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पुस्तकें By Pranava Bharti

ज़िंदगी की उलझनों के दिन-रात, शामें बँट जाती हैं शब्दों में, चुप्पी साधी नहीं जा सकती यदि कोई संवेदनशील हो --कसमसाते हुए दिनों की आहट उसे परेशान करती ही तो रहती है जब तक भावों का पु...

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सच सामने आना अभी बाकी है By Kishanlal Sharma

ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना 31 दिसम्बर 1600 में इंग्लैंड में हुई थी।यह कम्पनी भारत मे व्यापार करना चाहती थी।इस कम्पनी को भारत के साथ व्यापार करने की 21 वर्ष के लिए छूट महारानी ने...

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मैं कौन हूँ ? By Disha Jain

केवल जीवन जी लेना ही जीवन नहीं है। जीवन जीने का कोई ध्येय, कोई लक्ष्य भी तो होगा। जीवन में कोई ऊँचा लक्ष्य प्राप्त करने का ध्येय होना चाहिए। जीवन का असली लक्ष्य ‘मैं कौन हूँ’, इस स...

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पाप-पुण्य By Disha Jain

पाप या पुण्य, जीवन में किये गए किसी भी कार्य का फल माना जाता है।

इस पुस्तक में दादाश्री हमें बहुत ही गहराई से इन दोनों का मतलब समझाते हुए यह बताते है कि, कोई भी काम जिससे दूसरों...

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मेरे अजनबी हमसफ़र By DINESH KUMAR KEER

पूरा पढ़ना न भूलें :- यह एक काल्पनिक कहानी है इसका वास्तविक जीवन से कोई वास्ता नहीं।

वह ट्रेन के आरक्षण की बोगी में बाथरूम के तरफ वाली सीट पर बैठी थी...
उसके चेहरे के भाव से पता...

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सर्व दुखों से मुक्ति By Disha Jain

सांसारिक दु:ख किसे नहीं है? हर कोई उससे छूटना चाहता है। लेकिन वह छूट नहीं पाता। उससे छूटने का मार्ग क्या है? ज्ञानी पुरूष के मिलते ही सर्व दु:खों से मुक्तिमिलती है। औरों को जो दु:ख...

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मानव धर्म By Disha Jain

जून 1958 की एक संध्या का करीब छः बजे का समय, भीड़ से भरा सूरत शहर का रेल्वे स्टेशन, प्लेटफार्म नं. 3 की बेंच पर बैठे श्री अंबालाल मूलजीभाई पटेल रूपी देहमंदिर में कुदरती रूप से, अक्र...

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युद्ध कला (The Art of War) By Praveen Kumrawat

“आर्ट ऑफ वार” सुन त्ज़ू द्वारा 500-550 ईसा पूर्व लिखी गई एक प्रभावशाली पुस्तक है। जिसे उस समय के हालात में सिर्फ और सिर्फ युद्ध को मद्देनज़र रखते हुए लिखा गया था। इसमें कोई दोमत नह...

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बालम हो परदेश में तो By Kishanlal Sharma

रमेश का तबादला पुणे से मुम्बई हो गया। कुछ कारणों से वह पत्नी और बच्चों को अपने साथ नही ले जा सका।और उसे अकेले ही अपनी नई पोस्टिंग पर जाना पड़ा।
रमेश मुम्बई में पेइंग गेस्ट के रूप म...

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सीरियल क्या संस्कार दे रहे हैं By Kishanlal Sharma

सावित्री,सीता,गांधारी न जाने कितनी स्त्रियी के पतिव्रता धर्म,प्रेम,त्याग और बलिदान से हमारे पौराणिक ग्रन्थ भरे पड़े है।
हमारे देश मे मान्यता है कि मर्द औरत का रिश्ता जन्म से पहले ह...

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पुस्तकें By Pranava Bharti

ज़िंदगी की उलझनों के दिन-रात, शामें बँट जाती हैं शब्दों में, चुप्पी साधी नहीं जा सकती यदि कोई संवेदनशील हो --कसमसाते हुए दिनों की आहट उसे परेशान करती ही तो रहती है जब तक भावों का पु...

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ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना 31 दिसम्बर 1600 में इंग्लैंड में हुई थी।यह कम्पनी भारत मे व्यापार करना चाहती थी।इस कम्पनी को भारत के साथ व्यापार करने की 21 वर्ष के लिए छूट महारानी ने...

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केवल जीवन जी लेना ही जीवन नहीं है। जीवन जीने का कोई ध्येय, कोई लक्ष्य भी तो होगा। जीवन में कोई ऊँचा लक्ष्य प्राप्त करने का ध्येय होना चाहिए। जीवन का असली लक्ष्य ‘मैं कौन हूँ’, इस स...

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पाप-पुण्य By Disha Jain

पाप या पुण्य, जीवन में किये गए किसी भी कार्य का फल माना जाता है।

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सर्व दुखों से मुक्ति By Disha Jain

सांसारिक दु:ख किसे नहीं है? हर कोई उससे छूटना चाहता है। लेकिन वह छूट नहीं पाता। उससे छूटने का मार्ग क्या है? ज्ञानी पुरूष के मिलते ही सर्व दु:खों से मुक्तिमिलती है। औरों को जो दु:ख...

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जून 1958 की एक संध्या का करीब छः बजे का समय, भीड़ से भरा सूरत शहर का रेल्वे स्टेशन, प्लेटफार्म नं. 3 की बेंच पर बैठे श्री अंबालाल मूलजीभाई पटेल रूपी देहमंदिर में कुदरती रूप से, अक्र...

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