तुम्हारा इंतजार करेंगे...!!!
सुनो...
एक खत लिखा है तुम्हारे शहर तुम्हारे नाम
तुम्हारे पते तक कभी पहुंच नहीं सकेगा
में जानता हूं
इरादा तुम्हे परेशान करने का नहीं है
बस चाहता हूं अपनी मसरूफियत मे से दो पल तुम्हारे नाम कर सकू
शायद कुछ ज्यादा ही मांग लिया है
हे ना
देखो ना तुम्हे आख़री दफा देखे महीनों हो गए हैं
वक्त का हिसाब यहां कर कोन रहा है
हम तो अपनी धड़कनों का हिसाब करतें रह जाते हैं
ये कंबखत हर बार तुम्हरा ही नाम लेती हैं
और एक निकम्मी जुबा
जो तुम्हारा जिक्र खुद ही करती हैं
कैसी अजीब कसमकश है ना
जिसकी याद में हर पर रहते हैं
उससे जिक्र तक नहीं करतें है
खेर
अब और कर भी क्या सकते है
बस तुम्हे बताना था कुछ ऐसे ही काम हुए हैं
जिनकी माफ़ी हम ख़ुद नही दे सकते है
बस इतना कहना था जिस्म और रूह की जंग में हम हमेसा रूह ही चुनेंगे
जो तुम जाते वक्त अपने साथ ले गई हो
कम से कम हमारी रूह तो लोटाने आ जाना
आओगी ना
हम इन्तजार करेंगे...!!!