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1️⃣ ब्रह्मचर्य — ऊर्जा का धर्म ✧
ब्रह्मचर्य =
ऊर्जा का सर्वहित में उपयोग।

वृक्ष फल देता है → खुद नहीं खाता
नदी बहती है → खुद नहीं पीती
सूरज चमकता है → खुद को नहीं रोशन करता

देने में उसका अस्तित्व है।
रोकने में नहीं।

जहाँ ऊर्जा अपनी सीमाओं से बाहर बहकर
किसी और के काम आए
वही ब्रह्मचर्य है।

ब्रह्मचर्य ना मर्द का गुण है,
ना किसी संन्यासी का नियम —

> यह प्रकृति का स्वभाव है।
सृजन का ईमान है।

ब्रह्मचर्य का मतलब दमन नहीं —
समर्पण है।

---

✧ 2️⃣ काम — जन्म की मूल ज्वाला ✧

काम =
सृजन की भूख
जीवन को आगे ले जाने की शक्ति।

जन्म काम है,
पालन काम है,
विकास काम है,
मृत्यु तक ऊर्जा का चक्र काम है।

प्रेम भी काम है।
संतान भी काम है।
कला भी काम है।

जिस दिन काम बुझ जाए
उस दिन जीवन की गति रुक जाए।

इसलिए काम को पाप कहना —
अस्तित्व का अपमान है।

> काम सृष्टि का बीज है।
काम बिना जीवन अधूरा है।

---

✧ 3️⃣ वासना — मैं का जहर ✧

काम का जब लक्ष्य सिर्फ अपना सुख बन जाए
जब ऊर्जा रुके, समेटे, छीन ले

तो वही वासना बनती है।

> काम + स्वार्थ = वासना

मैं–मैं–मैं…
मेरे सुख,
मेरे भोग,
मेरी लिप्सा —

यहाँ सृजन नहीं,
सड़न पैदा होती है।

वासना ऊर्जा को नीचे खींचती है
और व्यक्ति दूसरों को साधन बना देता है।

> वासना उस फल जैसी है
जो वृक्ष खुद खा जाए।

---

✧ तीनों का अंतर एक पंक्ति में ✧

> काम — ऊर्जा है
वासना — ऊर्जा का स्वार्थ
ब्रह्मचर्य — ऊर्जा का समर्पण

4️⃣ हनुमान — ब्रह्मचर्य का साक्षात् अनुभव ✧

(व्यक्ति नहीं, ऊर्जा-विज्ञान की चरम उपलब्धि)

हनुमान ब्रह्मचारी इसलिए नहीं
कि वे स्त्री से दूर थे।

बल्कि इसलिए —
कि उनकी काम-ऊर्जा
पूरा का पूरा “किसी और” के लिए बहती थी।

उनका अस्तित्व एक ही दिशा —
सेवा, समर्पण, सर्वहित।

> ऊर्जा जब “मैं” का घर जलाकर
“तू” का मंदिर बना दे —
वही ब्रह्मचर्य हनुमान है।

उनके भीतर भी
ज्वालामुखी जैसी काम-शक्ति थी।
पर वह नीचे नहीं गिरी —
ऊपर उठ गई।

राम के प्रेम में
भक्ति बन गई।

---

हनुमान की दृष्टि

स्त्री = सम्मान
नारीदेह = मंदिर
ऊर्जा = आदर

इसलिए कोई भय नहीं,
कोई लालसा नहीं,
कोई स्वार्थ नहीं।

> प्रेम जब स्वहित रहित हो —
वही भक्ति कहलाता है।

हनुमान का प्रेम यह भक्ति है।
और भक्ति ही ब्रह्मचर्य है
ऊर्जा के विज्ञान में।

---

संक्षेप में —

हनुमान की पूरी पहचान तीन शब्दों में:

> काम → प्रेम
प्रेम → भक्ति
भक्ति → ब्रह्मचर्य

यही उनकी महिमा है।

---

इसलिए —

जो स्त्री से डर जाए → वह ब्रह्मचारी नहीं

जो प्रेम को वासना में गिरा दे → वह बंधन में

जो प्रेम को सेवा बना दे → वही हनुमान की राह

> हेतु राम — फल राम — श्वास राम
ऐसी दिशा जब किसी को मिल जाए
वो स्वयं — हनुमान हो जाता है।

