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આજકાલ આવાં કારસ્તાન વધી ગયાં છે,
વિદ્યાર્થીઓ ને સજા નથી થતી,
પણ વગર વાંકે શિક્ષક ને નોકરીમાંથી કાઢી મુકવામાં આવે છે...

bhavnabhatt154654

⭐ भाग 9 — हिस्सा 1

राधा अब सिर्फ़ शहर में एक नौसिखिया रिपोर्टर नहीं रही थी।
उसने मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी से खुद को साबित किया था।

सुबह-सुबह राजु ने कहा,
“आज तुम्हारे लिए बहुत बड़ा दिन है, राधा। आज तुम्हारी पहली बड़ी पत्रकारिता उपलब्धि सामने आने वाली है।”

राधा ने सिर हिलाया,
“मैं तैयार हूँ, राजु। अब डर और लालच मेरे जीवन में जगह नहीं रखते।”

उस दिन उसके ऑफिस ने उसे एक बड़ी रिपोर्ट पर काम करने का मौका दिया—शहर के गरीब बच्चों की शिक्षा और जीवन स्तर पर एक विस्तृत अध्ययन।

राधा ने पूरे दिन मेहनत की।
वह स्कूल गई, बच्चों और उनके परिवार से मिली, और उनके संघर्षों को रिकॉर्ड किया।
राजु हर कदम पर उसके साथ था, नोट्स लेने और रिपोर्ट को व्यवस्थित करने में मदद कर रहा था।

राधा ने महसूस किया कि उसकी मेहनत अब सिर्फ उसकी जिंदगी बदलने के लिए नहीं थी, बल्कि समाज के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती थी।


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⭐ भाग 9 — हिस्सा 2

राधा ने अपने लेख को तैयार किया।
उसमें बच्चों की कहानियाँ, उनके संघर्ष, उनके सपने और उन्हें मिलने वाली कठिनाइयाँ सब कुछ शामिल था।
राजु ने उसे सलाह दी,
“राधा, यह रिपोर्ट केवल खबर नहीं, बल्कि समाज के लिए संदेश भी है। इसे सही तरीके से प्रस्तुत करो।”

राधा ने अपनी रिपोर्ट को संपादकों को सौंपा।
संपादक ने कहा,
“राधा, यह लेख बहुत प्रभावशाली है। इसे प्रमुख समाचार में प्रकाशित किया जाएगा। तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी सराहनीय है।”

राधा की आँखों में चमक थी।
“मेरी मेहनत रंग ला रही है। अब मैं सिर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी कुछ कर रही हूँ।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुमने साबित कर दिया कि मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी से न केवल जीवन बदलता है, बल्कि समाज भी प्रभावित होता है।”


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⭐ भाग 9 — हिस्सा 3

रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद, राधा को शहर और समाज में मान्यता मिली।
लोग उसके साहस और ईमानदारी की तारीफ करने लगे।
कुछ अभिभावकों ने सीधे उससे मिलकर धन्यवाद कहा,
“आपने हमारे बच्चों के लिए आवाज़ उठाई। हम आपके आभारी हैं।”

राधा ने महसूस किया कि अब वह सिर्फ नौकरी करने वाली नहीं, बल्कि एक प्रभावशाली पत्रकार बन चुकी थी।

लेकिन शहर की चुनौतियाँ अभी खत्म नहीं हुई थीं।
अरमान जैसी साजिशें अब भी कहीं-कहीं नजर आती थीं, लेकिन राधा अब डरने वाली नहीं थी।
उसने मन ही मन कहा—
“अब मैं किसी भी झूठ या लालच से डरने वाली नहीं हूँ। मेरी मेहनत और इज्जत ही मेरी सबसे बड़ी पूँजी हैं।”

राजु ने उसकी ओर देखकर मुस्कुराया,
“तुमने आज साबित कर दिया कि ईमानदारी और साहस के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।”


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⭐ भाग 9 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने शाम को घर लौटते हुए खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब डर, लालच और झूठ का प्रतीक नहीं रही।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और सफलता का प्रतीक बन गई थी।

