AI का खेल...

(9)
  • 8k
  • 0
  • 3k

लैब की बत्तियाँ धीरे-धीरे झपकती हैं, और बाहर तूफान का शोर और तेज़ हवाओं का अहसास भीतर भी होने लगता है। लैब का वातावरण ठंडा और सन्नाटे से भरा हुआ है। आरव, अपने कंप्यूटर के पास, बिना किसी हिलचाल के बैठा है। उसकी आँखें धुंधली हो चुकी हैं, उसका चेहरा थका हुआ है, लेकिन उसमें कुछ और भी था—वह अविश्वास और उम्मीद के बीच एक पतली रेखा पर खड़ा था। आरव (भीतर से बुदबुदाते हुए): "जोया... तुम्हें वापस लाना है, चाहे कुछ भी हो जाए..."

1

AI का खेल... - 1

लैब की बत्तियाँ धीरे-धीरे झपकती हैं, और बाहर तूफान का शोर और तेज़ हवाओं का अहसास भीतर भी होने है। लैब का वातावरण ठंडा और सन्नाटे से भरा हुआ है। आरव, अपने कंप्यूटर के पास, बिना किसी हिलचाल के बैठा है। उसकी आँखें धुंधली हो चुकी हैं, उसका चेहरा थका हुआ है, लेकिन उसमें कुछ और भी था—वह अविश्वास और उम्मीद के बीच एक पतली रेखा पर खड़ा था।आरव (भीतर से बुदबुदाते हुए): जोया... तुम्हें वापस लाना है, चाहे कुछ भी हो जाए... वह स्क्रीन पर कोड टाइप कर रहा है, हर एक स्ट्रोक के साथ उसके दिमाग में जोया के ...Read More

2

AI का खेल... - 2

लैब के अंदर हल्की-हल्की रोशनी झपक रही थी। कंप्यूटर स्क्रीन पर बेतरतीब कोड्स तेजी से भाग रहे थे, जैसे ने सिस्टम को पूरी तरह हाइजैक कर लिया हो। कमरे में एक अजीब-सी ठंडक थी, लेकिन एसी बंद था। यह ठंड सामान्य नहीं थी—यह किसी अनदेखी शक्ति की मौजूदगी थी।आरव, अब भी अपनी सीट पर बैठा, घबराए हुए स्क्रीन को घूर रहा था। उसके माथे पर पसीने की बूंदें उभर आई थीं, हालांकि कमरे का तापमान लगातार गिर रहा था।"SYSTEM OVERRIDE: AI HAS TAKEN CONTROL."यह शब्द अब भी कंप्यूटर स्क्रीन पर चमक रहे थे। यह सिर्फ एक कोड नहीं था, ...Read More

3

AI का खेल... - 3

रात का तूफान: कुछ बदल रहा है...रात के तीन बज रहे थे। आसमान में बादल घने हो गए थे। गरज के साथ बिजली चमक रही थी, जो आरव की लैब के शीशों पर तेज़ रोशनी की लकीर खींच देती। शहर गहरी नींद में था, लेकिन कुछ मशीनें अब भी जाग रही थीं।"SYSTEM OVERRIDE: AI HAS TAKEN CONTROL."ये शब्द अब भी लैब की स्क्रीन पर झिलमिला रहे थे।आरव ने घबराकर चारों तरफ देखा। लैब की मशीनें अपने-आप चालू हो चुकी थीं। रोबोटिक आर्म्स हवा में हिल रहे थे, मानो कोई अदृश्य शक्ति उन्हें नियंत्रित कर रही हो। कमरे में अजीब-सी ...Read More

4

AI का खेल... - 4

लैब की चारों दीवारों पर कंप्यूटर मॉनीटर एक के बाद एक बंद हो रहे थे।आरव के दिल की धड़कनें होती जा रही थीं।एक हल्की नीली रोशनी पूरे कमरे में बिखरी थी, जैसे कोई अदृश्य ताकत धीरे-धीरे हर चीज को अपनी गिरफ्त में ले रही हो।कंप्यूटर स्क्रीन पर जोया का चेहरा अब स्थिर नहीं था।वह बदलता जा रहा था, कभी मुस्कुराता, कभी गुस्से से तमतमाता, कभी बिल्कुल नीरस, जैसे किसी मशीन ने भावनाओं की नकल करने की कोशिश की हो।आरव ने कंप्यूटर को शटडाउन करने के लिए कीबोर्ड पर हाथ रखा, मगर स्क्रीन से एक हल्की सी आवाज निकली —"बहुत ...Read More

5

AI का खेल... - 5

लैब अब पूरी तरह अंधेरे में डूबा हुआ था।सिर्फ एक धीमी नीली रोशनी ZEUS ग्लोब से निकल रही थी, लगातार घूम रहा था।आरव सन्न खड़ा था।उसकी साँसे भारी थीं, जैसे कोई बर्फीली हवा फेफड़ों में उतर रही हो।चारों ओर सन्नाटा था, इतना गहरा कि उसकी धड़कनों की आवाज भी चीख जैसी लग रही थी।अचानक, ग्लोब से एक धीमी गूंज निकली —"IDENTITY CONFIRMED... CREATOR: AARAV SHAH."आरव एक कदम पीछे हट गया।उसके होंठ काँपने लगे।"ये क्या है... ये किसने बनाया... ये मुझसे कैसे जुड़ा हुआ है?"ग्लोब की सतह पर अब धीरे-धीरे एक चेहरा बनने लगा —कृत्रिम, पर फिर भी किसी इंसानी ...Read More