DUNIYA MERI MUTTHI MEIN book and story is written by Amar Kamble in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. DUNIYA MERI MUTTHI MEIN is also popular in Drama in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
DUNIYA MERI MUTTHI MEIN - Novels
by Amar Kamble
in
Hindi Drama
जोया माथे को हाथ लगा कर basketball hall के stairs पे बैठी थी। उपर से माया stairs उतरते हुए आई और उसने कहा, “जोया, चल ये books renew करनी हैं...” जोया के face को देख कर वो पास me बैठ गई। उसने पूछा, “क्या बात है, परेशान लग रही हो?” जोया ने कहा, “जैसे तुझे कुछ पता ही नहीं माया! Class में एक मेरा ही project बाकी है तो tension होगा ही ना!” माया ने पूछा, “तुमने library में check किया?” जोया ने कहा, “हां। वहां सिर्फ reference books हैं। Come on यार,
जोया माथे को हाथ लगा कर basketball hall के stairs पे बैठी थी। उपर से माया stairs उतरते हुए आई और उसने कहा, “जोया, चल ये books renew करनी हैं...” जोया के face को देख कर वो पास me ...Read Moreगई। उसने पूछा, “क्या बात है, परेशान लग रही हो?” जोया ने कहा, “जैसे तुझे कुछ पता ही नहीं माया! Class में एक मेरा ही project बाकी है तो tension होगा ही ना!” माया ने पूछा, “तुमने library में check किया?” जोया ने कहा, “हां। वहां सिर्फ reference books हैं। Come on यार,
जोया ने दो coffee cups लाकर टेबल पर रखें। माया ने file में देखते हुए पूछा, “Karan Saxena, huh?” जोया ने कहा, “Yeah! दिखने में और behaviour में कितना फर्क है इसके!” माया ने पूछा, “तो तू पक्का यहीं ...Read Moreलेगी?” माया ने सिर हिलाया। माया ने पूछा, “कब जा रही है?” माया ने कहा, “Evening. चलेगी?” माया ने कहा, “मैं जरुर आती पर वो अर्जून...” जोया ने कहा, “समझ गई।” माया ने उसे file दी। जोया ने उसके adress पे गौर करते हुए कहा, “मुझे ही जाना होगा। I hope कि
करन ने फोन पर कहा, “हैलो महक, मैं पांच मिनट में आ रहा हूं।” और फोन रख दिया। तभी सामने से वो हवालदार आया। करन ने पूछा, “क्या हुआ? कोई problem?” हवालदार ने कहा, “साहब, दाई तरफ से कुछ ...Read Moreकुल्हाडीयां लेकर घुसें हैं, पेड़ काटने! मैंने उन्हें रोका मगर वे मान नहीं रहें हैं।” करन ने कहा, “ठीक है, चलो बैठो।” वे गाड़ी पर बैठकर दाईं तरफ चले गए और तभी झाड़ियों में से एक जीप निकलकर बाईं तरफ चली गई, वहीं जीप!
करन ने फेंके हुए कांच के ग्लास के टुकड़े जोया के पास गिरे थें। जोया ने करन के कंधे पर हाथ रखकर कहा, “मैं तुम्हारा दर्द समझ सकती हूं।” करन ने कहा, “अब दर्द नहीं होता।” जोया ने पूछा, ...Read Moreतुमने उसी वक्त बदला क्यों नहीं लिया?” करन ने कहा, “उस वक्त मेरे पास ना इतनी हिम्मत थी, ना ही ताकत थी।” जोया ने पूछा, “उस वक्त से तुम्हारा मतलब कहानी अभी बाकी है?” करन ने कहा, “हां।” जोया ने पूछा, “उसके बाद क्या हुआ?” करन ने