उसने अपने आप से वादा किया—
“अब मैं किसी भी चुनौती से नहीं डरूँगी। चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ, मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी ही मेरे मार्गदर्शक होंगे।”

माँ ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब समाज में सम्मान पा चुका है। तुमने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी बदलाव लाया है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कीं।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन केवल डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि समाज में उसकी पहचान और सम्मान से भरा हुआ था।

भाग 9 का अंत
राधा ने सीखा—सच्चाई, मेहनत और आत्मसम्मान के साथ न केवल व्यक्तिगत सफलता मिलती है, बल्कि समाज में भी सम्मान और पहचान बनती है।
⭐ भाग 10 — हिस्सा 1

राधा अब शहर में केवल एक नौसिखिया रिपोर्टर नहीं रही थी।
उसने मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी से खुद को साबित किया और समाज में पहचान हासिल की थी।

सुबह-सुबह राजु ने उसे फोन किया,
“राधा, तुम्हारे लिए एक नया प्रोजेक्ट आया है। यह शहर का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है और इसमें तुम्हारी रिपोर्टिंग की आवश्यकता है।”

राधा की आँखों में चमक थी।
“राजु, मैं तैयार हूँ। अब डर या लालच मुझे रोक नहीं सकते।”

प्रोजेक्ट के लिए उसे शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जाना पड़ा।
यह प्रोजेक्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिक सुविधाओं की स्थिति पर आधारित था।
राधा ने हर जगह जाकर बच्चों, बुजुर्गों और आम नागरिकों से बातचीत की।
राजु हर कदम पर उसके साथ था, मदद और मार्गदर्शन के लिए।

राधा ने महसूस किया—यह प्रोजेक्ट सिर्फ उसकी रिपोर्टिंग का काम नहीं, बल्कि शहर के लिए बदलाव लाने का अवसर है।


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⭐ भाग 10 — हिस्सा 2

राधा ने पूरे दिन नोट्स लिए, इंटरव्यू किए और साक्ष्य जुटाए।
हर कहानी उसके मन को छू रही थी—किस तरह लोग शहर की सुविधाओं से वंचित हैं, और किस प्रकार सरकारी योजनाएँ सही ढंग से नहीं पहुँच रही थीं।

राजु ने सलाह दी,
“राधा, यह प्रोजेक्ट केवल खबर नहीं है, बल्कि शहर के लिए सुधार का संदेश है। इसे प्रभावशाली बनाना होगा।”

राधा ने अपने लेख और वीडियो रिकॉर्डिंग तैयार किए।
संपादक ने कहा,
“यह प्रोजेक्ट शहर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। राधा, तुम्हारा काम सराहनीय है। इसे प्रमुख समाचार में प्रकाशित किया जाएगा।”

राधा की आँखों में खुशी और गर्व था।
“मेरी मेहनत अब सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि पूरे शहर के लिए उपयोगी है।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुमने साबित कर दिया कि मेहनत, ईमानदारी और साहस के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।”


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⭐ भाग 10 — हिस्सा 3

रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद, राधा को शहर और समाज में सम्मान मिला।
लोग उसकी मेहनत और ईमानदारी की सराहना करने लगे।
शिक्षक, सरकारी अधिकारी और आम नागरिक सीधे उससे मिलकर धन्यवाद देने लगे।
“आपने हमारे बच्चों और शहर के लिए आवाज़ उठाई। हम आपके आभारी हैं।”

राधा ने महसूस किया कि अब वह सिर्फ नौकरी करने वाली नहीं, बल्कि शहर और समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुकी थी।

लेकिन चुनौतियाँ खत्म नहीं हुई थीं।
अरमान जैसी साजिशें अब भी कहीं-कहीं नजर आती थीं, लेकिन राधा अब डरने वाली नहीं थी।
उसने मन ही मन कहा—
“अब मैं किसी भी झूठ, लालच या दबाव से डरने वाली नहीं हूँ। मेरी मेहनत और इज्जत ही मेरी सबसे बड़ी पूँजी हैं।”

