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एक बच्चे ने अपनी मां से पूछा__ आप सब ये कैसे जान जाती हो मां। मां ने कहा___ इसे हृदय, प्यार की भाषा कह सकते हैं। 
*कुछ तो हुआ है* एक growing बच्ची____
स्कूल से आते ही बैग फेंकना, 
खाने की थाली को देखकर मुंह फुलाना, 
जरा सा पुचकारते ही मोटे मोटे आंसुओं का तैर जाना     और मेरा कहना, कुछ तो हुआ है।
गले लगकर पूरी कहानी बयां कर जाना, 
और कहना,नहीं मां कुछ नहीं.....
लेकिन मां, आप कैसे सब जान जाती हो???
मां मुझसे बेहतर मुझे समझ पाती हो! 
पूरा पूरा दिन मोबाइल से चिपके रहना, 
रोना, रूठना, मुस्कुराना, 
बार-बार कॉल चेक करना, 
एक बार फिर मेरा कहना, कुछ तो हुआ है। 
फिर से गले लगकर, 
मेरे गालों पर एक चुंबन दे कर कहना, 
नहीं मां कुछ नहीं....... 
लेकिन मां, आप कैसे सब जान जाती हो???
मुझसे बेहतर मुझे समझ पाती हो!
एक दिन अचानक रसोई में मेरा हाथ बटाना, 
किसी व्यंजन की रेसिपी पूछना, 
और कहना आज खाना मैं बनाऊंगी, 
एक बार मेरा फिर से कहना कुछ तो हुआ है....
मेरे कंधे पर मुंह छुपाकर, 
हौले से कान में फुसफुसाना, 
हां मां, कुछ तो हुआ है...........
आप यह सब कैसे समझ जाती हो???
जो किसी को नहीं दिखता, 
वह भी देख पाती हो, 
मुझसे बेहतर मुझे समझ पाती हो! 
मैं तो एक अंश हूं आपका, 
आप ही मुझ में पूर्णता लाती हो!!!!!!!
हां मां आप सब समझ जाती हो!!!!!!!!!