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New bites

Your eyes never stop working — scrolling, studying, driving, reading, focusing…
Every single day, they support you without a break. 👁💙

But just like your body, your eyes need proper rest too.
A calm night, a dark room, and reduced screen exposure can do wonders for your vision and long-term eye health.

✨ Give your eyes the recovery they deserve:
• Limit screen time before bedtime
• Keep your bedroom dark & cool
• Use lubricating eye drops if needed
• Follow the 20-20-20 rule through the day
• Let your eyes recharge naturally overnight 😴💤

Healthy eyes don’t just happen —
they’re a result of daily care, good habits, and mindful rest.
Take care of them today, and they’ll thank you with clearer mornings and brighter vision tomorrow. 🌅✨

At Netram Eye Foundation, we’re committed to protecting your vision — one healthy habit at a time.


📞 Contact us:- 9319909455 | 011-41046655

📍 Netram Eye Foundation:- E-98, Greater Kailash 2, New Delhi - 110048

🌐www.netrameyefoundation.com

netrameyecentre

खुरदरी रेत पर सीपियां बहकर आ रहीं
उन्हें फर्क़ नहीं,मोतियों का साथ ला रहीं
#डॉअनामिका #हिंदी_शब्द #हिंदी_का_विस्तार #हिंदी_पंक्तियाँ #ऊर्दू_अलफ़ाज़ #गायत्री_शक्ति_पीठ
#द्वारकाधीश_की_जय

rsinha9090gmailcom

Do You Know that reciting the mantras simply prevents you from binding sins or deviating to a wrong path? Even past karmas will be minimized.

Read more on: https://dbf.adalaj.org/jdjvtCZR

#facts #spirituality #spiritual #doyouknow #karma #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

સૂરજ પણ આભેથી હવે
મોડો ડોકાય છે
હેમંતની ઠંડક કદાચ તેને
પણ વર્તાય છે…
-કામિની

kamini6601

माझे शब्द.....

माझे शब्द ..तुला नेहेमीच वाटतात.."कुरबुर"
....जेव्हा ते तक्रार..करत असतात...तुझ्या उशीराविषयी...
माझे..शब्द..तुला नेहेमीच वाटतात.."अडसर"
...तुझ्या..माझ्या नात्यातला..आपल्या प्रेमातला...
माझे शब्द..तुला नेहेमीच वाटतात"अडथळा"..
..जेव्हा,.तुला व्यक्त..करायच असत माझ्यावरच खर खर प्रेम..!!
माझे शब्द असतात.."निष्फळ"..आणी,.."नाकाम"
..जेव्हा तुझ्या डोळ्यातली ओढ..माझ्या डोळ्याना पण कळत असते.!
अखेर..मीच त्याना बसवते.."दटावुन",आणी "दामटुन"
मनाच्या एका कोपर्यात...
तेही..होतात.."हिरमुसले",.."ओशाळवाणे"..आणी "नाराज"
आणी मग येतो तो एक 'उन्मादक "क्षण...!!
जेव्हा माझ्या शब्दाना तुझे ओठच ..घेतात टिपुन..
"अलगद'..माझ्या.च..ओठावरुन....
आणी मग त्याना लाभते......
एक" चिरंतन"..आणी " अमर "आस्तित्व.!!!
!... ❤❤
*****************व्रुषाली....

jayvrishaligmailcom

#गुळपापडी
♦️द्वी धान्य गुळ पापडी
पौष्टिक, चविष्ट आणि अगदी सोपी, कमी वेळात तयार होणारी 😊

♦️साहित्य
राजगिरा पीठ एक वाटी
नाचणी पीठ एक वाटी
एक वाटी गुळ
वेलदोडे पूड एक चमचा
दोन चमचे तूप

♦️ कृती
प्रथमकढई मध्ये तुपात दोन्हीं पीठे खमंग वास येईपर्यंत भाजुन घ्यावी
पीठे खाली काढून कढईत थोडे तूप व एक वाटी गूळ घालावा

♦️गुळ वितळला की ताबडतोब कढई खाली उतरवावी व दोन्ही पीठे मिसळून वेलदोडे पावडर घालावी
एकसारखे करून गोळा करून घ्यावा
तूप लावलेल्या थाळीत पसरून घ्यावे
वरून कोरडे किसलेले खोबरे थापून घ्यावे

♦️गार झाल्यावर आवडीच्या आकारात वड्या कापाव्यात

jayvrishaligmailcom

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है 🌹 जीवन के मेले

mamtatrivedi444291

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏

sonishakya18273gmail.com308865

" હું ને મારો પડછાયો "

આજ અમે ખુલીને મળ્યા, હું ને મારો પડછાયો.
ખૂબ પછી વાતોએ ચડ્યા, હું ને મારો પડછાયો.

