कुछ वात तो है तेरी यादों में
जो नहीं है तेरे कीये हुए वादों में

#संचित करके रखी थी दिल में
बहार आती है दिन और रातों में

सोचता हूं क्या कसुर था मेरा?
जो तुम खेल गई मेरे जज्बातों से

तेरी याद के सहारे जींदा हुं में
वरना मर जाता तेरी बेवफाओं में

#संचित

Hindi Poem by વિનોદ. મો. સોલંકી .વ્યોમ. : 111520713

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now