प्रेमाचे हे बंध अनोखे...? by siddhi in Marathi Novels
मेंआरती तेरी गाऊं ओ केशव कुंज बिहारीमें नित नित शीश नवाऊ ओ मोहन कृष्ण मुरारीहै तेरी छवि अनोखी, ऐसी ना दूजी देखीतुझसा ना...