना ना ना मुझे बिलकुल 

नहीं करना प्यार तुझसे और ना तेरी बात सुननी | तू निकल यहाँ से  | ( प्रिया ड्राइवर से बोलती है, "चलो यहाँ से |"

प्रिया वहाँ से हसते हुई चली जाती है |

रिथ्मिक ग्रूव डांस स्टूडियो 

सुनाम नगर, मालाबर हिल, बैंड्रा (पश्चिम)

मुंबई, महाराष्ट्र

 प्रिया रिथ्मिक ग्रूव डांस स्टूडियो से बाहर निकलती है। उसके साथ अनामिका, पूजा, अनुप्रिया होती है। चारो  बात करते हुए रोड ( बनगंगा क्रॉस लाइन ) कि बाएँ और चल रही पीछे से आवाज आती है, --प्रिया...प्रिया..... हेलो प्रिया...।

प्रिया और उसकी सहेलियां पीछे मुड़कर देखती है। प्रिया जान जाती है कि अनूप है। प्रिया आगे चलने लग जाती है और अपनी सहेलियों को बताती है यहीं है, वो लड़का, जिसके बारे में तुम्हे बताया था।

अनूप - ( अनूप पीछे से ) सुन तो प्रिया, देख तू मेरी बात सुन। मैं एक अच्छा लड़का हूँ। मेरी बड़े पांच आदमियों में इज़त है। मेरा बड़े लोगो के साथ उठना बैठना है, सच मुच। सच में है। सच में, मैं एक दिन बड़ा आदमी बनुगा।वैसे एक गर्लफ्रेंड सबको चाहिए,  मुझे भी चाहिए।

प्रिया - (प्रिया रुक जाती है और बोलती है -- "नहीं बनना तेरी गर्लफ्रेंड। तेरी तो बड़े पांच आदमियों में इज़त है।  कौन है वो?"

अनूप - ( थोड़ी देर सोचते हुए ) प.... प..... प..पठान  हम्म्म याह और प्रोफेसर अनवर।

अनूप - वैसे तुम सोच रही होगी कि मैं तुम्हारा पीछा कर रहा हूँ। सच में यकीन मानों,मैं बस Little Hill cafe से कॉफी पीकर लौट रहा था। पास में ही है। तुम चाहो तो चल सकती हो। मुझे कोई ऐतराज़ नहीं।

प्रिया - नहीं चलना।

अनूप - तुम बस मेरी गर्लफ्रेंड बनजावो। मैं तुम्हे बहुत ख़ुश रखूँगा। मैं और लड़को से बेहतर हूँ।वाकेही मैं हूँ, सच में हम्म्म याह। बस,  तुम एक बार मेरी गर्लफ्रेंड बन के देखो।

प्रिया - नहीं बनाना तुम्हारी गर्लफ्रेंड। तुममें ऐसा क्या खास है कि मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड बनूँ।

अनूप - ( अनूप सिर हिलाते हुए ) हम्म्म याह।

मैं तुम्हे धौका नहीं दूंगा और मैं तुम्हारा जिंदगी भर साथ निभावूंगा और सिर्फ तुमसे ही शादी करूँगा।

प्रिया - ये तो हर लड़के बोलते है। (प्रिया आगे बढ़ जाती है )

अनूप - (पीछे से ऊँची आवाज में ) सुन तो सही प्रिया। देख प्रिया तुझे मुझपर यकीन नहीं सच में मैं सच बोल रहा हूँ। नंबर तो देती जा। तुम यहाँ रोज आती हो क्या? मैं कल फिर आऊंगा।

( दूसरे दिन अनूप बानगंगा क्रॉस लाइन पर पहले से, प्रिया के इंतज़ार में खड़ा है। अपनी बाइक पर बैठा हुआ है । कुछ देर बाद प्रिया अपने सहलियों के साथ अपने डांस क्लास से बाहर आती है।)

अनामिका - ओ! वो लड़का पहले से ही खड़ा है। अनुप्रिया और पूजा इधर उधर देखने लगती है।

पूजा - कौन? कहाँ?