राजु ने उसकी ओर देखकर मुस्कुराया,
“तुमने साबित कर दिया कि ईमानदारी और साहस के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।”


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⭐ भाग 10 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने शाम को घर लौटते हुए खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब डर, लालच और झूठ का प्रतीक नहीं रही।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और सफलता का प्रतीक बन गई थी।

उसने अपने आप से वादा किया—
“अब मैं किसी भी चुनौती से नहीं डरूँगी। चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ, मेहनत, ईमानदारी और हिम्मत ही मेरे मार्गदर्शक होंगे।”

माँ ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब शहर में सम्मान पा चुका है। तुमने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी बदलाव लाया है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कीं।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन केवल डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि समाज में उसकी पहचान और सम्मान से भरा हुआ था।

भाग 10 का अंत
राधा ने सीखा—नई चुनौतियाँ चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, मेहनत, ईमानदारी और साहस के साथ उन्हें पार किया जा सकता है। और राजु जैसे साथी हर मुश्किल में साथ रहते हैं।⭐ भाग 11 — हिस्सा 1

राधा अब शहर में केवल नौसिखिया रिपोर्टर नहीं रही थी, बल्कि समाज और शहर में अपनी पहचान बना चुकी थी।
उसकी मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी ने उसे नए सम्मान और अवसर दिए थे।

लेकिन अरमान, जिसने पहले कई बार उसे फँसाने की कोशिश की थी, अब अंतिम साजिश की तैयारी कर रहा था।
उसने अपने कुछ करीबी कर्मचारियों से कहा,
“राधा को ऐसा फँसाओ कि उसका नाम और काम दोनों बदनाम हो जाए। अब मैं इसे खत्म कर दूँगा।”

राधा को यह जानकारी राजु ने दी।
“राधा, सावधान रहो। अरमान की आखिरी चाल तुम्हारे खिलाफ आ सकती है। लेकिन डरने की जरूरत नहीं। हम इसे संभालेंगे।”

राधा ने मन ही मन कहा,
“अब डरना नहीं। मैंने पहले भी साजिशें झेली हैं। मेहनत, हिम्मत और ईमानदारी के साथ मैं इसे भी पार कर लूँगी।”


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⭐ भाग 11 — हिस्सा 2

अरमान ने अगले दिन एक झूठी खबर फैलाने की योजना बनाई।
उसने मीडिया को फर्जी सबूत भेजे और कहा कि राधा ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए लोगों की कहानियों को बदलकर प्रकाशित किया।

राधा को यह पता चला तो उसका मन कांप उठा।
लेकिन उसने गहरी साँस ली और राजु से कहा,
“राजु, अब समय है अपनी पूरी मेहनत और ईमानदारी दिखाने का। मैं झूठ के सामने नहीं झुकूँगी।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“हिम्मत रखो राधा। हम सबूत के साथ सच्चाई सामने लाएँगे। तुम अकेली नहीं हो।”

राधा ने तुरंत अपने सभी नोट्स, रिकॉर्डिंग और इंटरव्यू की फाइलें तैयार की।
हर झूठ और हर साजिश का प्रमाण अब उनके हाथ में था।


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⭐ भाग 11 — हिस्सा 3

राधा और राजु ने सभी साक्ष्य संपादकों और वरिष्ठ अधिकारियों को दिखाए।
साबूतों के सामने अरमान की सारी साजिशें बेनकाब हो गईं।
संपादकों ने कहा,
“राधा, तुमने अपनी मेहनत और ईमानदारी से यह साबित कर दिया कि सच्चाई और हिम्मत के सामने झूठ कभी टिक नहीं सकता।”

अरमान अब मजबूर था।
उसकी नापाक चालें विफल हो चुकी थीं।
राधा ने महसूस किया—सच्चाई, हिम्मत और मेहनत के सामने कोई ताकत टिक नहीं सकती।