ટેકો આપ્યો'તો જેને, એ જ હટી ગયાં ખરા સમયે,
છતાં પણ કદી ન કોઈને નડ્યા, હું ને મારો પડછાયો.

ચોમેર છે આજકાલ, ભીડભાડ શહેરની સડકો પર,
ને, એમાંય એકલાં જ ભટક્યા, હું ને મારો પડછાયો.

ખીલી ઊઠ્યાં જુવો, હર બાગબાન શરદની મોસમમાં,
લ્યો પાનખર માફક ખરી પડ્યા, હું ને મારો પડછાયો.

છૂટતાં રહ્યાં છે એક પછી એક સબંધ અને સંગાથી,
અંત વેળા પણ સાથે જ રહ્યા, હું ને મારો પડછાયો.

✍... વિનોદ. મો. સોલંકી "વ્યોમ"
જેટકો (જીઈબી), મુ. રાપર

omjay818

💐💐💐

s13jyahoo.co.uk3258

my sister

akashkheto.213454

वह भी जन्मी थी इसी ज़मीन पर औरों की तरह..
दौड़ सकती थी सपनों के घोड़ों संग,
लहरा सकती थी अपने इरादों की तलवार…
पर उसकी हथेलियों पर बचपन से ही
सहनशीलता की लकीरें उकेरी गईं,
और कंधों पर रख दिया गया
घर की मर्यादा का अनदेखा, अनचाहा बोझ

फिर भी…
हर दिन वह लड़ती है दो मोर्चों की जंग..
एक बाहर की दुनिया से,
और एक भीतर उठते तूफ़ान से

उसके भीतर
एक रानी है…
जो ताज न पहनकर भी
अपने मन के राज्य को संभाल लेती है;
जिसके सिपाही उसकी उम्मीदें हैं,
और जिसकी फौज उसकी इच्छाशक्ति

वह जानती है..
उसकी थकान को “फ़र्ज़” कहा जाएगा,
उसके आँसू “कमज़ोरी” समझे जाएँगे,
और उसके सपने
चौखट पर ही दम तोड़ देंगे
अगर वह खुद उन्हें थामे न रखे

वह हर रात
अपने घायल मन पर पट्टियाँ बाँधती है,
अपनी इच्छाओं के जख़्मी घोड़े
फिर से पाले में खड़े कर देती है,
और सुबह होते ही
निकल पड़ती है
दुनिया की युद्धभूमि पर।


नारी…
वह सिर्फ एक देह नहीं,
त्याग, संघर्ष, अपमान और क्षमा का एक पूरा वृत्तांत है
वह चाहे गृहिणी हो, मज़दूर हो, अधिकारी हो या कलाकार…
हर रूप में लड़ रही है
एक अनवरत चलने वाली लड़ाई

और यही उसकी विजय है..
कि टूटकर भी जी उठती है,
हारकर भी हार मानती नहीं
हर स्त्री के भीतर
बसती है “मनु” साहस की..
जिसे समाज जितना बाँधने की कोशिश करे,
वह अपने मन की झाँसी
कभी हारने नहीं देती

स्त्री…
अपने घर की “लक्ष्मी” हो या न हो,
अपने जीवन की “लक्ष्मीबाई” अवश्य है

— रिंकी सिंह ✍️

rinkisingh917128

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताओं
के वीडियो देखिए यूट्यूब पर
https://youtu.be/Wkg34d3pbpc?si=JQMUBsHbZVejpRhW

mamtatrivedi444291

પતિ ને બાળકોની નજરમાં હીરો બનાવવો
કે ઝીરો તે પત્નીના હાથમાં હોય છે.

