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New bites

तुम्हे तो सबकुछ बताना था।

क्या हो रहा मेरे साथ क्या हुआ है सब बताना था।

खो जाना चाहता था इस भीड़ से बस तेरे साथ जीना था।

हा टूटे हुए थे तुम टूटे हुए थे हम इसी लिए तुम्हारे साथ दिल लगाना था।

सोचा था की समझोगे हमे बिना बातये बस इस लिए ये टूटा हुआ दिल देना था।

क्या पता था की तुम कही और व्यस्त हो जाओगी।

तुम्हे जबरजस्ती नही प्यार से पाना था।
खोया रहता हु इस तन्हाई की दुनिया मे।
बस थक हार कर तेरे गोद मे सोना चाहता था।

लोग रुला जाते है किसी ना किसी बात पे ।
मै तुम्हे छोटी छोटी बातो मे हसना चाहता था।

लाख बुराइयाँ होंगी मेरे अंदर क्युकी खुदा नही हु मै ।

बस तुम समझो मुझे और मै तुम्हारे गले लग जाना चाहता था।

क्या हुआ क्या नही सब भूल कर मै आगे का सफर तुम्हारे साथ बिताना चाहता था।

क्या कहु कैसे कहु प्यार जो बचा था सिर्फ तुमपर लुटाना चाहता था।

जाओ अभी आजमा लो इस दुनिया को तुम।
इंतजार तुम्हारा है और रहेगा मै तो सिर्फ तुम्हे गले लगाना चाहता था।

बदल देती है हवाएं पानी की दिसा।
मै तो सिर्फ तुम्हे इस मतलबी दुनिया से बचाना चाहता था।

कास समझते तुम मेरे इस प्यार को मै दुनिया को दिखाना नही सिर्फ अपने पास छिपाना चाहता था।

..............Akash Gupta ✍️

brokenboy190253

ન પૂછો વાત હવે, જો મૌન થઈ જાવ તો ગમશે તમને?
કે વીતેલા સમયની ધૂળ પર નામ લઈ જાવ તો ગમશે તમને?

હૃદયમાં સાચવેલા શબ્દની કિંમત નહીં કરીએ,
ફકત આંખો થકી બસ, વાત કહી જાવ તો ગમશે તમને?

અને તમ હાથમાં છે આબરૂ આ કાયમી મારી,
હું મારી જાતને બેબાક સહી જાવ તો ગમશે તમને?

ખુશીમાં યાદ ના આવ્યા, ગમની મહેફિલ સજાવી છે,
નજર ઝુકાવીને જો આંસુ લૂછી જાવ તો ગમશે તમને?

તમારા ઘરની સામેથી પસાર થાવ એવી ઈચ્છા છે મારી,
ફકત એકવાર જો પાછળ તમે જોઈ લો તો ગમશે તમને?

હજી લાગણીના તાંતણા જો ક્યાંક બાકી હોય દિલમાં,
હું મારી આ કહાણી મૌનમાં કહી જાવ તો ગમશે તમને?

palewaleawantikagmail.com200557

Good evening friends have a nice time

kattupayas.101947

That's a wonderful aspiration! While there isn't a single, universally recognized "mantra" specifically from classical texts guaranteeing success in the acting field, there are several powerful concepts and deities associated with arts, performance, wisdom, and overcoming obstacles in Hindu and Vedic traditions.
Many actors and performers seek blessings from these deities or practice specific mantras to enhance their skills, clarity, and fortune.
Here are a few significant approaches:
🌟 Mantras for Arts, Wisdom, and Performance
1. Saraswati Mantra (For Creativity, Speech, and Learning)
Goddess Saraswati is the deity of knowledge, music, arts, wisdom, and eloquence (Vak). She is often sought for success in any field requiring artistic skill and powerful speech.
* The Simple Mantra (Bīja Mantra):


Pronunciation: Om Aim Saraswat-yei Namah
Meaning: Salutations to Goddess Saraswati.
* For Clarity and Eloquence:


Meaning: O Auspicious Goddess Saraswati, the embodiment of knowledge with lotus-like eyes, O Goddess whose form is the universe, the one with large eyes, I bow to you, grant me knowledge.
2. Lord Ganesha Mantra (For Removing Obstacles)
Lord Ganesha is the Vighnaharta (remover of obstacles) and the God of new beginnings. Success in a challenging field like acting requires clearing hindrances and ensuring smooth progress.
* The Simple Mantra:


