#hindipoem

मोहब्बत पैरहन-ए-गुल नहीं जो वक्त के साथ मुरझा जाए
ये वो लिबास है, जो वक्त के साथ और निखरता जाए ।

खादी का नहीं ये एहसासों से ये बुना जाए
रसीक के अल्फाजों से अगर उसे ठेस लगे तो,
दर्जी से नहीं ,
मय-ए-जज़्बात से रफू करवाया जाए।

ग़ैरत-ए-जज़्बात का जायजा ले
इससे फिजूल में ना बदला जाए,
ना दिल भर गया तो उतरन में दिया जाए ।

मोहब्बत दिल के ऊपर पहनाया एक ऐसा लिबास है,
जो जिसके नाम का एक बार पहन लिया तो उसे बार-बार ना बदला जाए
Deepti

Hindi Shayri by Deepti Khanna : 111826935

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