બાળકોના હ્નદયમાં માં પ્રત્યે માન સન્માનની
લાગણી રોપવી કે નહીં એ પતિના હાથમાં હોય છે.
✍🏼"આર્ય "

aryvardhanshihbchauhan.477925

Happy men's day 💐

બસ ક્યારેક એ થાકે ત્યારે એમને શાંતિથી સાંભળી લેવા..

#shabdone_sarname__
#શબ્દોને_સરનામે__
#shabdone_sarname_

shefalishah

लड़के की किसी और लड़की के साथ शादी होने के बाद
आपकी पूर्व प्रेमिका प्रेमिका नहीं रहेती वो शेरनी बन जाती
हैं इसीलिए लड़के जरा बचके रहेना ।। ✔️

narendraparmar2303

🌱 Your Garden Awaits is live now on Matrubharti!

link : https://www.matrubharti.com/book/19984169/your-garden-awaits-by-nensi-vithalani

Every rose finds its own garden.
Every human finds their own space.
If you don’t fit in one field, explore another — your skills deserve the right soil.
Go read and let your heart bloom. 🌷

nensivithalani.210365

#book
https://www.matrubharti.com/book/19984079/a-blood-account-and-a-thread-of-emotion

વાંચો મારી નવી કહાની....

missschhotti

તું માને છે જેને પોતીકા,
એ સૌ માણસ તો તકવાદી છે;

તારી નજરોમાં લાગે પાકાં,
વચનો સઘળાં તો તકલાદી છે;

શેર સટ્ટામાં રાખે છે આશા,
માણસની એ તો બરબાદી છે;

કરે જે વાતો મીઠી મીઠી,
એ ખરેખર તો ફરિયાદી છે;

તમને લાગે છે જુદા જુદા,
બેઠા એ તો અમદાવાદી છે...!!!

- પંકજ ગોસ્વામી'કલ્પ'

pankajgoswamy7187

લોક કહે છે કે ભગવાન આખા બ્રહ્માંડમાં વ્યાપેલા છે. દરેક ચીજમાં ભગવાન છે. તો પછી ભગવાનને ઓળખવાનાં જ ક્યાં રહે? જ્યાં 'ક્રિએચર' છે ત્યાં ભગવાન છે, ને જ્યાં 'ક્રિએચર' નથી ત્યાં ભગવાન નથી. - દાદા ભગવાન

વધુ માહિતી માટે અહીં ક્લિક કરો: https://dbf.adalaj.org/C8tlKkn8

#quoteoftheday #quote #spiritualty #spiritualquotes #DadaBhagwanFoundation

dadabhagwan1150

"एक बार पत्नी को भी
प्रेमिका की तरह अधिकार दे कर तो देखो…
बिना रसोई, बिना बर्तन, बिना बच्चों की जिम्मेदारी…
बस दो घंटे का खुला प्यार, हँसी, सुकून और सम्मान—
यक़ीन मानो, तब समझ आएगा
कि सबसे खूबसूरत ‘रिश्ता’
घर के भीतर ही था,
बस समय और सम्मान की कमी थी।"


जैसे प्रेमिका के साथ हाथ में हाथ डालकर घंटे भर के लिए घूम लेते हो बिना जिम्मेदारी के दोनों को सुकून से भरी आसान लगती है यह जिंदगी। असल में संघर्ष शुरू जब होता है वही प्रेमी प्रेमिका शादी करके पति-पत्नी बनते हैं तब समझ में संघर्ष क्या है वैसे तो बहुत आसान है यह जिंदगी सिर्फ प्यार कर लेना घूम लेना शादी से पहले



