#खुश
कहीं पे मेला,कहीं पे अकेला,
कोई मेले में भी अकेला
कहीं अकेले में मेला ।

ना बात है समय की,
ना बात ये किस्मत की,
ना कहानी ये अंधियारे रातो की ।

यहां पिटारा खुशियों का है मिलता,
जिसके मन संतोष है खिलता
जो मुस्कराहटो से है खेलता ।
Mahek parwani

Hindi Poem by Mahek Parwani : 111524045

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