चंद मिनटों के मेरे हजार विचार है ,
सब के सब व्यर्थ तो नहीं ।
कुछ तो है जो शब्द मुझे से चाहते है ,
की मै एक ऐसा वाक्य बनाऊ ,
जो मुझे कुछ और लिखने की अनुमति ना दे ।
मेरे देह संस्कार के बाद , मुझ से उठता अधजला शरीर से धुआं ,
ये किसी के अंदर तो जाए गा ही ।
वो यूंही लिखता लिखता देह त्याग देगा , एक अंतिम वाक्य की खोज में ।