माना हो गई ग़लती हमसे,
जो प्यार कर बैठे उनसे।।
पर महोब्बत के बदले मिली है सज़ा,
अब ये कहे भी तो किससे।।
सज़ा तो उस गलती की हो जो हुई हो जान के,
अब इस अनजान गलती की कैसे मांगे माफ़ी रब से।।

#गलती

Hindi Shayri by Tasleem Shal : 111403317

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now