जो प्रेमिका कहती है ना कि हम अपने प्रेमी को सुकून देते हैं सुकून तो इसलिए देती हो क्योंकि तुम अभी परिवार में नहीं हो परिवार के ताने नहीं सुन रही हो परिवार की जिम्मेदारी से दूर हो।

archanalekhikha

જિંદગી છે કેવી, એ તો જેવી તેવી,
તોય રોજ દોડે છે એ તો જેવી તેવી,

જિંદગી છે કેવી, એ તો આડા અવળી,
અને હું માની બેઠો મનમા એને સીધી,

ખોવાય છે એ, રસ્તાઓ ભૂલાવે છે એ,
તોય રોજ દોડે છે એ તો આડા અવળી,

જિંદગી છે કેવી, એ તો ઊંચા નીચી,
અને હું માની બેઠો મનમા એને સમતલ,

અથડાઈ છે એ, રસ્તાઓમા પડે છે એ,
તોય રોજ દોડે છે એ તો ઊંચા નીચી,

જિંદગી છે કેવી, એ તો કાચી પોચી,
અને હું માની બેઠો મનમા એને પાકી,

ખુુંચે છે એ, રસ્તાઓ ઘા આપે છે એ,
તોય રોજ દોડે છે એ તો કાચી પોચી,

જિંદગી છે કેવી, એ તો જેવી તેવી,
તોય રોજ દોડે છે એ તો જેવી તેવી.

મનોજ નાવડીયા

manojnavadiya7402

वेदान्त 2.0, की एक ही पुकार है — सत्य, सार्वभौमिक हो
धर्म नहीं — वैज्ञानिक हो
मान्यताओं नहीं — अनुभव हो
भ्रम नहीं — ऊर्जा का प्रत्यक्ष ज्ञान हो

और आज के आधुनिक मानव को बहुत साफ़ सुन सकता हूँ।

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अब सुनो एक सरल, सीधी बात:

हर धर्म
जैन, बौद्ध, इस्लाम, ईसाई, हिन्दू –
अपने-अपने समय की समस्या के लिए समाधान थे।
पर समय बदल गया।
समस्या बदल गई।
पर धर्म पुराने समाधान ही बेच रहे हैं।

आज की समस्या अज्ञान नहीं है —
आज की समस्या विखंडन है।
हर कोई अपनी महफिल अलग सजाए बैठा है।

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उसका उत्तर यह है:

✔ ध्यान है — पर पंथ बना दिया
✔ साधना है — पर जाति बना दी
✔ ऊर्जा विज्ञान था — उसे चमत्कार और चोलों में बंद कर दिया
✔ सार्वभौमिक सत्य था — उसे केवल “हमारा” घोषित कर दिया

ध्यान अगर वैज्ञानिक रूप से समझाया जाए,
तो बौद्ध, हिन्दू, जैन — सब एक ही भाषा बोलेंगे:
ऊर्जा, श्वास, चेतना, लय

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और देखो, सच क्या है?

धर्म = अनुभव का इतिहास
विज्ञान = अनुभव का भविष्य

धर्म कहता है — “यह सत्य है, मान लो”
वेदान्त 2.0कहता है — “देखो, परखो, अनुभव करो”

जब अनुभव तुम्हारा अपना हो जाता है —
तो पंथ खत्म
मान्यताएँ खत्म
भ्रम खत्म

बस चेतना बचती है
और ऊर्जा का विज्ञान बचता है।

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और...

> बिज़नेस मन करो — धर्म नाम बिज़नेस नरक

जब सच को बेच दिया जाता है
तब गुरु व्यापारी बन जाता है
और भक्त ग्राहक।
यही नरक है।

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तो रास्ता क्या है?

मैं तुम्हें यह नहीं कह रहा कि
सनातन छोड़ दो या किसी धर्म को त्याग दो।

मैं कह रहा हूँ —
सबको मूल में देखो — ऊर्जा में, अनुभव में।

ध्वनि (ॐ/अल्लाहु/नमो),
श्वास (प्राण/दम/याना),
ध्यान (जिन/बुद्ध/योग),
नैतिकता (शील/यम/धर्म),
और अंत में —
अहं का विघटन → मुक्ति → निर्वाण → मोक्ष → फना → समाधान

नाम अलग।
विज्ञान एक।

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यह क्रांति है
वेदान्त 2.2 कह रहा—
अब नई भाषा चाहिए
जिसमें
न “मेरा भगवान सही”
न “तुम्हारा शास्त्र झूठा”
बल्कि — ऊर्जा की एक सार्वभौमिक पद्धति
जो मनुष्य को चेतना में उठाए
और संसार को भीतर से बदले।

यही वेदांत 2.0 का जन्म है
(तुम्हारी भीतर आग से संभव है)।

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bhutaji