Pronunciation: Om Gum Ganapat-a-yei Namah
Meaning: Salutations to the Lord of Hosts, Ganesha.
* For Successful Commencement:


Meaning: O one with a curved trunk, a massive body, and the brilliance of a million suns, please make my undertakings free of obstacles, always.
3. Gayatri Mantra (For Illumination and Success)
Though a universal prayer, the Gayatri Mantra is often chanted for gaining clarity, focus, inner light, and supreme wisdom, which are crucial for interpreting complex roles and delivering compelling performances.
🙏 A Practical "Mantra" for the Actor
Beyond the spiritual chants, the most effective practical mantra for success in any field, including acting, is often summarized as:
> "Shraddha (Faith), Saburi (Patience), and Sadhana (Consistent Practice/Effort)."
>
* Faith: Believing in your dream and your talent.
* Patience: Knowing success in the arts is a long journey and being resilient through rejections.
* Practice: Constantly honing your craft (acting, dance, voice, observation) and networking.
If you are looking for a powerful daily mantra to adopt, I would recommend the Saraswati Mantra for enhancing your core artistic abilities and speech.
Would you like to know more about the proper way to chant a mantra or a specific prayer for a particular deity?

bkswanandlotustranslators

मेरी आंखों में न ढूंढा करो आशु मेरे
मैने सीने में छुपा रखा है अपना दर्द सारा

anisroshan324329

अखबार वाला

सुबह सुबह अख़बार वाले को देखा तो महसूस हुआ की हम चाय के वक़्त अख़बार का इंतज़ार करते हैं और तसल्ली से चाय की चुस्कियाँ खबरों के साथ लेते हैं।

सोचता हूँ

ये अख़बार वाला सुबह कितनी जल्दबाजी में चाय पीता होगा?

चाय पीता भी होगा या नहीं?

anisroshan324329

तुम सामने हो और, मैं पलक भी झपक दूं, तो मुझे बेवफ़ा करार दे देंना......

anisroshan324329

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं

mamtatrivedi444291

आऊं जो तेरे रूबरू मैं अपनी पहचान पा लेती हूं।
तू मेरे हर रूप से वाकिफ है।
जो दुनिया से परे है वह तू देख पता है।
एक तू ही तो है जो मेरा हर रंग समझ पाता है।
तेरी सूरत तो नहीं देखी पर तू कुछ मुझसा ही लगता है।
मैं जिस हाल में आऊं तेरे सामने तू मुझे वैसा ही दिखता है।
यह तारीफ है तेरी कुछ मेरी बुराई है।
तू दर्पण है तेरी फितरत है औरो सा ढलना।
मैं तो इंसान हूं खुद को तुझसा कर नहीं पाती।
बस यही एक हुनर मैं तेरा हासिल कर नहीं पाती।

poojaahirwar021932

तुझें याद ना मेरी आई
किसी से अब क्या कहना
दिल रोया की आंख भर आई
किसी से अब क्या कहना।

priya216447

একজন লেখকের জন্য এরচেয়ে বড় প্রাপ্তি আর কী হতে পারে ? মিষ্টি নামের তিক্ত রোগ লেখাটি এখন মাত্রুভারতি কর্তৃপক্ষ পাবলিশ করে না। তাই আগ্রহী বন্ধুদের বইটি অনলাইনে সংগ্রহ করে নিতে অনুরোধ রইলো।

krishnadebnath709104

लेखनी की दुनिया बड़ी कमाल की है
जहां न किसी के दर्द ना मजाक बनाया जाता है न किसी का भावनाओ उपहास किया जाता है ,जहां हर किसी भावनाओं का होता सम्मान सम्मान है।

यहाँ हर भावना का सम्मान होता है,
हर दिल की धड़कन सुनी जाती है,
और किसी के दुःख या भावनाओं का
उपहास नहीं किया जाता।

शायद इसलिए ही—
लिखने की दुनिया,
दुनिया की सबसे महान दुनिया है।


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archanalekhikha

मनुष्य अपने कर्मों के हिसाब से मृत्यु के बाद अलग-अलग गति में जाता है। ऐसी कोई युक्ति है जिससे मालूम पड़े कि आत्मा स्वर्ग में जाएगा या नरक में? मृत्यु के बाद आत्मा की गति कैसे तय होती है? आइए जानें इस विडीयो में...