---

निष्कर्ष

> हनुमान ब्रह्मचर्य की पराकाष्ठा हैं —
पर ब्रह्मचर्य प्रकृति की जड़ है।

> हनुमान उदाहरण हैं,
ब्रह्मचर्य आधार है।
नकली ब्रह्मचर्य की नंगी सच्चाई ✧

(आलोचना — बिना संस्कारी मेकअप)

1️⃣ स्त्री-भय को ब्रह्मचर्य कहना

आज ब्रह्मचर्य का मतलब बना दिया:

> “स्त्री से दूर भागो”

भाई, डरपोक को भी दूर भागना आता है।
डर + दमन = धर्म नहीं, बीमारी।

---

2️⃣ काम को दुश्मन बनाना

जिससे सृष्टि चल रही है,
उसी को पाप घोषित कर दिया!
यह ऐसा है जैसे —
बीज से बाग को अलग कर दो।

काम को गाली देकर
ब्रह्मचर्य का जन्म नहीं होता,
सिर्फ कुंठा पैदा होती है।

---

3️⃣ ऊर्जा बन्द — जीवन बन्द

गुरु क्या सिखाते हैं?
“न छूना, न देखना, न सोचना”
नतीजा?
ऊर्जा नीचे दबती,
मन गंदा होता,
रोग ऊपर आते हैं।

जिस ब्रह्मचर्य में
जीवंतता मर जाए —
वो शवधर्म है।

---

4️⃣ स्त्री को वस्तु या शत्रु बनाना

स्त्री से दूरी का मतलब
स्त्री से असम्मान नहीं।
पर आज यही होता है —

> जिसे तुम बच रहे हो
उससे तुम डरते हो।

डरपोकपन को
आध्यात्मिकता का पदक
बना दिया गया है।

---

5️⃣ अपनी हिम्मत की कमी को नियम बनाना

ऊर्जा काबू नहीं —
तो solution क्या?
“सब पर प्रतिबंध लगा दो”

यह धार्मिकता नहीं,
हैडलैस मैनेजमेंट है।

---

6️⃣ झूठा गर्व — भीतर सड़न

ऊपर साधु,
अंदर आग।
ऊपर शांति,
अंदर शोर।

संयम नहीं —
दिखावा।
नैतिकता नहीं —
ढोंग।

---

7️⃣ प्रकृति-विरोध

जहाँ जन्म,
जहाँ प्रेम,
जहाँ सृष्टि —
वही काम है।

जो काम को काटता है,
वो जीवन को काटता है।

---

निष्कर्ष — तलवार की तरह साफ़

> आज का ब्रह्मचर्य —
स्त्री-द्वेष, डर, दमन, और फरेब की
धार्मिक पैकेजिंग है।

> ब्रह्मचर्य पवित्र नहीं बना —
सिर्फ पाखंडी बना दिया गया।

---

असली अर्थ क्या है?

> ऊर्जा जब “मैं” न रहे
ऊर्जा जब “सबके लिए” बहे
वही ब्रह्मचर्य है।

बाकी सब
नकली झंडे हैं।

वेदांत 2.0 — अज्ञात अज्ञानी©
Vedānta 2.0 © 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲

bhutaji

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
https://youtu.be/1xxFwdwruMU?si=Rp99cEZx7eRX3M4Q

mamtatrivedi444291

self love #live #laugh #love

words.by.harika

भेट द्वारका के पास स्थित शिवराजपुर बीच एक सुंदर समुद्र तट है और इसी के पास नंदन वन बनने की खबर है। यह शिवराजपुर गांव के पास, द्वारका-ओखा राजमार्ग पर स्थित है। यह गुजरात के सबसे प्रसिद्ध समुद्र तटों में से एक है।

rsinha9090gmailcom

#Nehil &Nihit

બેઉની જોડી, જાણે રામ-લખમણ,
સાથે રમે, સાથે હસે, સાથે કરે ગમ્મત.
ક્યારેક લડે, ક્યારેક પાછા મળી જાય,
આ તો છે જીવન, જે પ્રેમથી સચવાય.
મારી પ્રાર્થના છે કે તમે બંને,
જીવનમાં સફળ થાઓ, હંમેશા રહો સુખી,
તમારા સૌમ્ય ચહેરા પર સદાય રહે ખુશી.
❤️ My bachcha ❤️
_Miss chhoti ✍️

missschhotti

રાષ્ટ્ર અને પ્રજા વચ્ચે સંવાદિતાના
અવિરત પ્રવાહો પહોંચાડનાર તમામ
પ્રેસ મિત્રોને રાષ્ટ્રીય પ્રેસ દિવસની
હાર્દિક શુભકામનાઓ 💐💐🍫🍫

jighnasasolanki210025

સુપ્રભાત

aryvardhanshihbchauhan.477925

PAAGLA – A heart that speaks through words. 💭✨ Sharing emotions, shayari, quotes, and stories that touch your soul. From love to pain, from motivation to dreams – here, every line is written to connect with your heart. ❤️📖

jaiprakash413885

Good morning friends have a great Sunday

kattupayas.101947

कैसे समझाऊं...

