मान लिया सारी गलती मेरी थी
हमने कब तुम्हें गलत समझा है
चलो छोड़ो ये शिकवा शिकायतें
अब इन बातों में भला क्या रखा है

-अनुभूति अनिता पाठक

Hindi Shayri by अनुभूति अनिता पाठक : 111817959

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