Watch here: https://youtu.be/abt2_2kY7Nw

#spirituality #spiritualvideo #trending #soul #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

Good morning friends have a great day

kattupayas.101947

कुछ तो ले गए हो मेरा अपने साथ..

वहीं कुछ का आभाव..

मुझे पहले जैसा होने नहीं देता...!

rahulraaj702863

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

sonishakya18273gmail.com308865

આજકાલ આવાં કારસ્તાન વધી ગયાં છે,
વિદ્યાર્થીઓ ને સજા નથી થતી,
પણ વગર વાંકે શિક્ષક ને નોકરીમાંથી કાઢી મુકવામાં આવે છે...

bhavnabhatt154654

⭐ भाग 9 — हिस्सा 1

राधा अब सिर्फ़ शहर में एक नौसिखिया रिपोर्टर नहीं रही थी।
उसने मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी से खुद को साबित किया था।

सुबह-सुबह राजु ने कहा,
“आज तुम्हारे लिए बहुत बड़ा दिन है, राधा। आज तुम्हारी पहली बड़ी पत्रकारिता उपलब्धि सामने आने वाली है।”

राधा ने सिर हिलाया,
“मैं तैयार हूँ, राजु। अब डर और लालच मेरे जीवन में जगह नहीं रखते।”

उस दिन उसके ऑफिस ने उसे एक बड़ी रिपोर्ट पर काम करने का मौका दिया—शहर के गरीब बच्चों की शिक्षा और जीवन स्तर पर एक विस्तृत अध्ययन।

राधा ने पूरे दिन मेहनत की।
वह स्कूल गई, बच्चों और उनके परिवार से मिली, और उनके संघर्षों को रिकॉर्ड किया।
राजु हर कदम पर उसके साथ था, नोट्स लेने और रिपोर्ट को व्यवस्थित करने में मदद कर रहा था।

राधा ने महसूस किया कि उसकी मेहनत अब सिर्फ उसकी जिंदगी बदलने के लिए नहीं थी, बल्कि समाज के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती थी।


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⭐ भाग 9 — हिस्सा 2

राधा ने अपने लेख को तैयार किया।
उसमें बच्चों की कहानियाँ, उनके संघर्ष, उनके सपने और उन्हें मिलने वाली कठिनाइयाँ सब कुछ शामिल था।
राजु ने उसे सलाह दी,
“राधा, यह रिपोर्ट केवल खबर नहीं, बल्कि समाज के लिए संदेश भी है। इसे सही तरीके से प्रस्तुत करो।”

राधा ने अपनी रिपोर्ट को संपादकों को सौंपा।
संपादक ने कहा,
“राधा, यह लेख बहुत प्रभावशाली है। इसे प्रमुख समाचार में प्रकाशित किया जाएगा। तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी सराहनीय है।”

राधा की आँखों में चमक थी।
“मेरी मेहनत रंग ला रही है। अब मैं सिर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी कुछ कर रही हूँ।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुमने साबित कर दिया कि मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी से न केवल जीवन बदलता है, बल्कि समाज भी प्रभावित होता है।”


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⭐ भाग 9 — हिस्सा 3

रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद, राधा को शहर और समाज में मान्यता मिली।
लोग उसके साहस और ईमानदारी की तारीफ करने लगे।
कुछ अभिभावकों ने सीधे उससे मिलकर धन्यवाद कहा,
“आपने हमारे बच्चों के लिए आवाज़ उठाई। हम आपके आभारी हैं।”

राधा ने महसूस किया कि अब वह सिर्फ नौकरी करने वाली नहीं, बल्कि एक प्रभावशाली पत्रकार बन चुकी थी।