अनामिका - रोड की उस तरफ देखो। प्रिया का आशिक़।

 ( प्रिया चुप चाप अनूप की बाइक के पास से गुजर जाती है।)

अनूप - प्रिया...। प्रिया.... प्रिया। सुन तो सही।

मैं समझ दार लड़का हूँ। मैं अच्छा लड़का हूँ।

मैं तुम्हारा जिंदगी भर ख्याल रखूँगा। मेरे जैसा लड़का तुम्हे कभी नहीं मिलेगा ।

प्रिया - तू पीछा छोड़ दे मेरा। तू नहीं जानता कौन हूँ मैं ।

अनूप - ये तो मेरे साथ ज्यात्ती हो रही है।

तुम में इतना घमंड। घमंडी लड़की, अब तू देखना क्या करता हूँ मैं।

प्रिया - क्या कर लेगा तू मेरा।

अनूप - मैं तुम्हे बदनाम कर दूंगा। तेरे दोस्तों से कहूंगा, lकहूंगा ये किसी ज़माने में मेरी गर्लफ्रेंड थी और ये बेवफा निकली;पैसों के लिए,मुझे छोड़ दिया।

प्रिया - और तुमसे उम्मीद भी क्या कर सकती हूँ?

अनूप - तुम एक हँसीन लाज़वाब लड़की हो। सच में,मुझे प्यार हो गया। मुझे रात को नींद नहीं आती है।मुझे भूख नहीं लगती। बस तेरा चेहरा सामने होता है। सच में,  तुम मेरा यकीन करो। वाकेही मेरे साथ ऐसा होता है।

प्रिया - ये सब फ़िल्मी बातें है। फिल्मो में ही अच्छी लगती है। हक़ीक़त में ऐसा भी कुछ होता है क्या?

अनूप - कसम से मेरा साथ ऐसा ही हो रहा है, प्रिया। प्रिया सुन। मेरी बात सुन तू। देख प्रिया मैं अच्छा लड़का हूँ। कभी धौखा नहीं दूंगा।

प्रिया - ( कुछ देर सोचकर ) अच्छा। मतलब कैसे विश्वास करूँ?

अनूप -मुझे पता है तुझे यकीन नहीं हो रहा।तू विश्वास कर के तो देख।मुझे पता है, अच्छो लड़को पर लड़कियां यकीन नहीं करती। प्रिया तू देख मेरा पहले गर्लफ्रेंड बनाने का कोई इरादा नहीं था। ये तो अभी कुछ दिनों से एक दम से जगा। ( तभी अनूप का फ़ोन बजता है। अनूप फ़ोन उठाता है-

"हैल्लो पठान बोलो।"

पठान - "विराज वन विला" पहुँचो ( पठान इंडियन स्पेस रिसर्च सेंटर का चीफ है )

अनूप - ठीक है।मैं आता हूँ।

"विराज वन विला", पश्चिम मुंबई

(प्रोफेसर अनवर और पठान आमने सामने बैठे हुए है और डेस्क पर एक शराब की बोतल और तीन जाम रखे हुए है। टेबल से चार चेयर लगी हुई है। और सामने कि दीवार पर टीवी चल रहा है। पठान का फ़ोन बजता है । पठान फ़ोन उठाता है -- "हाँ मेरे बच्चे। "

अनूप - मैं आ गया। कहाँ पठान?

(पठान कमरे से बाहर निकलता है )

पठान - मैंने देख लिया। इधर आ जाओ। (अनूप अंदर आ जाता है।)

अनूप - ये फार्म हाउस किसका है? ( अनूप देखता है कि पार्टी चल रही। )

पठान - आओ अनूप।

अनूप - सरकारी खर्चे का लुफ्त उठा रहे है। इसको भी साथ लेकर आये हो।

पठान - ये मेरी सुरक्षा के लिए। बैठो।

अनूप देवकी को बोलता है -- "ये दुनिया बड़ी ज़ालिम है, मेरी जानेमन, बस तुम अपना ख्याल रखना। "

देवकी - जा। जा। जा।

(अनूप टीवी की तरफ देखता है। )

अनूप - कौनसी फ़िल्म चल रही है?

