ह कहानी पूरी तरह से कपलनिक (काल्पनिक / fictional) है। इसका कोई भी पात्र, दृश्य या घटना किसी असली व्यक्ति या परिस्थिति से मेल नहीं खाता — यह सिर्फ सामाजिक संदेश देने के लिए एक रचनात्मक कल्पना पर आधारित है। कहानी का नाम: एक गांव की कहानी शुरुआत: "समय के साथ हर चीज़ बदल जाती है, लेकिन कुछ लोगों की सोच नहीं बदलती। यह कहानी उन्हीं पर आधारित है।" "गांव में हर कोई पैसेवाला नहीं होता। अगर कोई अच्छा दिखता है, तो इसका ये मतलब नहीं कि वो अमीर है। लेकिन जब यही बात गांववालों को पता चलती है, तो उनका रवैया कुछ इस प्रकार होता है…"
सच का आईना - 1
यह कहानी पूरी तरह से कपलनिक (काल्पनिक / fictional) है।इसका कोई भी पात्र, दृश्य या घटना किसी असली व्यक्ति परिस्थिति से मेल नहीं खाता —यह सिर्फ सामाजिक संदेश देने के लिए एक रचनात्मक कल्पना पर आधारित है।कहानी का नाम: एक गांव की कहानीशुरुआत:"समय के साथ हर चीज़ बदल जाती है, लेकिन कुछ लोगों की सोच नहीं बदलती। यह कहानी उन्हीं पर आधारित है।""गांव में हर कोई पैसेवाला नहीं होता। अगर कोई अच्छा दिखता है, तो इसका ये मतलब नहीं कि वो अमीर है। लेकिन जब यही बात गांववालों को पता चलती है, तो उनका रवैया कुछ इस प्रकार होता ...Read More
सच का आईना - 2
यह कहानी केवल सामाजिक सच्चाई को दर्शाने के लिए लिखी गई है। इसका मक़सद किसी की भावनाओं को ठेस नहीं है।गाँव की एक यह भी सच्चाई है — अगर किसी को नीचा या ज़लील न किया जाए तो वह कुछ कर ही नहीं पाएगा।गाँव में एक लड़का था, सीधा-सादा, मेहनती, अपनी दुनिया में मग्न। वह हमेशा सबकी मदद करता, सबका सम्मान करता और खुद अपने सपनों को लेकर बहुत गंभीर था। लेकिन गाँव के कुछ लोग हमेशा उसे नीचा दिखाते, उसके कामों का मज़ाक उड़ाते और उसके आत्मसम्मान को चोट पहुँचाते।वो कहावत है न — “जब तक इंसान के ...Read More