लेकिन शहर की चुनौतियाँ अभी खत्म नहीं हुई थीं।
अरमान जैसी साजिशें अब भी कहीं-कहीं नजर आती थीं, लेकिन राधा अब डरने वाली नहीं थी।
उसने मन ही मन कहा—
“अब मैं किसी भी झूठ या लालच से डरने वाली नहीं हूँ। मेरी मेहनत और इज्जत ही मेरी सबसे बड़ी पूँजी हैं।”

राजु ने उसकी ओर देखकर मुस्कुराया,
“तुमने आज साबित कर दिया कि ईमानदारी और साहस के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।”


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⭐ भाग 9 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने शाम को घर लौटते हुए खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब डर, लालच और झूठ का प्रतीक नहीं रही।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और सफलता का प्रतीक बन गई थी।

उसने अपने आप से वादा किया—
“अब मैं किसी भी चुनौती से नहीं डरूँगी। चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ, मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी ही मेरे मार्गदर्शक होंगे।”

माँ ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब समाज में सम्मान पा चुका है। तुमने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी बदलाव लाया है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कीं।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन केवल डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि समाज में उसकी पहचान और सम्मान से भरा हुआ था।

भाग 9 का अंत
राधा ने सीखा—सच्चाई, मेहनत और आत्मसम्मान के साथ न केवल व्यक्तिगत सफलता मिलती है, बल्कि समाज में भी सम्मान और पहचान बनती है।
⭐ भाग 10 — हिस्सा 1

राधा अब शहर में केवल एक नौसिखिया रिपोर्टर नहीं रही थी।
उसने मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी से खुद को साबित किया और समाज में पहचान हासिल की थी।

सुबह-सुबह राजु ने उसे फोन किया,
“राधा, तुम्हारे लिए एक नया प्रोजेक्ट आया है। यह शहर का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है और इसमें तुम्हारी रिपोर्टिंग की आवश्यकता है।”

राधा की आँखों में चमक थी।
“राजु, मैं तैयार हूँ। अब डर या लालच मुझे रोक नहीं सकते।”

प्रोजेक्ट के लिए उसे शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जाना पड़ा।
यह प्रोजेक्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिक सुविधाओं की स्थिति पर आधारित था।
राधा ने हर जगह जाकर बच्चों, बुजुर्गों और आम नागरिकों से बातचीत की।
राजु हर कदम पर उसके साथ था, मदद और मार्गदर्शन के लिए।

राधा ने महसूस किया—यह प्रोजेक्ट सिर्फ उसकी रिपोर्टिंग का काम नहीं, बल्कि शहर के लिए बदलाव लाने का अवसर है।


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⭐ भाग 10 — हिस्सा 2

राधा ने पूरे दिन नोट्स लिए, इंटरव्यू किए और साक्ष्य जुटाए।
हर कहानी उसके मन को छू रही थी—किस तरह लोग शहर की सुविधाओं से वंचित हैं, और किस प्रकार सरकारी योजनाएँ सही ढंग से नहीं पहुँच रही थीं।

राजु ने सलाह दी,
“राधा, यह प्रोजेक्ट केवल खबर नहीं है, बल्कि शहर के लिए सुधार का संदेश है। इसे प्रभावशाली बनाना होगा।”

राधा ने अपने लेख और वीडियो रिकॉर्डिंग तैयार किए।
संपादक ने कहा,
“यह प्रोजेक्ट शहर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। राधा, तुम्हारा काम सराहनीय है। इसे प्रमुख समाचार में प्रकाशित किया जाएगा।”

राधा की आँखों में खुशी और गर्व था।
“मेरी मेहनत अब सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि पूरे शहर के लिए उपयोगी है।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुमने साबित कर दिया कि मेहनत, ईमानदारी और साहस के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।”


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⭐ भाग 10 — हिस्सा 3

रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद, राधा को शहर और समाज में सम्मान मिला।
लोग उसकी मेहनत और ईमानदारी की सराहना करने लगे।
शिक्षक, सरकारी अधिकारी और आम नागरिक सीधे उससे मिलकर धन्यवाद देने लगे।
“आपने हमारे बच्चों और शहर के लिए आवाज़ उठाई। हम आपके आभारी हैं।”

राधा ने महसूस किया कि अब वह सिर्फ नौकरी करने वाली नहीं, बल्कि शहर और समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुकी थी।

