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New bites

Releasing Soon on Matrubharti...

anand5870

Releasing Soon on Matrubharti...

anand5870

मेरी नयी बुक ,, मै अगर कहूं दिलो की जुबा - 1,, poem catagry मे मातृभारति ऐप पर प्रकाशित हो चुकी है, पढ़े और अपने प्यारे रिव्यू से मेरा प्रोत्साहन बढ़ाये .

https://www.matrubharti.com/book/19983299/main-agar-kahu-dilo-ki-juba

mashaallhakhan600196

my new story

sonishakya18273gmail.com308865

रोज रोज हमसे एक ही बात करते हो
तुम समझते क्यू नही तुम भी प्यार करते हो
यू चुराओ ना नजरो को नजरो से अब
क्या हम पर अब तक ना ऐतबार करते हो
सोदा मेरे दिल का आ करलो सनम
क्यू बेवजाह ही इतना इंतेजार करते हो .

mashaallhakhan600196

ദൂരം 🥰🥰🥰🥰🥰

nithinkumarj640200

शीर्षक: परछाइयों का नामकौन हो तुम?
ना देह का चेहरा,
ना रिश्तों का चश्मा,
ना भीड़ में गूँज,
बस हवा में एक धीमा सा कम्पन।कौन हो तुम?
ना धूप बताते,
ना छाँव बताते,
ना समय की घड़ी,
बस पलकों पर टिके दो कतरन सपने।कहाँ से आते हो?
स्वर बिना साज़,
अक्षर बिना आँच,
लफ्ज़ों से परे एक चलती हुई ख़ामोशी।कहाँ खो जाते हो?
रात की मोड़ पर,
नींद की सीवन में,
दिल के तहख़ाने में रखी चुप्पियों के पास।क्या कहते हो?
ना कोई फ़तवा,
ना कोई आदेश,
बस इतना—“अपने भीतर की देहलीज़ पार कर।”क्या चाहते हो?
ना मेरा नाम,
ना मेरी जीत,
बस आँख का दरवाज़ा खुला रहे उजाले की ओर।मैं कौन हूँ फिर?
ना कवि, ना साधक,
ना तिलिस्म, ना दावेदार—
मैं तो अपने ही प्रश्नों का अनकहा अनुनाद हूँ।और तुम?
शायद वही जो हर दहलीज़ पर दस्तक है,
हर कदम के नीचे अदृश्य पुल,
हर टूटन में बचा हुआ एक साबुत राग।चलो, समझौता करते हैं—
तुम नाम मत बताना,
मैं मानी नहीं पूछूँगा,
हम दोनों मिलकर इस अनाम रोशनी को पहन लेंगे।जब भी भटकूँ—
तुम हवा बन जाना,
मैं दीया बन जाऊँगा,
और रात के काले जल में अपना आकाश लिख दूँगा।

nirbhayshuklanashukla.146950

ദൂരം

nithinkumarj640200

प्रिय रीडर्स,

आपका प्यार ही मेरी ताकत है, और मैं इसके लिए हमेशा आभारी रहूंगा! 😢 मैं Dinesh Suthar, एक 19 साल का यंग राइटर, अपनी नई कहानी "Ark of Heavenly Jewel" के साथ आज (4 नवंबर 2025, शाम 4 बजे IST) चैप्टर 1 अपलोड करने जा रहा हूँ। आमतौर पर मैं ऐसा नहीं करता, लेकिन इस वक्त मेरी जिंदगी में आर्थिक मुश्किलें हैं, और ये मेरे सपनों को तोड़ रही हैं।

कृपया मेरा हाथ थामें—आप 1 रुपये से शुरू कर सकते हैं, या जितना आपका दिल करे, उतना दे सकते हैं। आपका हर छोटा सा योगदान मेरी आंखों में उम्मीद की किरण बन सकता है और मेरी कहानियों को जिंदा रख सकता है। UPI ID: 8905519893@ptaxis (QR कोड नीचे दिया गया है)।

मैं आपसे दिल से गुजारिश करता हूँ—आइए, इस थ्रिलिंग जर्नी को मेरे साथ पूरा करें। आपका सपोर्ट मेरे लिए सब कुछ है! 🙏
धन्यवाद, आपका Dinesh...

