Aur Usne book and story is written by Seema Saxena in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aur Usne is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
और उसने - Novels
by Seema Saxena
in
Hindi Fiction Stories
जैसे जैसे सुबह होने लगी है, वैसे वैसे मानसी की आंखों में नींद भरने लगी है। वो रात भर तो जागती ही रही है, कभी मोबाइल पर मूवी देखती या फिर फेसबुक, टुइटर, इंस्ट्राग्राम यह सब चलाते हुए ही उसने पूरी रात गुजार दी है। इस समय वह अपने पी जी में बिल्कुल अकेली है । सारी सहेलियाँ मतलब उसके साथ रहने वाली जो रूममेटस, वे सब अपने घर चली गई हैं लेकिन मानसी नहीं जा पायी है क्योंकि उसे हल्का सा बुखार आ गया है, तो उसको ऐसा लगा कि अगर एयरपोर्ट पर उसका बुखार चैक हुआ तो कहीं वह फँस न जाये या फिर उसको कहीं पर क्वारंटाइन ना कर दिया जाये या फिर कहीं आइसोलेशन के लिए ना भेज दिया जाये। उफ़्फ़ कितने सवाल हैं और उतने ही जवाब उसके मन में उठ खड़े हुए हैं। उसे बस यही डर है और इसी डर की वजह से वह यहीं पी जी में रुक गई है । हालाँकि उसने सोचा है कि एक आध दिन में निकल जायेगी लेकिन अगले दिन से ही लॉकडउन लगने का अनाउंस हो गया और अब वह अकेली ही यहाँ पी जी में फंस जायेगी, यह सोचकर घबरा भी रही है ।
सीमा असीम, सक्सेना (1) found the way जैसे जैसे सुबह होने लगी है, वैसे वैसे मानसी की आंखों में नींद भरने लगी है। वो रात भर तो जागती ही रही है, कभी मोबाइल पर मूवी देखती या फिर फेसबुक, ...Read Moreइंस्ट्राग्राम यह सब चलाते हुए ही उसने पूरी रात गुजार दी है। इस समय वह अपने पी जी में बिल्कुल अकेली है । सारी सहेलियाँ मतलब उसके साथ रहने वाली जो रूममेटस, वे सब अपने घर चली गई हैं लेकिन मानसी नहीं जा पायी है क्योंकि उसे हल्का सा बुखार आ गया है, तो उसको ऐसा लगा कि अगर एयरपोर्ट
(2) “जस्ट मेंरे पीजी के बराबर में ही रहती हैं, मुझे भी आज ही पता चला, अभी मेरी थोड़ी तबीयत खराब है न, तो मैंने मम्मा से कहा, तो फिर उन्होंने कहा कि वहां पर मेरी बचपन की फ्रेंड ...Read Moreछोटी बहन रूची आंटी अभी शिफ्ट हुई हैं और वह तुझे लेने आ जाएंगी, तू उनके घर चली जा, उनके हस्बैंड को ही मैंने अभी दिखाया है, मुझे कोई टेस्ट कराने की जरूरत नहीं हुई । उन्होने दवाई बगैरह के पैसे भी नहीं लिए क्योंकि वह हॉस्पिटल में डॉक्टर है, मतलब उनका अपना खुद का हॉस्पिटल है।” मानसी ने कबीर
(3) “ आंटी आप नीचे रुको मैं आती हूँ।” “ ठीक है बेटा !” जी आंटी यह कहकर उसने फोन रखा और कबीर से बोली, “यार आज मुझे अभी तो रूचि आंटी के साथ ही जाना ही पड़ेगा ।” ...Read Moreऐसा करती हूँ कबीर कि अभी इस समय मैं रुचि आंटी के साथ उनके जा रही हूँ । पहली बात तो मम्मी की बात खराब नहीं होगी और दूसरी बात रुची आंटी मुझे खुद लेने के लिए आई हैं तो उनको भी बुरा नहीं लगेगा ।” “मैं भी तो तुझे लेने आया हूँ बल्कि मैं तो इतनी दूर से आया
(4) सबसे छोटी होने के कारण पापा उसे कितना प्यार करते और मम्मी वह तो उस पर अपनी जान ही देती । घर का कोई भी काम उसे छूने नहीं देती । बर्तन तो कभी भी धोने नहीं देती, ...Read Moreकहती कि लड़कियां बर्तन नहीं धोती हैं हाथ खराब हो जाते हैं ... किसी राजकुमारी की तरह उसको बड़े लाड़ प्यार से रखती । भाई ज़ब शहर से आते तो उसके लिए ढेर सारे गिफ्ट लेकर आते और दीदी जीजाजी जब आते तो उनको जहां भी जाना होता, उसको अपनी बेटी की तरह संग लेकर जाते । जब वो बहुत
(5) मम्मी और पापा दोनों लोग सो गए, मानसी अभी भी काम कर रही है। लाइट जाने के बाद उसने कैंडल जलाकर आर्टिकल लिखना जारी रखा । वह बार-बार लिखती और मिटा देती क्योंकि उसे सेटिस्फेक्शन नहीं हो रहा ...Read Moreकि वह जो कुछ लिख रही है वह सही है, फाइनली उसने 4:00 बजे के करीब आठ पन्ने का एक आर्टिकल तैयार किया, ठीक 4:00 बजे वह सो गई, 7:00 बजे तक आंख ही नहीं खुली,। पापा ने उसको हिलाकर जगाते हुए कहा, “ मानसी आज स्कूल नहीं जाना है क्या? “ “अरे कितने बज गये पापा, मुझे तो 8:00