लेकिन चुनौतियाँ खत्म नहीं हुई थीं।
अरमान जैसी साजिशें अब भी कहीं-कहीं नजर आती थीं, लेकिन राधा अब डरने वाली नहीं थी।
उसने मन ही मन कहा—
“अब मैं किसी भी झूठ, लालच या दबाव से डरने वाली नहीं हूँ। मेरी मेहनत और इज्जत ही मेरी सबसे बड़ी पूँजी हैं।”

राजु ने उसकी ओर देखकर मुस्कुराया,
“तुमने साबित कर दिया कि ईमानदारी और साहस के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।”


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⭐ भाग 10 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने शाम को घर लौटते हुए खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब डर, लालच और झूठ का प्रतीक नहीं रही।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और सफलता का प्रतीक बन गई थी।

उसने अपने आप से वादा किया—
“अब मैं किसी भी चुनौती से नहीं डरूँगी। चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ, मेहनत, ईमानदारी और हिम्मत ही मेरे मार्गदर्शक होंगे।”

माँ ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब शहर में सम्मान पा चुका है। तुमने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी बदलाव लाया है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कीं।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन केवल डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि समाज में उसकी पहचान और सम्मान से भरा हुआ था।

भाग 10 का अंत
राधा ने सीखा—नई चुनौतियाँ चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, मेहनत, ईमानदारी और साहस के साथ उन्हें पार किया जा सकता है। और राजु जैसे साथी हर मुश्किल में साथ रहते हैं।⭐ भाग 11 — हिस्सा 1

राधा अब शहर में केवल नौसिखिया रिपोर्टर नहीं रही थी, बल्कि समाज और शहर में अपनी पहचान बना चुकी थी।
उसकी मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी ने उसे नए सम्मान और अवसर दिए थे।

लेकिन अरमान, जिसने पहले कई बार उसे फँसाने की कोशिश की थी, अब अंतिम साजिश की तैयारी कर रहा था।
उसने अपने कुछ करीबी कर्मचारियों से कहा,
“राधा को ऐसा फँसाओ कि उसका नाम और काम दोनों बदनाम हो जाए। अब मैं इसे खत्म कर दूँगा।”

राधा को यह जानकारी राजु ने दी।
“राधा, सावधान रहो। अरमान की आखिरी चाल तुम्हारे खिलाफ आ सकती है। लेकिन डरने की जरूरत नहीं। हम इसे संभालेंगे।”

राधा ने मन ही मन कहा,
“अब डरना नहीं। मैंने पहले भी साजिशें झेली हैं। मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी के साथ मैं इसे भी पार कर लूँगी।”


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⭐ भाग 11 — हिस्सा 2

अरमान ने अगले दिन एक झूठी खबर फैलाने की योजना बनाई।
उसने मीडिया को फर्जी सबूत भेजे और कहा कि राधा ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए लोगों की कहानियों को बदलकर प्रकाशित किया।

राधा को यह पता चला तो उसका मन कांप उठा।
लेकिन उसने गहरी साँस ली और राजु से कहा,
“राजु, अब समय है अपनी पूरी मेहनत और ईमानदारी दिखाने का। मैं झूठ के सामने नहीं झुकूँगी।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“हिम्मत रखो राधा। हम सबूत के साथ सच्चाई सामने लाएँगे। तुम अकेली नहीं हो।”

राधा ने तुरंत अपने सभी नोट्स, रिकॉर्डिंग और इंटरव्यू की फाइलें तैयार की।
हर झूठ और हर साजिश का प्रमाण अब उनके हाथ में था।


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⭐ भाग 11 — हिस्सा 3

राधा और राजु ने सभी साक्ष्य संपादकों और वरिष्ठ अधिकारियों को दिखाए।
साबूतों के सामने अरमान की सारी साजिशें बेनकाब हो गईं।
संपादकों ने कहा,
“राधा, तुमने अपनी मेहनत और ईमानदारी से यह साबित कर दिया कि सच्चाई और हिम्मत के सामने झूठ कभी टिक नहीं सकता।”

अरमान अब मजबूर था।
उसकी नापाक चालें विफल हो चुकी थीं।
राधा ने महसूस किया—सच्चाई, हिम्मत और मेहनत के सामने कोई ताकत टिक नहीं सकती।

