मिले हैं आज फिर यूँ, दिल में इक अरमाँ जगा है,
इस त्योहार तेरे साथ खुशियों का ये समाँ है।
चराग़ों की है ज़िया, हर सू है रौशनी,
तेरी आँखों में मगर, एक और जहाँ बसा है।
भूल कर सारे गम, आओ जश्न-ए-बहाराँ करें,
जो गुज़रे पल हसीं, वो भी एक दास्ताँ है।
तेरी हर बात पे, हाँ कहने को जी चाहता है,
ये कैसी कशिश है, ये कैसा तेरा बयाँ है।
दुआ है 'अर्श' से मेरी, ये सिलसिला रहे जारी,
ये दोस्ती, ये मुहब्बत, अपना प्यारा मकाँ है।