पठान - multiverse of madness।

प्रोफेसर अनवर - भौतिकी के समान नियमों से बंधे अलग-अलग ब्रह्मांडों की एक पैचवर्क रजाई है। हा ' हा ' हा ' - तीनो हसते है।

अनूप - ये लोग कुछ भी दिखा सकते है।

एक ही सकल के एक ही समय में अलग अलग  universe पर लोग ऐसा कभी ख्वाब में भी नहीं सोच सकते क्या ऐसा हक़ीक़त हो सकता है पठान?

( अनूप चेयर पर बैठ जाता है )

पठान - ऐसा कभी नहीं हो सकता। ये लोग कुछ भी दिखा सकते है, हा' हा' हा। फिर तीनो हसते है।

प्रोफेसर अनवर - मैक्स टेगमार्क और ब्रायन ग्रीन ने मल्टीवर्स और ब्रह्मांडों के लिए अलग-अलग वर्गीकरण योजनाएं प्रस्तावित की हैं।  ब्रायन ग्रीन ने नौ प्रकार के मल्टीवर्स बताये है, हा हा हा।

अनूप - ऐसा कभी कल्पना में भी संभव  नहीं हो सकता, हा हा हा 

(तीनो हसते है )

प्रोफेसर अनवर - पठान, अनूप के लिए भी पैग बना।

अनूप - पठान तुम तो जानते ही हो कि मैं शराब नहीं पिता।

पठान - दवा  है ये तेरे गमों की अब तो वाह, वाह कर।

प्रोफेसर अनवर - वाह!' वाह!’ वाह!' वाह!

पठान - मदहोश कर देगी ये तुझको सारे गम भुला कर

प्रोफेसर अनवर - वाह! ' वाह!' वाह! ' वाह!

पठान - ये दवा है तेरे गमों की अब तो वाह वाह कर,

मदहोश कर देगी ये तुझको सारे गम भुला कर।

ये जों जख्मो का दर्द है तेरी रूह में कब से, 

उतर जायेगा सब, चढ़ने दे इसकी मैकशी को दबाकर।

अनूप - वाह! वाह! क्या बात है!

पठान - लेकिन अब तुझे शराब नहीं पिने दूंगा ।

(थोड़ी देर के लिए तीनो खामोश हो जाते है, फिर पठान बोलता है --

 "अंतरिक्ष में बहुत पॉवर है, सच में,बस हम अभी उस लायक नहीं बने की उसका इस्तेमाल कर सके।"

अनूप - पठान, पैग बना ना।

पठान - ना ' ना ' ना ' बिलकुल ना।

तू शराब नहीं पिता मेरे बच्चे।

( पठान अनूप के लिए पैग बनाता है )

अनूप - (एक पैग लेने के बाद ) तुम्हे पता है पठान मैं एक समज़दार लड़का हूँ।

पठान - मुझे पता है, "तेरी बड़े पांच आदमियों में इज़त है।" काफी बार सुन चूका।

अनूप - पठान मैं जिससे भी शादी करूँगा। उसका साथ जिंदगी भर निभाउंगा, चाहे कुछ भी हो, मेरी बड़े आदमियों में इज़त है।

( पठान अब तीसरा पैग बना रहा है पठान अनूप के पैग में ज्यादा डालता है। खुदके और प्रोफेसर के ग्लास में कम कम। तीनो को थोड़ा - थोड़ा  नशा होने लगता है --

पठान - मैंने अपना एक स्पेस क्रू खो दिया आज भी मुझे दुख है। ये बातें लोगो को कहाँ बताई जाती है।

मैंने उस स्पेस शिप पर बहुत पैसा खर्च किया था।" मेरे बच्चे, 'किसी मुकाम को हासिल करना बहुत आसान है, लेकिन उस मुकाम को हासिल करने के लिए रास्ता खोजना बहुत मुश्किल है।'

( पठान प्रोफेसर अनवर को इसारा करता है की जिसके लिए अनूप को शराब पिलाई जा रही है। वो पूछ लिया जाए।

प्रोफेसर अनवर अनूप से पूछता है, "चिंजौर में तुम क्या कर रहे हो।" 

अनूप - पठान मेरी क्या इज़त रह जाएगी?