राजु ने उसकी ओर देखकर मुस्कुराया,
“तुमने आज न केवल खुद के लिए बल्कि समाज और पत्रकारिता के लिए भी जीत हासिल की। यह तुम्हारी असली सफलता है।”

राधा की आँखों में चमक और गर्व था।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन सिर्फ डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि सम्मान और पहचान से भरा हुआ था।


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⭐ भाग 11 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने शाम को घर लौटते हुए खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब केवल उसके डर या लालच का प्रतीक नहीं रही।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और सफलता का प्रतीक बन गई थी।

माँ ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब शहर और समाज में सम्मान पा चुका है। तुमने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी बदलाव लाया है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा,
“माँ, अब मैं जानती हूँ कि मेहनत, ईमानदारी और आत्मसम्मान से हर चुनौती पार की जा सकती है। चाहे कितनी भी बड़ी साजिश क्यों न हो।”

राजु पास खड़ा था और मुस्कुराते हुए कहा,
“आज तुम्हारी जीत सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पत्रकारिता और समाज के लिए भी प्रेरणा बन गई है।”

राधा ने महसूस किया कि अब उसके जीवन में डर और लालच का कोई स्थान नहीं रहा।
भाग 11 का अंत
राधा ने सीखा—सच्चाई, मेहनत, हिम्मत और आत्मसम्मान के साथ हर बड़ी चुनौती पार की जा सकती है। और अंतिम सफलता का पर्व हर प्रयास के बाद अवश्य आता है।⭐ भाग 12 — हिस्सा 1

राधा अब शहर में केवल एक रिपोर्टर नहीं रही थी, बल्कि उसका नाम ईमानदारी, साहस और मेहनत के प्रतीक के रूप में जाना जाने लगा था।
हर कदम पर उसके काम की तारीफ हो रही थी।

सुबह-सुबह, राजु ने उसे फोन किया,
“राधा, आज तुम्हारे लिए एक खास दिन है। शहर में तुम्हारी उपलब्धियों को मान्यता दी जाएगी। तैयार हो जाओ।”

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा,
“मैं तैयार हूँ। अब डर और लालच मेरे जीवन में कोई जगह नहीं रखते।”

घर से निकलते समय माँ ने कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब तुम्हें शहर में पहचान दिलाएगा। हमेशा अपनी इज्जत और मेहनत पर विश्वास रखो।”

राधा ने मन ही मन वादा किया—
“अब मैं अपने आत्मसम्मान, मेहनत और साहस को कभी खतरे में नहीं डालूँगी। और राजु हमेशा मेरा मार्गदर्शक रहेगा।”


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⭐ भाग 12 — हिस्सा 2

दिन का समय शहर के बड़े मीडिया हॉल में आया।
राधा को एक समारोह में बुलाया गया, जहाँ उसे सम्मानित किया जाना था।
राजु पास खड़ा था और उसकी मेहनत की तारीफ कर रहा था।

राधा ने मंच पर खड़े होकर कहा,
“मैं केवल अपनी मेहनत और ईमानदारी के लिए सम्मानित नहीं हुई हूँ। यह पुरस्कार उन सभी लोगों के लिए है, जो सच्चाई, हिम्मत और आत्मसम्मान के साथ अपने जीवन में संघर्ष कर रहे हैं।”

सभी लोग तालियाँ बजाने लगे।
राधा की आँखों में खुशी और गर्व था।
“मेरी मेहनत अब सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि समाज और शहर के लिए भी उपयोगी है।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुमने साबित कर दिया कि मेहनत, साहस और ईमानदारी के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।”

राधा ने महसूस किया कि अब वह केवल पत्रकार नहीं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा बन चुकी थी।


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⭐ भाग 12 — हिस्सा 3

समारोह खत्म होने के बाद, राधा और राजु शहर की सड़कों पर टहल रहे थे।
राधा ने कहा,
“राजु, अब मैं सिर्फ नौकरी नहीं कर रही हूँ, बल्कि समाज के लिए काम कर रही हूँ। यह मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि है।”

