#आदत

ऐसी आदत हो गई थी हमें, उन्हें चाहने की।
चाहे वो दूर भी होते हमें,
जल्दी रहती उन्हें करीब लाने की।।
आदत तो हम भी उनकी ऐसे बन गए थे,
न भुला पाते थे हमें चाहे कितनी भी कोशिश कर ले हमें भुलाने की।।
आदत कभी नशा बन गई तो कभी दुआ बन बैठी,
हालतों ने तोड़ दिया ऐसा वही आदत गलती कर गई सज़ा बनने की।।
न जाने क्यों हो जाती है इंसान की आदत महोब्बत से पहले,
तोड़ भी न पाओ छोड़ भी न पाओ बन जाती है ऐसी कसमकश जिंदगी की
कुछ मजबूरियां आ गई बीच मे,
कुछ दुरियों ने कर दिया हमे दूर।।
वरना मंजिल तो हमने भी तेय की थी कयामत साथ चलने की।।

Hindi Shayri by Tasleem Shal : 111412980

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