पठान - किसकी बात कर रहा है?

अनूप - तू तो बड़ा आदमी था अनूप। पठान, मेरी क्या इज़त रह जाएगी।

पठान - किसके बारे में बात कर रहा है?

अनूप - बीवी के बारे में।

पठान फिर जोर देकर पूछता है,  तुम चिंजौर में क्या कर रहे हो? 

अनूप - पठान, लगता है, मुझे ज्यादा हो गयी। पठान तू मेरी बातों का बुरा मत मानना । गमंडी कही की। खुद को क्या समज़ती है।

पठान - कौन?

अनूप - प्रिया।

 (पठान हिलता हुआ चेयर से उठाता है टेबल पर रखी नमकीन, उसी वक़्त उसके हाथ से  गिर जाती है पठान अनूप के पास वाली चेयर पर बैठता है और अपने दोनों , उसके गले में डालकर बोलता है -- "तुझे किसी भी चीज की जरुरत हो मुझे बेझिझक बोल देना।"

अनूप -  पठान मैं हुस्न का गुलाम हूँ। दिल को भा गयी है प्रिया । दिल पर चोट लगी है।

पठान - कौन है? कहाँ की है?

अनूप - मैं इतना नहीं जनता, बस उसका नाम जानता हूँ और उससे प्यार करता हूँ। वो रिथ्मिक ग्रूव डांस स्टूडियो 

सुनाम नगर मलाबार में डांस सिखने आती है। मेरी क्या इज़त रह जाएगी। पठान, मुझे चढ़ गयी है।

पठान - तो तुझे एक लड़की का हुस्न घायल कर गया।

अनूप - हाँ, पठान।

पठान - अब... अब.. तुझे ज्यादा चढ़ गयी है।तुझे तेरे घर पर किसन छोड़ देगा।

( देवकी किसन को बुलाती है।पठान उसे अनूप को घर छोड़ने के लिए कहता है।)

(अगले दिन अनूप और उसी जगह बानगंगा क्रॉस लाइन पर प्रिया का इंतज़ार कर रहा होते है। प्रिया अपनी डांस क्लास से बाहर आती है। देखती है कि अनूप आज फिर रास्ते में खड़ा है।

जैसे ही प्रिया अनूप के पास से गुजरती है अनूप बोलता है, सुन प्रिया देख प्रिया मेरा विश्वास कर आज तो मेरा मूड तुझे छेड़ने का है।

अनूप - और मैडम कहाँ जा रही नवाबी चाल में । काफी हरी भरी माल लग रही हो। क्या सूट है? क्या बाल है और कितने गोरे गोरे गाल है। जानेमन कभी हमारे साथ भी प्यार की बातें कर लो ।

प्रिया - पिटेगा तू?

अनूप - चलती है क्या नो से बारा, चल सात में पिक्चर देखेंगे गोल्ड सि।नेमा में । जानेमन कभी हमें भी मौका दे, तेरे साथ साथ चलने का । ओ उफ़ ये अदा! ओय क्या मैडम की चाल में खुमारी छाई हुई है।

 

प्रिया - तू पीटकर जायेगा बस।

 प्रिया आगे बढ़ जाती है अनूप बाइक पे उसके पीछे पीछे चल रहा है।

अनूप - (पीछे से ) देख प्रिया मान जा इतना घमंड मत कर। सच में, एक सच्चा लड़का हूँ और मुझे तुमसे प्यार हो गया है। मुझे पता है तुझे मुझपर यकीन नहीं है। देख तू एक बार यकीन तो कर मुझे आजमा तो सही एक बार ।

 

प्रिया - (मुस्कारते हुए ) नहीं आज़माना तुझे

अनूप - मेरी सच में बड़े पांच आदमियों में इज़त है।

 

