रामायण भाग - 31
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भरत से भेंट (दोहा - छंद)
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सारे पौधे एक से, फर्क़ नहीं है एक।
किसे कहे संजीवनी, पौधे यहां अनेक।।

उठा लिया पर्वत तभी, लेकर प्रभु का नाम।
हनुमत के होते हुए , कैसे ना हो काम।।

साथ पवन के चल पड़े, पवन पुत्र हनुमान।
राम नाम की धुन लिए, उड़ चले आसमान।।

देखा हनु को भरत ने, चला दिया तब बाण।
राम नाम प्रभु का सुना,बचा लिया तब प्राण।।

समाचार सारा सुना , हुए भरत बैचैन।
शोक करके बैठ गए , रोये दोनों नैन।।

Uma Vaishnav
मौलिक और स्वरचित

Hindi Religious by Uma Vaishnav : 111825016
Jugal Kisओर 2 years ago

अरे वाह,,,, उमा जी इधर यहाँ भी मुलाकात हो गई आपसे,,,,

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