भागते हुए सुरेश गांव का सूरज ढल चुका था। सुरेश अपने कदमों की आवाज़ सुनते हुए भाग रहा था। हर मोड़ पर डर और मौत की परछाई—पुलिस उसके पीछे, और गांव वालों का गुस्सा लगातार पीछा कर रहा था। उस दिन क्या हुआ था? लड़की के परिवार का एक सदस्य मारा गया, और लोग तुरंत सुरेश को दोषी मान बैठे। सुरेश जानता था—सच्चाई चाहे जो हो, अब उसे सिर्फ़ अपनी जान बचानी है। > “अगर मैं रुकूँगा… अगर मैं उसी दिन कह दूँ कि मैंने नहीं किया… तो शायद मुझे यह सब सहना पड़ेगा।”
Full Novel
इश्क में तबाही - 1
इश्क़ में तबाहीएपिसोड 1– भागना, जंगल और नई राह--- भागते हुए सुरेशगांव का सूरज ढल चुका था।सुरेश अपने कदमों आवाज़ सुनते हुए भाग रहा था।हर मोड़ पर डर और मौत की परछाई—पुलिस उसके पीछे, और गांव वालों का गुस्सा लगातार पीछा कर रहा था।उस दिन क्या हुआ था?लड़की के परिवार का एक सदस्य मारा गया, और लोग तुरंत सुरेश को दोषी मान बैठे।सुरेश जानता था—सच्चाई चाहे जो हो, अब उसे सिर्फ़ अपनी जान बचानी है।> “अगर मैं रुकूँगा… अगर मैं उसी दिन कह दूँ कि मैंने नहीं किया… तो शायद मुझे यह सब सहना पड़ेगा।”पैर लहूलुहान, सां ...Read More
इश्क में तबाही - 2
(मेरे पिता के जमाने की यादें)एपिसोड 1 : "शुरुआत एक सीधे इंसान से"गांव की कच्ची गलियों में आज भी जब बैठते हैं तो कहानियों की झोली खुल जाती है।मेरे पिताजी अकसर सुनाया करते थे —“बेटा, इंसान को पहचानना आसान नहीं। जो चेहरे से सीधा-सादा लगे, वही कभी वक्त और हालात से इतना बदल जाता है कि पूरा गांव उसका नाम सुनकर कांप उठे।”यही कहानी है रमेश सुरेश की।रमेश हमारे गांव का ही था। एकदम सीधा, मेहनती और गांव की चौपाल में हमेशा हंसी-मज़ाक करता हुआ। उसकी आँखों में सपने थे – छोटा सा खेत, कुछ मवेशी और अपने परिवार ...Read More