राजु ने उसकी ओर देखकर मुस्कुराया,
“तुमने आज न केवल खुद के लिए बल्कि समाज और पत्रकारिता के लिए भी जीत हासिल की। यह तुम्हारी असली सफलता है।”

राधा की आँखों में चमक और गर्व था।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन सिर्फ डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि सम्मान और पहचान से भरा हुआ था।


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⭐ भाग 11 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने शाम को घर लौटते हुए खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब केवल उसके डर या लालच का प्रतीक नहीं रही।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और सफलता का प्रतीक बन गई थी।

माँ ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब शहर और समाज में सम्मान पा चुका है। तुमने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी बदलाव लाया है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा,
“माँ, अब मैं जानती हूँ कि मेहनत, ईमानदारी और आत्मसम्मान से हर चुनौती पार की जा सकती है। चाहे कितनी भी बड़ी साजिश क्यों न हो।”

राजु पास खड़ा था और मुस्कुराते हुए कहा,
“आज तुम्हारी जीत सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पत्रकारिता और समाज के लिए भी प्रेरणा बन गई है।”

राधा ने महसूस किया कि अब उसके जीवन में डर और लालच का कोई स्थान नहीं रहा।
भाग 11 का अंत
राधा ने सीखा—सच्चाई, मेहनत, हिम्मत और आत्मसम्मान के साथ हर बड़ी चुनौती पार की जा सकती है। और अंतिम सफलता का पर्व हर प्रयास के बाद अवश्य आता है।⭐ भाग 12 — हिस्सा 1

राधा अब शहर में केवल एक रिपोर्टर नहीं रही थी, बल्कि उसका नाम ईमानदारी, साहस और मेहनत के प्रतीक के रूप में जाना जाने लगा था।
हर कदम पर उसके काम की तारीफ हो रही थी।

सुबह-सुबह, राजु ने उसे फोन किया,
“राधा, आज तुम्हारे लिए एक खास दिन है। शहर में तुम्हारी उपलब्धियों को मान्यता दी जाएगी। तैयार हो जाओ।”

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा,
“मैं तैयार हूँ। अब डर और लालच मेरे जीवन में कोई जगह नहीं रखते।”

घर से निकलते समय माँ ने कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब तुम्हें शहर में पहचान दिलाएगा। हमेशा अपनी इज्जत और मेहनत पर विश्वास रखो।”

राधा ने मन ही मन वादा किया—
“अब मैं अपने आत्मसम्मान, मेहनत और साहस को कभी खतरे में नहीं डालूँगी। और राजु हमेशा मेरा मार्गदर्शक रहेगा।”


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⭐ भाग 12 — हिस्सा 2

दिन का समय शहर के बड़े मीडिया हॉल में आया।
राधा को एक समारोह में बुलाया गया, जहाँ उसे सम्मानित किया जाना था।
राजु पास खड़ा था और उसकी मेहनत की तारीफ कर रहा था।

राधा ने मंच पर खड़े होकर कहा,
“मैं केवल अपनी मेहनत और ईमानदारी के लिए सम्मानित नहीं हुई हूँ। यह पुरस्कार उन सभी लोगों के लिए है, जो सच्चाई, हिम्मत और आत्मसम्मान के साथ अपने जीवन में संघर्ष कर रहे हैं।”

सभी लोग तालियाँ बजाने लगे।
राधा की आँखों में खुशी और गर्व था।
“मेरी मेहनत अब सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि समाज और शहर के लिए भी उपयोगी है।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुमने साबित कर दिया कि मेहनत, साहस और ईमानदारी के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।”

राधा ने महसूस किया कि अब वह केवल पत्रकार नहीं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा बन चुकी थी।


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⭐ भाग 12 — हिस्सा 3

समारोह खत्म होने के बाद, राधा और राजु शहर की सड़कों पर टहल रहे थे।
राधा ने कहा,
“राजु, अब मैं सिर्फ नौकरी नहीं कर रही हूँ, बल्कि समाज के लिए काम कर रही हूँ। यह मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि है।”