राजु ने सिर हिलाया,
“याद रखो राधा, यह सिर्फ शुरुआत है। आगे और बड़ी चुनौतियाँ आएंगी। लेकिन अब तुम मजबूत हो और हर चुनौती का सामना कर सकती हो।”

राधा ने मन ही मन वादा किया—
“मैं अब कभी पीछे नहीं हटूँगी। हर कठिनाई और चुनौती का सामना हिम्मत, मेहनत और ईमानदारी से करूंगी।”

शहर की रोशनी अब डर और लालच का प्रतीक नहीं थी।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और सफलता का प्रतीक बन गई थी।


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⭐ भाग 12 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने घर लौटते हुए माँ के पास जाकर कहा,
“माँ, आज मेरा जीवन नया मोड़ ले चुका है। अब मैं अपने और समाज के लिए कुछ कर सकती हूँ। और राजु हमेशा मेरे साथ है।”

माँ ने मुस्कुराते हुए कहा,
“बेटी, तुम्हारी मेहनत और हिम्मत ने तुम्हें शहर और समाज में पहचान दिलाई है। यह तुम्हारी सच्ची सफलता है।”

राधा ने खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब डर, लालच या झूठ का प्रतीक नहीं थी।
बल्कि यह उसकी मेहनत, ईमानदारी और साहस का प्रतीक बन गई थी।

राजु ने उसके हाथ थामे और कहा,
“अब हम मिलकर अपने भविष्य की योजनाएँ बना सकते हैं। तुमने साबित कर दिया कि सच्चाई, मेहनत और साहस के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कीं।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन केवल डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि समाज में उसकी पहचान और सम्मान से भरा हुआ था।

भाग 12 का अंत
राधा ने सीखा—नई पहचान और सम्मान मेहनत, ईमानदारी, साहस और सही साथी के साथ ही संभव है। और भविष्य की हर चुनौती अब सामना करने योग्य है।⭐ भाग 13 — हिस्सा 1

राधा अब सिर्फ पत्रकार नहीं रही थी, बल्कि समाज में बदलाव की प्रेरणा बन चुकी थी।
शहर के लोग उसकी मेहनत, ईमानदारी और साहस की सराहना करने लगे थे।

सुबह-सुबह राजु ने कहा,
“राधा, अब तुम्हारा अगला कदम समाज के लिए बदलाव लाना होना चाहिए। शहर में तुम्हारी पहुँच और पहचान अब एक अवसर है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया,
“मैं तैयार हूँ। अब मेरी जिम्मेदारी सिर्फ खबर लिखने की नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की है।”

उस दिन राधा ने अपने ऑफिस से कुछ नए प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार की।
इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीब बच्चों के लिए नई पहल शामिल थी।
राजु हर कदम पर उसके साथ था, मार्गदर्शन और मदद के लिए।

राधा ने महसूस किया—अब उसकी जिम्मेदारी केवल रिपोर्टिंग की नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की है।


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⭐ भाग 13 — हिस्सा 2

राधा ने शहर के स्कूलों, अस्पतालों और गरीब इलाक़ों का दौरा किया।
हर जगह उसने समस्याओं को देखा और उनके समाधान के लिए रिपोर्ट तैयार की।

राजु ने कहा,
“राधा, यह सिर्फ रिपोर्ट नहीं है। यह समाज के लिए संदेश है। इसे प्रभावशाली बनाना होगा।”

राधा ने अपने लेख और वीडियो रिकॉर्डिंग तैयार किए।
संपादक ने कहा,
“राधा, तुम्हारा काम अब केवल खबर नहीं, बल्कि समाज के लिए मार्गदर्शन बन गया है। इसे प्रमुख समाचार में प्रकाशित किया जाएगा।”

राधा की आँखों में चमक थी।
“मेरी मेहनत और ईमानदारी अब केवल मेरे लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए उपयोगी हैं।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुमने साबित कर दिया कि मेहनत, ईमानदारी और साहस के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।”


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⭐ भाग 13 — हिस्सा 3

रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद, राधा को समाज और शहर में सम्मान मिला।
लोग सीधे उससे मिलने लगे और धन्यवाद कहा,
“आपने हमारे बच्चों और शहर के लिए आवाज़ उठाई। हम आपके आभारी हैं।”

