Morbid book and story is written by Srishtichouhan in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Morbid is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
नासाज़ - Novels
by Srishtichouhan
in
Hindi Fiction Stories
अध्याय एकपेपरमेंट की मीठी जन्नतदुनिया एक पागल कुत्ते की तरह आपको काट खाएगी और आप बस उसका निवाला बन जाना, मुझे अब किसी की प्रतिक्रिया से कोई भी फ़र्क़ नहीं पड़ता था, बिल्कुल भी नहीं, मुझे अपने खिलाफ उठ रहे आवाजों के उठते शोर को दबाना आता है, मैं जानता हु कि अगर एक सुलगते सूखे पत्ते पर कही कोई चिंगारी लग जाये तो एक सुखा पत्ता पूरे जंगल को ख़ाक कर सकता है, और यह गलती मैं मेरे दिमाग के जंगल में लगने नहीं देना चाहता किसी भी तरीके से नहीं, मेरे अंदर भी मेरे गहरे ज़ख्म उसी सूखे
दुनिया एक पिपरमिंट सी लगती है जुबान से मिलते ही चिंगम सी चिपकती हुई जुर्म और जुनून के बादशाह पापलोस की कहानी उसके अजीब ढ़ंग से उसी के नजरिए से...... आइए सुने .....
आज मैंने दो दो खून किए थे, लेकिन यह महज एक इत्तेफाक था या कुछ और, आज मेरी महबूबा महजबीन और बाबिल दोनों ने मुझे एक बहुत बड़ा धोखा दिया, एक प्यार था तो दूसरा वफादार, कभी कभी जुर्म ...Read Moreदुनिया का बेरहम बादशाह होना भी बहुत पेचीदा हो जाता है ~~ पाफ्लोज
, यह एक पेचीदा लेन थी, जिसके नुकीले पत्तों वाली हेजेज इंग्लिश मौली से बने हुए थे, जिसके चेरी लाल फल लेन से दूर उस विशाल हवेली के दाहिने कोने की तरफ चल रहे थे, यह हवेली किसकी थी?? ...Read Moreके लिए पढ़े , नासाज़ तीन - बिना नेमप्लेट वाला दरवाजा
अध्याय चार मुर्दों का टीला (पापलोज की ज़ुबानी) सुन सान रात के तलहटी में मै अपने महंगे वाइन के लम्बी गर्दन वाले बोतल के साथ निकल पड़ा था, मेरे ठिकाने से बहुत दूर, यह सफर अंधेरे भरी थी, पर ...Read Moreमेरे लिए यह जन्नत थी, अमावस की यह बिना चांद वाली रात मुझमें बिच्छू सा जहर घोल देती है, यह मेरे लिए शबाब और शराब दोनों से ज्यादा नशीली थी, अंधेरी रात की मौजूदगी से मेरे कदम धीरे धीरे इस वीरान बंजर इलाके में बढ़ रहे थे, बहुत ही धीरे कछुए के चाल लिए, मौसम में कुछ हल्की नमी थी,
अध्याय तीनबग्गे की दौड़पापलॉस की जुबानीमैं कब कब्र में ही सो गया और मेरी आंख लग गई पता ही नहीं चला , पर अब एक चमकीली सुबह की चिलचिलाती धूप मेरे शरीर में पड़ी, जिससे मेरा शरीर जल उठा, ...Read Moreमहंगे कत्थे रंग के अर्मनी सूट में सिलवटें पड़ गई थी , मेरा पूरा शरीर एक अजीब से दर्द से बाहर निकलने कि जद्दोजहद कर रहा था, मेरा पीठ और मेरा पिछ्वाड़ा बहुत जोरों से दर्द कर रहा था, और मेरा सर इस आती हुई धूप की रौशनी में चकराने लगा, तभी मेरे कानो में फोन की घंटी बजी, यह