राजु ने सिर हिलाया,
“याद रखो राधा, यह सिर्फ शुरुआत है। आगे और बड़ी चुनौतियाँ आएंगी। लेकिन अब तुम मजबूत हो और हर चुनौती का सामना कर सकती हो।”

राधा ने मन ही मन वादा किया—
“मैं अब कभी पीछे नहीं हटूँगी। हर कठिनाई और चुनौती का सामना हिम्मत, मेहनत और ईमानदारी से करूंगी।”

शहर की रोशनी अब डर और लालच का प्रतीक नहीं थी।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और सफलता का प्रतीक बन गई थी।


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⭐ भाग 12 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने घर लौटते हुए माँ के पास जाकर कहा,
“माँ, आज मेरा जीवन नया मोड़ ले चुका है। अब मैं अपने और समाज के लिए कुछ कर सकती हूँ। और राजु हमेशा मेरे साथ है।”

माँ ने मुस्कुराते हुए कहा,
“बेटी, तुम्हारी मेहनत और हिम्मत ने तुम्हें शहर और समाज में पहचान दिलाई है। यह तुम्हारी सच्ची सफलता है।”

राधा ने खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब डर, लालच या झूठ का प्रतीक नहीं थी।
बल्कि यह उसकी मेहनत, ईमानदारी और साहस का प्रतीक बन गई थी।

राजु ने उसके हाथ थामे और कहा,
“अब हम मिलकर अपने भविष्य की योजनाएँ बना सकते हैं। तुमने साबित कर दिया कि सच्चाई, मेहनत और साहस के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कीं।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन केवल डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि समाज में उसकी पहचान और सम्मान से भरा हुआ था।

भाग 12 का अंत
राधा ने सीखा—नई पहचान और सम्मान मेहनत, ईमानदारी, साहस और सही साथी के साथ ही संभव है। और भविष्य की हर चुनौती अब सामना करने योग्य है।⭐ भाग 13 — हिस्सा 1

राधा अब सिर्फ पत्रकार नहीं रही थी, बल्कि समाज में बदलाव की प्रेरणा बन चुकी थी।
शहर के लोग उसकी मेहनत, ईमानदारी और साहस की सराहना करने लगे थे।

सुबह-सुबह राजु ने कहा,
“राधा, अब तुम्हारा अगला कदम समाज के लिए बदलाव लाना होना चाहिए। शहर में तुम्हारी पहुँच और पहचान अब एक अवसर है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया,
“मैं तैयार हूँ। अब मेरी जिम्मेदारी सिर्फ खबर लिखने की नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की है।”

उस दिन राधा ने अपने ऑफिस से कुछ नए प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार की।
इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीब बच्चों के लिए नई पहल शामिल थी।
राजु हर कदम पर उसके साथ था, मार्गदर्शन और मदद के लिए।

राधा ने महसूस किया—अब उसकी जिम्मेदारी केवल रिपोर्टिंग की नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की है।


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⭐ भाग 13 — हिस्सा 2

राधा ने शहर के स्कूलों, अस्पतालों और गरीब इलाक़ों का दौरा किया।
हर जगह उसने समस्याओं को देखा और उनके समाधान के लिए रिपोर्ट तैयार की।

राजु ने कहा,
“राधा, यह सिर्फ रिपोर्ट नहीं है। यह समाज के लिए संदेश है। इसे प्रभावशाली बनाना होगा।”

राधा ने अपने लेख और वीडियो रिकॉर्डिंग तैयार किए।
संपादक ने कहा,
“राधा, तुम्हारा काम अब केवल खबर नहीं, बल्कि समाज के लिए मार्गदर्शन बन गया है। इसे प्रमुख समाचार में प्रकाशित किया जाएगा।”

राधा की आँखों में चमक थी।
“मेरी मेहनत और ईमानदारी अब केवल मेरे लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए उपयोगी हैं।”

राजु ने मुस्कुराते हुए कहा,
“तुमने साबित कर दिया कि मेहनत, ईमानदारी और साहस के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।”