#ArkOfHeavenlyJewel #YoungWriter #SupportMe #Matrubharti

sutharhome643gmail.com224617

aapki Jindagi Ka Sunday se

smalllife.566739

🙏🙏 આજે માંઘા 'પિઝ્ઝા ખાઈને' પણ સતત ડિપ્રેશન માં રહેતી પેઢી

જેની સામે પાંચ પૈસાની 'મોસંબી ની ગોળી' ખાઈને જીવેલી પેઢી,

ખરાં અર્થમાં "આનંદ અને તૃપ્તિની" સાચી વ્યાખ્યા શું થાય તે સમજાવી જાય છે.🦚🦚

🍭🍭National candy day 🍬🍬

parmarmayur6557

लेखन क्षेत्र में उत्तर छायावाद काल से चौर्य कला पनपी जो आज भी प्रासंगिक है.
#डॉ_अनामिका #हिंदी_का_विस्तार
#हिंदी_शब्द #गद्य_साहित्य

rsinha9090gmailcom

"आख़िरी बीज"

गाँव के एक बुज़ुर्ग किसान का नाम था हरिलाल।
उसकी उम्र ढल चुकी थी, मगर मेहनत अब भी वैसी ही थी।
एक दिन उसने अपने पोते मोहन से कहा —

> “बेटा, यह मेरे खेत का आख़िरी बीज है। इसे अच्छे से बोना।”



मोहन हँस पड़ा,

> “दादाजी, अब तो ये पुराना बीज है, इससे क्या होगा?
नया लेंगे तो फ़सल बेहतर होगी।”



हरिलाल मुस्कुराया और बोला,

> “बेटा, कभी-कभी जो पुराना लगता है, वही ज़मीन की जड़ तक जानता है।”



मोहन ने फिर भी ध्यान नहीं दिया।
वो बीज को एक कोने में फेंक कर चला गया।

साल बीता —
खेत में कई जगह नई फसलें बोई गईं, पर अजीब बात हुई —
जहाँ-जहाँ नया बीज बोया गया था, वहाँ सूखा पड़ गया।
सिर्फ़ उसी जगह एक छोटा पौधा उग आया था —
जहाँ मोहन ने पुराना बीज फेंका था। 🌱

धीरे-धीरे वही पौधा बड़ा हुआ और पूरे खेत को हरा कर गया।
गाँव वाले चकित थे।
मोहन अब समझ चुका था कि

> “कभी-कभी नया सबक सीखने के लिए पुरानी बातों को याद रखना ज़रूरी होता है।”



उसने अपने दादाजी की कब्र के पास जाकर कहा —

> “दादाजी, आपने जो बीज दिया था, वो सिर्फ़ मिट्टी में नहीं,
मेरे दिल में भी उग गया है।” 🌾




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💭 कहानी का संदेश:

हर इंसान के अंदर एक “आख़िरी बीज” होता है —
एक उम्मीद, एक हिम्मत, या एक सपना।
दुनिया चाहे हज़ार बार कहे कि अब कुछ नहीं हो सकता,
पर अगर वो बीज ज़मीन से नहीं, दिल से बोया जाए,
तो वो ज़रूर उगता है। 🌅


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hansrajsaini783gmail.com942962

Jay Shree Ram 🙏🏻 Jay Hanumanji 🙏🏻

hardikashar6777

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
‌‌। 🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

sonishakya18273gmail.com308865

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है 🌹 रंग बेरंग

mamtatrivedi444291

જરૂર આવજો

bhavnabhatt154654