Prafulla Kumar Tripathi Books | Novel | Stories download free pdf

गोमती तुम बहती रहना - 18

by Prafulla Kumar Tripathi
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चला वाही देस ! कुछ लोगों के परामर्श पर वर्ष 2012 की शुरुआत में मैंने अपनी कुछ जमापूँजी और ...

पर काया की तलाश

by Prafulla Kumar Tripathi
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“कल्पनाओं ने शब्द दिए ,शब्दों ने अक्षर और तब इन अक्षरों से मिलकर तैयार हुआ वाक्य ! किन्तु क्या ...

गोमती तुम बहती रहना - 17

by Prafulla Kumar Tripathi
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नदियों की तरह हम मनुष्यों के जीवन को भी नदी की बहती हुई धाराओं की तरह होना चाहिए | ...

गोमती तुम बहती रहना - 16

by Prafulla Kumar Tripathi
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दगे हुए कारतूसों के बीच जीवन का उत्तरार्ध बीत रहाहै। आप तो जानते ही हैं कि कारतूस दो तरह ...

समीक्षा - जब से आंख खुली है - लीलाधर मंडलोई - जीवंत स्मृतियों का शिलालेख

by Prafulla Kumar Tripathi
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एक कहावत है कि एक असफल लेख़क एक अच्छा समालोचक होता है । मैं भी अपने आप को इसी ...

उपन्यास दूसरी पारी की समीक्षा ।

by Prafulla Kumar Tripathi
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* जीवन की दूसरी पारी खेलते हुए रामेश्वरी नादान के लिखे “दूसरी पारी” उपन्यास को पढ़ना - एक सुखद ...

गोमती तुम बहती रहना - 15

by Prafulla Kumar Tripathi
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चुनौतियां , लुधियाना से दिल्ली तक ! मेरे फ़ेसबुक मित्र ...

गोमती तुम बहती रहना - 14

by Prafulla Kumar Tripathi
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राग सदा ऊपर को उठता ,आँसू नीचे झर जाते हैं ! ...

गोमती तुम बहती रहना - 13

by Prafulla Kumar Tripathi
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किसी ने क्या खूब कहा है कि जो आनंद अपनी छोटी पहचान बनाने में है वो किसी बड़े की ...

गोमती तुम बहती रहना - 12

by Prafulla Kumar Tripathi
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सुख के दरवाजे से दुख का प्रवेश ! वर्ष 2005 और ...