शैलवंती के तहखाने का रहस्य

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गाढ़ अरण्य की आड़ में एक वृद्ध; खूबसूरत लड़कियाँ जैसे अपने बालों को सँवारती हैं बिलकुल वैसे वह अपने बालों को सँवारते अपनी चाल में तेजी दिखा रहा था। हालाँकि उसके बाल लड़कियों की तरह तो बिलकुल नहीं थे, खिन्न आए ऐसे बालों का गुच्छा बिलकुल वट वृक्ष की शाखाओं की याद दिलाता था। भूरी मिट्टी से नहाया हुआ शरीर हूबहू नागा साधु की तरह दिखता था, हालाँकि उसने अपनी कमर पर अंगोछा लपेटा था और अंगोछा के ऊपर एक बेल दो काले रंग की किसी अजीब प्राणी की खोपड़ी को छेद कर कमर पर कसी थी। मांस भक्षक प्राणी की तरह नुकीले नाखून उम्र के साथ काले पड़ चुके थे। हाथ में पकड़ी सर्प आकर की लकड़ी और उसके शरीर में कुछ ज़्यादा अंतर नहीं था। साबुन जैसे काले रंगीन टुकड़ों की माला गले में झूलती नज़र आ रही थी। रंगीन टुकड़े लकड़ी के होने की संभावना ज़्यादा थी, क्योंकि पत्थर के टुकड़े उसका गला झेल नहीं पाता। मुंगोल के जंगल की अमूल्य वनस्पति को अपने पाँव तले कुचलते जा रहा था।

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शैलवंती के तहखाने का रहस्य - 1

1. मृतकाल गाढ़ अरण्य की आड़ में एक वृद्ध खूबसूरत लड़कियाँ जैसे अपने बालों को सँवारती बिलकुल वैसे वह अपने बालों को सँवारते अपनी चाल में तेजी दिखा रहा था। हालाँकि उसके बाल लड़कियों की तरह तो बिलकुल नहीं थे, खिन्न आए ऐसे बालों का गुच्छा बिलकुल वट वृक्ष की शाखाओं की याद दिलाता था। भूरी मिट्टी से नहाया हुआ शरीर हूबहू नागा साधु की तरह दिखता था, हालाँकि उसने अपनी कमर पर अंगोछा लपेटा था और अंगोछा के ऊपर एक बेल दो काले रंग की किसी अजीब प्राणी की खोपड़ी को छेद कर कमर पर कसी ...Read More

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शैलवंती के तहखाने का रहस्य - 2

२. परग्रही आँखें ग्यारह साल पहले… महान शैलवंती साम्राज्य कई युद्ध का सामना कर चूका था। शैलवंति मुख्य द्वार के आगे की रणभूमि कई खेले जाने वाले युद्ध की गवाही देती थी। रणभूमि के उस पार गाढ़ जंगल हमेशा अटूट निंद्रा में सोया रहता था। असंख्य युद्ध के समय अपनी अटूट निद्रा को तोड़ कर उठ बैठता था। असंख्य हमलों को झेलने के बाद शैलवंती काफ़ी मजबूत हो गया था। उनकी दीवार ऊँची और मजबूत थी, जिसे भेदना दुश्मनों के लिए चींटी के पैर से हाथी को कुचलने जैसी बात थी। तीन हिस्सों में बटी ...Read More