उन्हें भुलाना पड़े ये शायद अब मुमकिन नही है ,
निगाहे उनसे चुराउ ये भी अब मुमकिन नही है ।

अब "कमल" की मोह्हबत के बने हो खुदा तुम,
खुदा को ही में भूल जाऊ ये तो मुमकिन नही है ।
&&&&&&&&कमलेश शर्मा "कमल"& 06/05/20&&&
#भुलाना

Hindi Shayri by कमलेश शर्मा कमल सीहोर म.प्र : 111424378

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