सर्दियों की हल्की धूप अहमदाबाद की सड़कों पर अपनी सुनहरी रेखाएँ बिखेर रही थी। अवनी की नजरें खिड़की से बाहर फैलते शहर पर थीं। ट्रेन धीरे-धीरे मणिनगर स्टेशन पर पहुंची, और उसकी आवाज़ में आने-जाने वालों की हल्की हलचल सुनाई दी। स्टेशन की प्लेटफ़ॉर्म पर लोग अपने परिचितों का इंतजार कर रहे थे, कोई चाय की चुस्की ले रहा था, तो कोई अपने बैग्स को संभालते हुए गपशप में मशगूल था। प्लेटफ़ॉर्म के किनारे लगे पुराने और नए बोर्ड्स, रेलवे की आवाज़ और दूर से आती रिक्शा-ऑटो की घंटियों की आवाज़, सभी मिलकर अहमदाबाद की जीवंत और रंगीन दुनिया का अहसास करा रहे थे।
8:30 pm शांति एक्सप्रेस - 1
सर्दियों की हल्की धूप अहमदाबाद की सड़कों पर अपनी सुनहरी रेखाएँ बिखेर रही थी। अवनी की नजरें खिड़की से फैलते शहर पर थीं। ट्रेन धीरे-धीरे मणिनगर स्टेशन पर पहुंची, और उसकी आवाज़ में आने-जाने वालों की हल्की हलचल सुनाई दी। स्टेशन की प्लेटफ़ॉर्म पर लोग अपने परिचितों का इंतजार कर रहे थे, कोई चाय की चुस्की ले रहा था, तो कोई अपने बैग्स को संभालते हुए गपशप में मशगूल था। प्लेटफ़ॉर्म के किनारे लगे पुराने और नए बोर्ड्स, रेलवे की आवाज़ और दूर से आती रिक्शा-ऑटो की घंटियों की आवाज़, सभी मिलकर अहमदाबाद की ...Read More