Shabdo ka Boj by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR

शब्दों का बोझ by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR in Hindi Novels
जब कोई चीज़ को बार-बार बोलना पड़े, फिर इन सब का मतलब शून्य हो जाता है।कई बार लगता है कि मैं शब्दों का गुलाम हूँ। हर भावन...
शब्दों का बोझ by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR in Hindi Novels
चुप्पी की भाषा”June 28, 2025“जब शब्द बेमानी हो जाएँ, तो चुप्पी बोल उठती है।”1. चुप्पी का इन्कारराघव को अब किसी की आवाज़...