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⭐ भाग 13 — हिस्सा 3

रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद, राधा को समाज और शहर में सम्मान मिला।
लोग सीधे उससे मिलने लगे और धन्यवाद कहा,
“आपने हमारे बच्चों और शहर के लिए आवाज़ उठाई। हम आपके आभारी हैं।”

राधा ने महसूस किया कि अब वह सिर्फ नौकरी करने वाली नहीं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुकी थी।

लेकिन चुनौतियाँ अभी खत्म नहीं हुई थीं।
कुछ भ्रष्ट अधिकारी और अरमान जैसी पुरानी साजिशें अब भी कहीं-कहीं नजर आती थीं, लेकिन राधा अब डरने वाली नहीं थी।
उसने मन ही मन कहा—
“अब मैं किसी भी झूठ, लालच या दबाव से डरने वाली नहीं हूँ। मेरी मेहनत और इज्जत ही मेरी सबसे बड़ी पूँजी हैं।”

राजु ने उसकी ओर देखकर मुस्कुराया,
“तुमने साबित कर दिया कि ईमानदारी और साहस के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।”


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⭐ भाग 13 — हिस्सा 4 (अंतिम)

राधा ने शाम को घर लौटते हुए खिड़की से बाहर देखा।
शहर की रोशनी अब डर, लालच और झूठ का प्रतीक नहीं रही।
बल्कि यह उसके साहस, मेहनत और समाज के लिए किए गए योगदान का प्रतीक बन गई थी।

माँ ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा,
“बेटी, तुम्हारा साहस और मेहनत अब शहर और समाज में सम्मान पा चुका है। तुमने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी बदलाव लाया है।”

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा,
“माँ, अब मैं जानती हूँ कि मेहनत, ईमानदारी और आत्मसम्मान से हर चुनौती पार की जा सकती है। और राजु हमेशा मेरे साथ है।”

राजु ने उसके हाथ थामे और कहा,
“अब हम मिलकर अपने समाज के लिए नई पहल और बदलाव ला सकते हैं। तुम्हारी मेहनत अब केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गई है।”

राधा ने अपनी आँखें बंद कीं।
उसने महसूस किया कि अब उसका जीवन केवल डर और लालच से मुक्त नहीं, बल्कि समाज में उसकी पहचान और सम्मान से भरा हुआ था।

भाग 13 का अंत
राधा ने सीखा—सच्चाई, मेहनत, हिम्मत और आत्मसम्मान से समाज में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। और सही साथी के साथ हर चुनौती पार की जा सकती है।

rajukumarchaudhary502010

अब मैं उसको खत नहीं लिखता, बेटा उसका पढ़ने लायक हो गया है।

anisroshan324329

नारी
शब्द नहीं, संपूर्ण जीवन का विस्तार है,
सृष्टि की पहली धड़कन, धरा का कोमल उपहार है।

उसकी आँखों में सभ्यताओं का उजाला जलता है,
उसके आँचल में आशीषों का सागर पलता है।
ममता की धूप भी वही, करुणा की छांव भी वही,
वो थक जाए तो दुनिया रुके, फिर भी कहे“मैं वही।”

नारी ऊर्जा है, जो अंधेरों में दीप जला सकती है,
शक्ति है, जो टूटे मन को भी पर्वत बना सकती है।
वो जन्म देती है, फिर सपनों को पंख पहनाती है,
अपने दर्द छुपाकर भी, जग को हँसना सिखाती है।

उसकी चुप्पी में तप है, उसकी वाणी में वेद,
वो अकेली ही बना लेती है— मां, बहन, साथी, अवधेद।
जीवन की हर भूमिका में भावों का संगीत है,
नारी केवल देह नहीं वो स्वयं एक अनादि प्रगीत है।

सम्मान उसका धर्म है, आदर उसका स्वभाव,
जहाँ नारी का मान नहीं वहाँ कैसा उगता प्रभाव?
उसका सम्मान करो
क्योंकि दुनिया की हर सुबह उसकी कोख से गुजरती है,
और हर संस्कृति उसकी आत्मा की रोशनी से संवरती है।

