तेरी कोरी बातों को,
जब भी मैं सवांरती
तो उनके वो
अनकहे अर्थ
विचलित हो उठते
शब्दों का लिबास
पहनने के लिये ! ...
© सीमा 'सदा' ...
#अनकहे

Hindi Poem by Seema singhal sada : 111391185

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