वैसे तो जिन पात्रों की मैं कथा सुनाने जा रहा हूँ। उनके विषय में बहुत ही कम पुस्तकें पढ़ने को मिलती हैं, जिसके कारण कई इतिहासकार इन्हें लेकर अलग-अलग कथाऐं कहते हैं। एकलिंग महातम्य के साथ-साथ कुमम्भलगढ़, आबू, कीर्ति स्तम्भ और रणकपुर के शिलालेखों में तो बप्पा रावल का उल्लेख मिलता ही है, बाकि इंटरनेट और यू ट्यूब के कई चैनलों पर इन पात्रों की जानकारी भी मिल जायेगी, जहाँ हर कोई अलग-अलग तरीके से बप्पा रावल और उनसे जुड़े पात्रों की कथा सुनाता है। जहाँ तक सिंध के इतिहास की बात है तो उसकी व्याख्या मुख्यतः तेरहवीं सदी में लिखी चचनामा और उन्नीसवीं सदी के अंत में लिखी गयी तारीखे मासूमी जैसी पुस्तकों में मिलेगी जिसमें बहुत से ऐसे तथ्य एक-दूसरे से भिन्न है, किन्तु विश्वसनीय प्रतीत होते हैं।
श्री बप्पा रावल - 1 - तथ्यात्मक विश्लेषण
तथ्यात्मक विश्लेषणवैसे तो जिन पात्रों की मैं कथा सुनाने जा रहा हूँ। उनके विषय में बहुत ही कम पुस्तकें को मिलती हैं, जिसके कारण कई इतिहासकार इन्हें लेकर अलग-अलग कथाऐं कहते हैं। एकलिंग महातम्य के साथ-साथ कुमम्भलगढ़, आबू, कीर्ति स्तम्भ और रणकपुर के शिलालेखों में तो बप्पा रावल का उल्लेख मिलता ही है, बाकि इंटरनेट और यू ट्यूब के कई चैनलों पर इन पात्रों की जानकारी भी मिल जायेगी, जहाँ हर कोई अलग-अलग तरीके से बप्पा रावल और उनसे जुड़े पात्रों की कथा सुनाता है।जहाँ तक सिंध के इतिहास की बात है तो उसकी व्याख्या मुख्यतः तेरहवीं सदी में ...Read More