THE PRISONER OF LORD in Hindi Love Stories by Euphoria Light books and stories PDF | THE PRISONER OF LORD

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THE PRISONER OF LORD



ये... ये ..क्या हो रहा है...? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है??अभी अभी मेरे सामने एक आदमी तड़प तड़प कर मर गया। 

मेरी आँखें शॉक के मारे फटी हुई थी। मेरी पूरी बॉडी जम सी गई थी। तभी अचानक से एक आवाज मेरी कानो पर पड़ी जिससे मुझे होश आया। 

मैं दौड़ते हुए उस आदमी के पास गई जो खून से लथपत था। मैं उसे आवाज देने लगी,"सर, सर... होश में आइए... सर.. ! समबडी... प्लीज कॉल द एंबुलेंस...", मैं ज़ोर से चीख पड़ी। 

मैं उसके बॉडी को हाथ लगने ही वाली थी कि अचानक सीढ़ियों से एक आवाज आई,"डोंट टच हिम"। मैं वहीं रुक गई। 

मैने पलट कर देखा तो एक 29 30 साल का आदमी मेरी तरफ आ रहा था। उसने एक ब्लैक सूट पहना था। वो रंग में गोरा और काफी हैंडसम था पर उसके एक्सप्रेशन काफी कोल्ड थे। 

उसका औरा काफी डार्क था, उसके आने से माहोल काफी डरावना हो गया था। वो मुझे उसी कोल्ड एक्सप्रेशन के साथ घूरे जा रहा था मानो मेरी बॉडी को स्कैन कर रहा हो। उसकी एक आंख हल्के नीले रंग की थी और एक भूरे रंग की।

उसके आते ही बहुत सारे गार्डस आस पास जमा हो गए, सबके हाथों में बड़ी बड़ी बंदूकें थीं। वो आदमी चलते हुए सीधे मेरे पास आ कर खड़ा हो गया। वो मुझसे काफी बड़ा था, मेरा सिर उसके सीने तक बस आ रहा था। उसने सिर झुका कर मुझे देखा , उसकी लुक देख कर मैं बहुत ही डर गई और डरी हुई नजरों से उसे देखने लगी।

मैं कांप रही थी। उसने मुझे कुछ सेकेंड देखा और मेरे पीछे खड़े गार्ड को कहा,"शूट हर" और पलट कर जाने लगा। सारे गार्डस ने मेरी तरफ बंदूकें तान दी, " नहीं... नहीं.. क्या मैं मरने वाली हूं?  पर क्यों? ऐसा नहीं हो सकता........."

कुछ घंटे पहले....

"जैस्मीन रात के आठ बज गए है, जल्दी काम खत्म करके घर चलते हैं ", अनीता ने कहा।
"ओके ", मैंने कहा और अपने काम पर लग गई। 


कुछ देर बाद मैं काम खत्म करके घर जाने के लिए निकलने लगी तभी मैने देखा कि जिस शॉप पर मैं काम करती हूं, उसका मालिक  किसी को जोर जोर से गालियां दे रहा है।"वो..वो कुत्ते की दुम फिर काम आधा छोड़ कर भाग गया। हरामखोर कहीं का..."

अनीता ने कहा,"इस दड़ियल को क्या हुआ.. पागल कुत्ते ने तो नहीं काट लिया?", मैं हल्का सा मुस्कुराई तभी मालिक की नज़र हमपर पड़ी और वह हमारे पास आ गया।
"जैस्मीन, ये लो चाबी, स्कूटी पर कुछ सामान के बॉक्सेस है उन्हें इस एड्रेस पर छोड़ कर आओ", बॉस ने चाबी और एक कार्ड मेरी तरफ बढ़ाते हुए बड़े ही सख्ती से मुझे कहा। 

मैंने पलट कर अनीता के तरफ देखा तो वह गायब हो चुकी थी। मै इधर उधर देख कर अनिता को ढूंढने लगी पर वह मुझे फसा कर भाग गई थी।
" इधर उधर क्या देख रही हो", 
मैने कहा,"सर.. वो काम का टाइम तो ख़त्म...", तभी बॉस ने मेरी बात काटकर डांटते हुए कहा "तुमलोग कीतने कामचोर हो, सिर्फ आराम करने के लिए बहाना ढूंढते रहते हो। चुपचाप ये सामान लेकर जाओ और सामान छोड़कर अपने घर चली जाना समझी ", 

बॉस वहां से चले गए। मैने चाबी से स्कूटी स्टार्ट करी और एड्रेस पर जाने लगी। स्कूटी चलते हुए मैंने गुस्से में कहा,"अनीता.....डायन ..चुड़ैल..मैं तेरा सिर फोड़ दूंगी। चालू लड़की मुझे फ़सके भाग गई ... जा तेरा पैर केले के छिलके पर पड़े और तेरे दांत टूट जाए"।

कुछ देर में मैं एड्रेस पर पहुंच गई। एड्रेस एक बहुत बड़े विला का था। सामने एक बहुत बड़ा और आलीशान गेट था।

मुझे गेट के बाहर खड़ा देखकर एक सिक्योरिटी गार्ड मेरे सामने आया। उसने मुझसे पूछा कि क्या काम है, मैंने कहा ,"इस एड्रेस से हमारे दुकान पर कोई सामान का ऑर्डर आया था,..मैं सामान डिलीवर करने आई हूं",

गार्डन अपने केबिन में गया और कुछ टाइम बाद वह बाहर आया ,उसने गेट का दरवाजा खोल दिया और मुझे अंदर जाने का इशारा किया।

