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वो माया है.... - Novels
by Ashish Kumar Trivedi
in
Hindi Adventure Stories
बद्रीनाथ सिन्हा के घर के बाहर ढोल वाले खड़े थे। बद्रीनाथ के छोटे बेटे पुष्कर की बारात बहू को विदा कराकर आने वाली थी। बहुत सालों बाद बद्रीनाथ के परिवार में यह शुभ घड़ी आई थी। इसलिए बहू का स्वागत ढोल बजाकर किया जाना था। ढोल वाले तय किए गए समय पर आ गए थे। लेकिन अभी तक बारात लौटकर नहीं आई थी।
राजू ने बीड़ी का आखिरी कश लिया। बीड़ी जमीन पर फेंककर पैर से बुझाते हुए बोला,
"मुन्ना ज़रा अंदर पता करो अभी कितनी देर है। घंटा भर से ऊपर तो हमको आए हुए हो गया होगा। अभी तक तो बरात आई नहीं। सहालकों का बखत है। दूसरी जगह भी तो जाना है।"
मुन्ना बैठे हुए ऊब गया था। वह अपने फोन पर कुछ देख रहा था। उसे टस से मस ना होते देखकर राजू चिल्लाया,
"जबसे यह नया फोन ले लिया है जब देखो उसमें ही जुटा रहता है। कहा ना कि अंदर पता करो।"
मुन्ना ने मोबाइल से नज़रें हटाए बिना कहा,
"दादा हमसे किटकिट मत करो। अभी कुछ देर पहले भी तो भेजे थे अंदर। वो बूढ़ी अम्मा चिल्लाने लगीं कि सर ना खाओ। आती होगी बरात। तब पैसों के साथ ईनाम भी मिलेगा।"
(1)बद्रीनाथ सिन्हा के घर के बाहर ढोल वाले खड़े थे। बद्रीनाथ के छोटे बेटे पुष्कर की बारात बहू को विदा कराकर आने वाली थी। बहुत सालों बाद बद्रीनाथ के परिवार में यह शुभ घड़ी आई थी। इसलिए बहू का ...Read Moreढोल बजाकर किया जाना था। ढोल वाले तय किए गए समय पर आ गए थे। लेकिन अभी तक बारात लौटकर नहीं आई थी। राजू ने बीड़ी का आखिरी कश लिया। बीड़ी जमीन पर फेंककर पैर से बुझाते हुए बोला, मुन्ना ज़रा अंदर पता करो अभी कितनी देर है। घंटा भर से ऊपर तो हमको आए हुए हो गया होगा। अभी तक
(2)दोपहर को खाने के बाद आंगन में नई बहू की मुंह दिखाई की रस्म हुई। मोहल्ले पड़ोस और रिश्तेदारी वाली औरतें दिशा का चेहरा देखकर उसे कुछ ना कुछ भेंट दे रही थीं। वह सभी भेंट दिशा के हाथ ...Read Moreसीधा किशोरी के हाथ में जा रही थीं। वह मिली हुई हर भेंट का हिसाब एक डायरी में लिख रही थीं। दिशा की मम्मी ने उसे ऐसी रस्म के बारे में बताया था। फिर भी उसे कुछ अजीब लग रहा था। वह चाह रही थी कि जल्द से जल्द यह सब खत्म हो तो वह आराम कर सके। जब सारी
(3)पुष्कर जब कमरे में गया तो दिशा उसकी राह देख रही थी। पुष्कर उसके पास जाकर बैठ गया। वह जानता था कि इस नए माहौल में उसके बिना दिशा बहुत अकेलापन महसूस कर रही होगी। वह उसे भरोसा दिलाना ...Read Moreथा कि भले ही वह पूरा दिन उससे दूर रहा पर उसके बारे में सोच रहा था। बिना कुछ बोले वह दिशा का सर अपनी गोद में लेकर सहलाने लगा। उसका ऐसा करना दिशा को अच्छा लगा। वह चुपचाप उसकी गोद में सर रखे लेटी रही। दोनों चुपचाप थे पर एक दूसरे के भाव को समझ रहे थे। दिशा का
(4)दिशा की आँख खुली। कुछ देर तक वह बिस्तर पर बैठी रही। अपनी ससुराल में यह उसकी पहली सुबह थी। वह खुश थी। उसने पास में सोए हुए पुष्कर को देखा। उसके बाद बिस्तर से उठी और दरवाज़ा खोलकर ...Read Moreपर आ गई। ताज़ा हवा का झोंका उसे सुखद लगा। हालांकि थोड़ी ठंड थी। वह मुंडेर के पास आई। उजाले में सामने एक मैदान सा दिखाई पड़ा। उसके बाद घर बने थे। मैदान में कुछ बच्चे खेल रहे थे। वह कुछ देर उन्हें देखती रही। उसके बाद अंदर गई और ब्रश किया।उसे सुबह उठकर चाय पीने की आदत थी। पुष्कर
(5)आंगन में कई लोग थे पर एकदम शांति थी। उमा को अपनी बेबसी में जब कुछ समझ नहीं आया तो रोने लगीं। उनके रोने से चिढ़कर बद्रीनाथ चिल्लाए,"अब क्यों रो रही हो ? जब जिज्जी ने मना किया था ...Read Moreतुम हमारे पीछे पड़ गई थीं। कह रही थीं कि बड़ी मुश्किल से घर में खुशियां आ रही हैं। अगर हम नहीं माने तो वह भी चली जाएंगी। देख लिया क्या खुशियां आई हैं इस घर में।"पुष्कर ने कहा,"पापा इसमें मम्मी की कोई गलती नहीं है। कितने सालों से देख रहा हूँ कि एक वहम को पकड़ कर रखा है