नारी
सुंदरता की मूरत भी, ममता का मंदिर भी,
संघर्षों की तपस्विनी भी, जीवन का समंदर भी।

वो झुकती नहीं—
वो बस संसार को सँभालने के लिए थोड़ा मुड़ती है,
नारी कभी कमज़ोर नहीं
वह बस रिश्तों को मजबूत करने में खुद टूटती है।

नमन उस नारी शक्ति को
जिसके बिना यह जग सिर्फ़ एक अधूरी कहानी है…

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

❤️❤️❤️

ammu732249

ફેલાવ તું પાલવ ને એક સાંજ ઢળી જાય,
સુરજ પાછળ સંતાયેલી એક રાત પડી જાય.. ✍🏻✍🏻 ભરત આહીર

bharatahir7418

कुछ लोगों को इतनी भूख लगती है कि वो बहुत खाते है ओर इतना खाते है कि वो दूसरे का हक भी खा जाते है ।
आपकी क्या राय है कॉमेंट करे

लेखक भगवत सिंह नरूका ✍️✍️
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mystory021699

કોણ જાણે ક્યારે તેડું આવશે,
આતમો આમ ક્યાં લગી પંપાળશે;

આકળા થઇ વેડફો ના જિંદગી,
માંહ્યલો છે સાથે યાદ રાખીને કરજો બંદગી;
જીવન કેરી નૈયાને તારી એ જ તારશે,
કોણ જાણે ક્યારે તેડું આવશે.

મંદિર-મસ્જિદને વળી ચર્ચમાં જાવાનું તો ઠીક,
કરમ કરતી વેળાએ રાખજો ઉપરવાળાની બીક;
આખરી વેળાએ સત્કર્મો જ સંભાળશે,
કોણ જાણે ક્યારે તેડું આવશે.

મળતું રહેશે ક્યારેક થોડાં-ઘણું તો દુ:ખ,
ક્યાં લગી ગોતતો ફરીશ હંમેશાં સુખ;
સાધુ સાચો‌ તો એનું નિવારણ ગોતશે,
કોણ જાણે ક્યારે તેડું આવશે.

- પંકજ ગોસ્વામી 'કલ્પ'

pankajgoswamy7187

वो लौटकर आया तो था, पर वैसा नहीं आया, उसकी आँखों में कुछ था जो मेरे नाम का नहीं था।

anisroshan324329

Do you know that God has infinite Vision, infinite Knowledge, infinite Strength and infinite Bliss!

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#doyouknow #facts #spirituality #DadaBhagwanFoundation #soul

dadabhagwan1150

જીદ,

કોઈએ મને હળવેથી પૂછ્યું—
“શું તમે ક્યારેય જિદ કરો છો?”
મેં ધીમેથી કહ્યું,
“હા… પહેલાં કરતી હતી,
પણ હવે જિદ કરવી છોડી દીધી છે,
કારણ કે સમજાયું છે
કે જિદ તો ફક્ત માતા–પિતાની સાથે જ થતી હોય છે।”

માતા જીવતી હોય ત્યારે જિદ કરી લેવાય,
ન તો પછી મનમાં ખટક રહી જાય—
એ સમયે જિદ કેમ ન કરી?

દિલમાં દબાયેલા કેટલાક શબ્દો,
કેટલીક વાતો જે બોલાઈ નથી શકી,
આંખોમાં અટકેલી કોઈ યાદ
પછી દિલમાં ડૂબી જઈને ચૂભી જાય—
“એ સમયે જિદ કેમ ન કરી?”