मैं अपनी स्कूटी लेकर अंदर गई मैं अपनी स्कूटी लेकर अंदर गई। अंदर का नजारा काफी शानदार था। वह जगह किसी जन्नत से काम नहीं लग रही थी बहुत बड़ा गार्डन, एक पानी का फाउंटेन, गार्डन में बहुत सारे रंग-बिरंगे खूबसूरत फूल और इतने बड़े गार्डन के बीचों बीच एक बहुत ही खूबसूरत आलीशान सफेद रंग का बंगला, जो मुझे किसी  महल की तरह लग रहा था। 

मैं तो मानो उसे जगह की खूबसूरती देखकर खो गई थी, मैं अपनी स्कूटी उस बड़े से बंगले के पास लेकर गई, मैंने अपनी स्कूटी पार्क करी और सामान लेकर बंगले की तरफ जाने लग गई। 

मैंने उस बड़े से विला के दरवाजे की डोर बेल बजाई। दो-तीन बार बजाने के बाद एक बूढ़ा सा आदमी दरवाजा खोलकर बाहर आया।

वह आदमी देखने में ही कुछ 45 साल के आसपास का था। उसके कपड़े और हवा देखकर लग रहा था कि वह इस जगह का बटलर है। उसने मुझसे बड़े शालीनता से कहा"कहिए... क्या काम है??", 
मैंने भी बड़े प्यार से जवाब देते हुए कहा"जी वह आपने हमारे दुकान से कुछ सामान मंगवाया था... मैं उसे देने आई हूं",
"अच्छा.... आप यह सारे सामान ला के अंदर रख दीजिए", बटलर ने कहा और मैं अंदर जाकर सारे सामान को रखने लग गई मेरे साथ कुछ नौकरों ने भी मेरी मदद की। 

जैसे ही मैं विला के अंदर गई ,मैं तो बहुत ज्यादा सरप्राइज हो गई, यह विला जितना बाहर से खूबसूरत था उससे कई गुना ज्यादा अंदर से खूबसूरत था, अंदर से किसी सपनों के महल की तरह लग रहा था। 

मैं तो कुछ समय के लिए उसे महल की सुंदरता में ही खो गई थी ,मैं बड़े गौर से उसे जगह को देखने लग गई। थोड़ी देर बाद मुझे अपने आप पर तरस आने लगा, 

मैंने अपने मन में सोचा कि इस जगह में रहने वालों की जिंदगी बिल्कुल राजा महाराजाओं की तरह होगी, जिनके एक इशारों पर बहुत सारे नौकर उनकी सेवा में हाजिर हो जाते हैं....और दूसरी तरफ मैं हूं.....जिसे अपनी जिंदगी जीने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है फिर भी उतना नहीं कमा पाती जिससे मेरा गुजारा हो पाए।

अचानक ही सीढ़ियों के ऊपर से जोर की बंदूक चलने की आवाज आई, मैंने उसे तरफ देखा तो एक आदमी सीढ़ियों से लुढ़क के नीचे गिर रहा था। वह सीढ़ियों से लुढ़कते हुए सीधे मेरे सामने आकर गिरा, वह खून से लथपत था और उसका खून पूरे फ्लोर पर फैल रहा था। 

मैं उसे देखकर बिल्कुल शौक रह गई, तभी ऊपर से एक आवाज आई"रॉबिन!, इस कचरे को बाहर फेंक दो..",

इस आवाज से मैं अचानक होश में आई। मैं उस खून से लथपथ आदमी के पास गई और उसे उठाने की कोशिश करने लगी और जोर-जोर से चिल्लाने लगी।

मैं उसे हाथ लगाने वाले थी कि सीढ़ियों के ऊपर से एक आवाज आई "डोंट टच हिम!",
एक आदमी सीढ़ियों से उतर के सीधा मेरे सामने आकर खड़ा हो गया और मुझे घूरने लगा, मैं बहुत डर चुकी थी।

वह अचानक मेरे करीब आया मेरे पीछे के गार्ड को मुझे शूट करने का ऑर्डर देकर पलट के जाने लगा। मैं ज़ोर से चिल्लाई " नो....प्लीज... मुझे जाने दो... मैं .. मैं..किसी को कुछ नहीं बताऊंगी... प्लीज.. प्लीज जाने दो मुझे.."मैं रोने लगी मेरी , आवाज सुनकर वह आदमी अचानक रुक गया और पलट के फिर मेरी तरफ आने लगा।

उसने बड़े कोल्ड आवाज के साथ मुझसे कहा"मैं भला तुम्हें क्यों जाने दूं, तुमने ऐसी चीज देखी है जो तुम्हें नहीं देखनी चाहिए थी,"
"मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी...... मैं ...मैं..वादा करती हूं", मैने रो रो कर डरते हुए कहा। 
"अच्छा...और भला मैं तुम्हारा यकीन क्यों करूं??"उस आदमी ने सेम एक्सप्रेशन के साथ कहा।
"आप जैसा कहोगे मैं वैसा करूंगी बस मुझे प्लीज... प्लीज यहां से जाने दो", मैने डर से हड़बड़ाहट में कह दिया।
"मैं जो कहूंगा तुम वह करोगी?" उसने अपनी एक आईब्रो चढ़कर कहा।

मैने डर के कारण हां में सर हिला दिया। वह एकदम मेरे और करीब आया"मैं ...जो... कहूं... वो..करोगी..?"इस बार उसने इन शब्दों को जोर देकर कहा।

मैं इस बार भी सर हां में हिला दिया, पर इस बार मुझे अंदाजा हो गया था कि मैं क्या गलती की है, पर मैं बस वहां से जैसे तैसे निकलना चाहती थी। उसे आदमी ने मुझे देखते हुए उसी से एक्सप्रेशन से कहा"ठीक है तो फिर, चलो अपने सारे कपड़े निकालो..."