कैसे समझाऊं खुद को मैं ,कि तू मेरे से पहले किसी और का है,
कैसे समझाऊं....
कैसे समझाऊं खुद को मैं,कि तेरे बिना मैं अधूरी हूं ,पर मेरे से पहले तुम्हारे बिना कोई और अधूरा है,
कैसे समझाऊं....
कैसे समझाऊं खुद को मैं,कि तुमने तो मुझे अपने पर सारे हक़ दे दिए, पर कैसे भूल जाऊं कि तुम पर मेरे से पहले किसी और का हक़ है,
कैसे समझाऊं....
कैसे समझाऊं खुद को मैं,कि उसका तेरे साथ तस्वीर लगाना समाज में मिला उसे जे हक़ है,
फिर क्यों उसके साथ तेरी तस्वीर देख सांसें थमती है, क्यों सारा दिन वह तस्वीर मेरे अंदर बवाल मचाती है,क्यों नहीं समझ पाती मैं सब जानकर फिर क्यों अनजान बन जाती हूं मैं,
कैसे समझाऊं...
कैसे समझाऊं खुद को मैं ,कि मेरा होकर भी तू मेरा नहीं है..
कैसे समझाऊं...
कैसे समझाऊं खुद को मैं, कि समाज में उसने तुम्हें पति, पिता का रुतबा दिलाया है ,
कैसे समझाऊं....
यह नहीं की पता नहीं मुझे कुछ भी ,खुद में तुमने मुझे पाया है, रूह का रिश्ता तुमने मुझसे ही बनाया है...
पता नहीं क्यों देख कर तुझको उसके साथ खुद को मैंने दूर पाया है...
कैसे समझाऊं...
कैसे समझाऊं खुद को मैं, उसने भी तुझ में खुद को पाया है,
कैसे समझाऊं....
उसके सामने मैं खुद ही खुद से हर बार हार जाऊं...
कैसे समझाऊं...

kuldeepsingh318120

PAAGLA – A heart that speaks through words. 💭✨ Sharing emotions, quotes, and stories that touch your soul. From love to pain, from motivation to dreams – here, every line is written to connect with your heart. ❤️📖

jaiprakash413885

जो कहना था
वो कहा नहीं गया
जो न कहना था
वह कह दिया गया
ओर फिर क्या
भई फिर क्या
बखेड़ा खड़ा होना था
सो हो गया
जो नहीं होना था
वो हो गया
अब हमारे चार बच्चे हैं
वे सब सेटल हैं
यही मोहब्बत की
दस्ता हैं..!

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

" નિભાવ" દૈનિકમાં.

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Life constantly offers us choices — some paths bring growth, happiness, calmness, and alignment with who we truly are. These paths multiply our joy because they support our mental, emotional, and spiritual well-being. They give us reasons to smile naturally: supportive people, meaningful work, honest love, peaceful routines, and small everyday moments that feel like sunshine.

But some paths drain us. They demand our energy without giving peace in return. They confuse the heart, disturb the mind, and make us lose pieces of ourselves just to keep going. These paths may look attractive from the outside, but they cost the most precious thing we have — inner peace.

Choosing wisely is not selfish; it is self-respect.
It is understanding that anything that steals your peace is too expensive.
And anything that nurtures your smile is worth walking toward.

nensivithalani.210365

मुझ पर हँसने वालों का गुरूर तोड़ देना मां,
अहम चढ़ा है जिनको—उन्हें ज़मीन दिखा देना मां।


---🥹🥹

archanalekhikha

ભાષા શરીરનું એવુ અદ્રશ્ય અંગ છે જેમાં માણસનું સર્વસ્વ દેખાય છે...✍️🦋🌸

monaghelani79gmailco

ખુમારી પણ કેવી અલ્લડ છે
ભલે લાગતી હોય અણઘડ છે…
-કામિની

kamini6601

Do you know that anger means you yourself lighting a match to your own house, in which first you yourself burn, and then burn others?

Read more on: https://dbf.adalaj.org/BGXVIcNm

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dadabhagwan1150

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

sonishakya18273gmail.com308865