Pyar kya he ? - 2 in Hindi Love Stories by Shailesh Joshi books and stories PDF | प्यार क्या है ? तेरे दर्द का ऐहसास - 2

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प्यार क्या है ? तेरे दर्द का ऐहसास - 2

प्यार करना, प्यार को समझना और प्यार को निभाना आसान है मगर इस के लिए कुछ छोटी छोटी बातों पर ध्यान देना अति आवश्यक है. 

छोटे से उदाहरण के तौर पर....

यदि कभी रेलगाड़ी में या फिर बस के सफर में कोई भी दो व्यक्ति सफर कर रहे हों,

( यहां पर वह दो व्यक्तिय कोई भी हो सकते हैं ) 

और वहां बैठने के लिए सिर्फ एक ही सीट खाली हो, तब होता यह है कि,

वह दोनों ही व्यक्ति, एक दूसरे को उस सीट पर बैठने के लिए कहेंगे कि आप बैठो या फिर तुम बैठो, और यह एक दूसरे के प्रति प्रेम की ही परिभाषा है, मगर

जब वह दोनों ही, एक साथ वह एक ही सीट में जैसे तैसे कर के बैठ कर वह सफर की मजा एक साथ ले, 

तो वह एक दूसरे की, एक दूसरे के प्रति समान और अनहद प्रेम की निशानी है 

बिल्कुल ऐसे ही,

सच्चे प्रेम में तो ऐसा पूरे जीवन में कई कई बार, और बहोत सी जगहों पर होता रहेता है. 

और यही एक बड़ा कारण है दो इंसानो को प्रेम के बंधन में और ज्यादा मजबूती से जोड़ने का. 

और इसके लिए हमें ज्यादा कुछ नहीं मगर इतना ही समझना होता है कि, 

हम जिससे प्यार करते हैं,

हम जिसे प्रेम करते हैं,

उस प्रेम का दूसरा और सच्चा मतलब होता है....

"परवाह" वह भी हमारी नहीं, बल्कि सामने वाले की  

सही पढ़ा प्रेम उसे ही कहते हैं,

जिस में एक दूसरे की परवाह हो. 

यदि हमें हमारे जीवन में कभी भी जिस किसी भी व्यक्ति की परवाह होने लगती है,

तब निःसंकोच समज लेना कि हमें इस व्यक्ति से प्यार होने लगा है, और जब हमें एसा लगने लगे

तब जाके हम इस व्यक्ति को बोल सकते,

कह सकते हैं कि हा मुजे तुमसे प्यार है,

या फिर मुजे तुमसे प्यार होने लगा है. 

ऐसी ही प्यार की दूसरी निशानी यह है कि,

जब हमारे खुद के सपने कुछ समय के लिए शांत हो जाए, और हम जिसे प्यार करने लगे हो, उसके सपनों की अहमियत हमारे लिए बड़ी हो जाए, या बढ़ने लगे, 

मतलब कि उसकी खुशी ही हमारे लिए प्राधान्य बन जाए, हमारे जीवन का लक्ष्य बन जाए,

तो ये भी सच्चे प्यार की बहुत ही बड़ी और अत्यंत महत्वपूर्ण निशानी है,

लेकिन लेकिन लेकिन

"ऐसा दोनों ओर होना भी इतना ही आवश्यक होता है"

क्योंकि ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती. 

मगर इसके लिए जरूरी है,

अपने आप में, धैर्य की,

खुद पर और सामने वाले पर विश्वास की,

और.....उसके लिए समर्पण की. 

यदि इतना हम कर पाते हैं,

तो यकीन मानिए की प्यार के सच्चे आनंद की अनुभूति से हमें कोई जुदा नहीं कर सकता, और फिर देखना की,

प्यार की गहराई में उतरने के लिए हमें खुद समय साथ देने लगेगा. 

क्योंकि हम सभी बखूबी जानते हैं कि,

प्रेम तो इश्वर की देन है. 

और इश्वर की देन कभी गलत नहीं होती,

इसे समझना और सम्भालना हमारा पहला कर्तव्य है,

फिर चाहे इसके लिए हमें कुछ छोड़ना पड़ा, या फिर कभी हमारे जीवन में कुछ एसा वक्त आए की जो हमें अंदर से पूरा हिला दे, और हम कुछ गलत करने को, या फिर कुछ गलत बोलने को मजबूर हो जाए,

इस वक़्त हमें अपने आप को कुछ गलत करने से रोकना होगा,

क्योंकि इस में ही समझदारी है. 

यह बात इस लिए बता रहा हूं, ताकि

प्यार चीज़ ही इसी है कि जिसमें ये सब आता रहता है,

बार बार आता रहता है,

लगातार आता रहा है,

आएगा, और आता ही रहेगा,

ये बात बहुत ही अच्छी तरह सोच लेना.....

फिर प्यार करना. 

और यदि आप प्यार की सभी परीक्षा में पास होने लगते हैं, तो आगे चलकर यकीन मानिए की, 

आप देखेंगे कि आप के प्यार में,

आप दोनों के बीच,

या आप दोनों की जिंदगी में आने वाली परीक्षाएं

धीरे धीरे कम होती जाएगी, और प्यार...

"प्यार बढ़ता जाएगा"

इस लिए प्यार करने से पहले एक बात हमेशा याद रखना की, ज्यादातर

शुरू शुरू में परेशानियां, मुश्किलें और तकलीफें आएगी ही आएगी.....

और इससे बचने का उपाय सिर्फ और सिर्फ एक ही है, 

कि आप दोनों उस सभी मुसीबतों को,

परेशानियों को, या फिर

तकलीफों को,

आप दोनों के सामने रक्खे,

इसे तुम, 

"तुम दोनों के बीच में न आने दें"

भाग - 3 बहुत ही जल्द प्रकाशित होगा.