अगले दिन अनूप क्रॉसवर्ड बुक स्टोर में बुक खरीद रहा था, तभी उसकी नज़र स्टोर के दरवाजे के कांच में से रिंज रोड पर पडती है। वहाँ प्रिया अपनी रेंज रोवर में बैठी है है। अनूप बुक स्टोर से बाहर आता है। प्रिया की एक झलक देखता है। प्रिया की गाडी आगे बढ़ जाती है। अनूप अपनी बाइक स्टार्ट करता है और प्रिया की गाड़ी का पीछा करता है। प्रिया की गाडी रिलायंस ट्रेडस् एक शॉपिंग मॉल के अंदर चली जाती है प्रिया ड्राइवर को बोलती है " तुम यहाँ रुको। मैं आती हूँ प्रिया मैन गेट से अंदर चली जाती है अनूप भी उसके पीछे पीछे अंदर चला जाता है।

प्रिया अनूप को देख लेती है। वो अनूप को कुछ नहीं बोलती है

प्रिया सेल्समैन से कहती है, "भैया कुछ अच्छे कपड़े दिखावो गुंची के । जों मुझे सूट करें। नई चलन के हो "

अनूप प्रिया के बगल में खड़ा है

अनूप - अपनी बीवी है ये इसको अच्छे कपड़े दिखाना। वैसे तुम चाहो इसे छेड सकते हो। आँख वाँख मार सकते हो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं वाकेही।तुम चाहो तो इससे सेटिंग भी कर सकते हो। मजे लो फन करो। देख नहीं रहे हो मै इसकी शॉपिंग से कितना परेशान हो गया?

सेल्समैन - सॉरी सर।

अनूप -( सेल्समैन से ) यहाँ आओ। उसके कान में बोलता है," इससे मै बहुत पेरशान हो गया। दिख नहीं रहा, मुझे ही पता है मै इसे कैसे झेल रहा हूँ। ये वहाँ से काटती भी है, सच में तुम्हे यकीन नहीं होगा | ये भड़क जाती है बात बात मे। तुम इस बात का ख्याल रखना हाँ मैंने कहा जों सच है, सच में। "

प्रिया - मरना चाहता है मेरे हाथ से।

 

सेल्समैन - ये वाला देखो| ये वाला आप पर सूट करेगा।

अनूप - इसकी नज़र यहाँ वहाँ रहती है देखना तुम।

प्रिया गुस्से में हो जाती है और अनूप का हाथ पकड़ती है और बाहर लाती है। चलो मेरे साथ गाडी में बैठो।

अनूप गाडी में बैठ जाता है प्रिया अनूप को सीधे अपने घर रामायण ले आती है।

प्रिया गाडी पार्क करती है।

और अनूप को अंदर ले आती है। सामने सोफे के पास मिस्टर सुमित मेहरा खड़े हुए है (प्रिया के पिता इनकी उम्र लगभग 65 के आश पास है )मिसीज सुमन मेहरा (प्रिया की मम्मी ) सोफे पर बैठी है । एक घर का बहादुर जों की कुक है वो कफो में कॉफी डाल रहा है।

प्रिया बोलती, "हाय पापा इनसे मिलो।

अनूप -  मैं आपसे आपकी बेटी का हाथ मांगता हूँ। मैं आपकी बेटी को पसंद करता हूँ, सच में। वाकेही मुझे सच्चा वाला प्यार हुआ आपकी बेटी से , ये सच बात है और मैं मानता हूँ, इस दुनिया में कोई बुरा आदमी नहीं है। इंसान को कभी - कभी परिस्थिति मतलबी व बुरा बना देती है। वैसे मेरा नाम अनूप है।

मिस्टर मेहरा - क्या?

प्रिया - पापा मै इससे प्यार करती हूँ मुझे पसंद है ये।

मिस्टर मेहरा - और क्या?

अनूप -  हिटलर ने 60 लाख यहूदियों को मारा था , जिनमें 15 लाख बच्चे थे। ये सच बात है, हम्म्म याह। वाकेही बड़ी दुखद बात थी।