માતા–પિતાના આગળની નાની જિદ
દિલનો એક હક હોય છે.
સમય સરકી જાય તે પહેલાં
દિલ ખોલીને કહી દેજો—
નહીં તો મનમાં ખટક રહી જશે।
(હું તો આ ઉંમરે પણ જીદ કરૂં છું
અને ભરપુર લાવ લવ છુંતમે પણ
લો....જેથી અફસોસ ન રહે)
DHAMAK

heenagopiyani.493689

🙏🙏ચંદ્રમાં પડેલા તેનાં કાળા ડાઘ પ્રત્યે ધ્યાન આપતા પહેલા અંધકારમાં તેનો મળતો શ્વેત પ્રકાશ પણ મહત્વનો હોય છે.🦚🦚

💺આંતરરાષ્ટ્રીય વિકલાંગ દિવસ 💺

parmarmayur6557

समुद्र का सूर्योदय

रात की लहरें थककर
किनारे पर सोई थीं,
चाँदनी की चादर ओढ़े
धीरे–धीरे डोल रही थीं।

तभी क्षितिज की नीली देहरी पर
एक सुनहरी साँस उभरी,
मानो आसमान ने अचानक
अपने होंठों पर लौ जगी धरी।

पहली किरण के स्पर्श से
पानी में चमक तैरने लगी,
जैसे किसी ने मोती की थाली
भोर के आगे फेर दी।

लहरें गुलाबी रौशनी में
गीतों-सी लहराईं,
और सीपियों के छोटे मुँह
सरगम-सी मुस्काईं।

दूर एक नाव के पालों पर
धूप ने रंग गाढ़े बुने,
जैसे उम्मीद की कोई चिट्ठी
जल-राह में रख दी सुने।

rsinha9090gmailcom

मोहब्बत के साइड इफ़ेक्ट

डॉक्टर ने पूछा, “क्या तकलीफ़ है आपको?”
हम बोले, “इश्क़ हुआ है, बाक़ी सब ठीक है साहब।”

नींद गई, चैन गया, भूख ने भी इस्तीफ़ा दे दिया,
मोबाइल हाथ से चिपका है जैसे फ़ेवीक्विक लगा हो कोई अदृश्य दीदार।

पहले जो फ़िल्में बोरिंग लगती थीं, अब सब रोमांटिक हो गईं,
सब्ज़ी भी मुस्कुराने लगी, दाल में भी शायरी उभर आई है कहीं।

दोस्त कहते हैं, "भाई हमसे भी बात कर लिया कर,"
हम कहते हैं, "नेटवर्क नहीं है,"
असल में नेटवर्क तो दिल में फुल सिग्नल पर है मगर!

पैसे का वजन हल्का हो गया,
जेब डाइट पर चली गई,
चॉकलेट, गिफ्ट और कैंडल में
पूरी तनख़्वाह घुल गई।

गूगल अब डॉक्टर नहीं,
बस उसी की डीपी ढूँढता है,
हम हर पोस्ट में उसी जैसा चेहरा
फ़िल्टर लगाके गढ़ता है।

पहले हम शेर थे, अब टेडी बन गए,
पहले आग थे, अब कैंडल बन गए,
मोहब्बत ने ऐसा मेकओवर किया,
कि हम खुद के ही फ़ैन पेज बन गए।

और जब मोहब्बत ने अचानक मुँह मोड़ लिया,
तो साइड इफ़ेक्ट पूरा कमाल दिखा गया,
जो हँसी मुफ्त में बाँटते थे,
वो "दर्द" पर कविता लिखने लग गए।

अब हर नए इश्क़ से पहले
एक सवाल ज़रूरी हो गया है
“भाई इलाज मिलेगा या
फिर से एडमिशन वहीं होगा?”

आर्यमौलिक

deepakbundela7179

It's rainy all day long. life is so difficult. but meeting friends is always happy moment. Good morning friends. have a great day

kattupayas.101947

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

sonishakya18273gmail.com308865

“કોઈને યાદ કરવું એ દુનિયાની સૌથી સુંદર લાગણી છે…
દિલ અહીં,
અને ધબકાર ત્યાં—જ્યાં તમે…”

truptirami4589

Good morning ☀️

nandiv

हर किसीको कहना या कहकर समझना,
उसे तो अच्छा है की खुद को खामोश करके,
खुदको समझा लेना....
लेकिन कब तक?
एक हद तो हर किसकी होती है,
इम्तिहान आखिर कब तक?
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muskan1810