राधा ने महसूस किया कि अब वह सिर्फ नौकरी करने वाली नहीं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुकी थी।

लेकिन चुनौतियाँ अभी खत्म नहीं हुई थीं।
कुछ भ्रष्ट अधिकारी और अरमान जैसी पुरानी साजिशें अब भी कहीं-कहीं नजर आती थीं, लेकिन राधा अब डरने वाली नहीं थी।
उसने मन ही मन कहा—
“अब मैं किसी भी झूठ, लालच या दबाव से डरने वाली नहीं हूँ। मेरी मेहनत और इज्जत ही मेरी सबसे बड़ी पूँजी हैं।”

राजु ने उसकी ओर देखकर मुस्कुराया,
“तुमने साबित कर दिया कि ईमानदारी और साहस के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।”


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⭐ भाग 13 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने शाम को घर लौटते हुए खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब डर, लालच और झूठ का प्रतीक नहीं रही।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और समाज के लिए किए गए योगदान का प्रतीक बन गई थी।

माँ ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब शहर और समाज में सम्मान पा चुका है। तुमने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी बदलाव लाया है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा,
“माँ, अब मैं जानती हूँ कि मेहनत, ईमानदारी और आत्मसम्मान से हर चुनौती पार की जा सकती है। और राजु हमेशा मेरे साथ है।”

राजु ने उसके हाथ थामे और कहा,
“अब हम मिलकर अपने समाज के लिए नई पहल और बदलाव ला सकते हैं। तुम्हारी मेहनत अब केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गई है।”

राधा ने अपनी आँखें बंद कीं।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन केवल डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि समाज में उसकी पहचान और सम्मान से भरा हुआ था।

भाग 13 का अंत
राधा ने सीखा—सच्चाई, मेहनत, हिम्मत और आत्मसम्मान से समाज में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। और सही साथी के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।

rajukumarchaudhary502010

अब मैं उसको खत नहीं लिखता, बेटा उसका पढ़ने लायक हो गया है।

anisroshan324329

नारी
शब्द नहीं, संपूर्ण जीवन का विस्तार है,
सृष्टि की पहली धड़कन, धरा का कोमल उपहार है।

उसकी आँखों में सभ्यताओं का उजाला जलता है,
उसके आँचल में आशीषों का सागर पलता है।
ममता की धूप भी वही, करुणा की छांव भी वही,
वो थक जाए तो दुनिया रुके, फिर भी कहे“मैं वही।”

नारी ऊर्जा है, जो अंधेरों में दीप जला सकती है,
शक्ति है, जो टूटे मन को भी पर्वत बना सकती है।
वो जन्म देती है, फिर सपनों को पंख पहनाती है,
अपने दर्द छुपाकर भी, जग को हँसना सिखाती है।

उसकी चुप्पी में तप है, उसकी वाणी में वेद,
वो अकेली ही बना लेती है— मां, बहन, साथी, अवधेद।
जीवन की हर भूमिका में भावों का संगीत है,
नारी केवल देह नहीं वो स्वयं एक अनादि प्रगीत है।

सम्मान उसका धर्म है, आदर उसका स्वभाव,
जहाँ नारी का मान नहीं वहाँ कैसा उगता प्रभाव?
उसका सम्मान करो
क्योंकि दुनिया की हर सुबह उसकी कोख से गुजरती है,
और हर संस्कृति उसकी आत्मा की रोशनी से संवरती है।

नारी
सुंदरता की मूरत भी, ममता का मंदिर भी,
संघर्षों की तपस्विनी भी, जीवन का समंदर भी।

वो झुकती नहीं—
वो बस संसार को सँभालने के लिए थोड़ा मुड़ती है,
नारी कभी कमज़ोर नहीं
वह बस रिश्तों को मजबूत करने में खुद टूटती है।

नमन उस नारी शक्ति को
जिसके बिना यह जग सिर्फ़ एक अधूरी कहानी है…

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

❤️❤️❤️

ammu732249

ફેલાવ તું પાલવ ને એક સાંજ ઢળી જાય,
સુરજ પાછળ સંતાયેલી એક રાત પડી જાય.. ✍🏻✍🏻 ભરત આહીર

bharatahir7418