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कभी-कभी कोई अजनबी, जिंदगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा बन जाता है...और फिर, सबसे दर्दन...
इंतजार तो लाली कर रही थी पर राधा उससे भी ज्यादा बैचैन लग थी।कमरे में आते ही बोली...
रीमा 15 दिन नैना के पास माँ के घर पर रही थी।वो दोनों बहनें एक-दूसरे के और भी करी...
जल्दी मरने के लिए क्या करें ? ChatGPT के साथ एक अनोखी बातचीत! *प्रथम प्रश्न* म...
बाज़ार!!! 8 वा धारावाहिक असत्य मत बोलो, जो भी बोलो, मुँह पर कह दो। मत सोचो, जिंदग...
Adhura milan.....अधिराज इतना सोचते हुए वापस अपने ख्यालों से बाहर आता हुआ बैचेनी...
1-हिंदी कविताओं में राष्ट्रीय भक्ति भवना--राष्ट्रीय चेतना प्रेम एव राष्ट्रिय भाव...
Chapter 1: Ek Raat Jo Badal Gayiरात का अंधेरा चारों ओर फैल चुका था। माया अपने छो...
हनुमत हांक - समीक्षा व परिचय 2 ‘हनुमत हांक’ बलदेव दास जी द्वारा लिखी गई बड़ी महत...
लघु कहानीखुशियों के पँख *********** कालबेल की आवाज सुनकर रिचा ने दरवाजा ख...
ऊना को चार्ली चैप्लिन होने का मतलब फ्रैंक हैरीज़, चार्ली चैप्लिन के समकालीन लेखक और पत्रकार ने अपनी किताब चार्ली चैप्लिन को भेजते उस पर निम्नलिखित पंक्तियां लिखी थीं: चार्ली...
यादों के झरोखे से ====== मेरे जीवनसाथी की डायरी के कुछ पन्ने - मैट्रिक , प्री यूनिवर्सिटी और इंजीनियरिंग में एडमिशन और चीनी आक्रमण ====...
महान प्रकृतिविज्ञानी चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन (12 फरवरी 1809- 19 अप्रैल 1882) को प्रजातियों के विकास की नयी अवधारणाओं के जनक के रूप में जाना जाता है। वे आधुनिक विज्ञान के भी जनक हैं।...
बाग़ के फल अब पकने लगे थे। लेकिन माली भी बूढ़ा होने लगा। माली तो अब भी मज़े में था, क्योंकि बूढ़ा होने की घटना कोई एक अकेले उसी के साथ नहीं घटी थी। जो उसके सामने पैदा हुए वो भी बूढ...
मेरे घर आना ज़िंदगी आत्मकथा संतोष श्रीवास्तव (1) ज़िंदगी यूँ हुई बसर तनहा काफिला साथ और सफर तनहा जो घर फूँके आपनो कबीर मेरे जीवन में रचे बसे थे। खाली वक्त कभी रहा नहीं। रहा भी तो कबी...
( एक )जबलपुर आते समय मन में ठंडक और बेचैनियों का एक मिला- जुला झुरमुट सा उमड़ रहा था जो मुंबई से ट्रेन में बैठते ही मंद- मंद हवा के झौंकों की तरह सहला भी रहा था और कसक भी रहा था।ईम...
13 जनवरी रुद्रपुर के एक हॉस्पिटल में मेने इस दुनिया को पहली बार देखा।बहुत यादगार था वो पल लेकिन बहुत दुखदायी भी।मेरी हालत बहुत दयनीय थी।डाक्टर्स ने मुझे एमरजेंसी वार्ड में सिफत किय...
एक ही व्यक्ति के दो किरदारों को मानना मेरे लिए बड़ा मुश्किल है, यूं कहूँ तो उसके दो किरदार मै मानता ही नही । पहले किरदार मे वह लोगों मे फुट डालने की बात करता है, लोगों मे नफरत फैला...
पहला कदम बचपन की पहली याद के बारे में सोचती हूँ तो मुँह पर ठांय-से पड़े एक ज़ोरदार थप्पड़ की याद आ जाती है। इस थप्पड़ से पहले की कुछ यादें अवश्य हैं, पर वे सभी यादें धुँधली-सी हैं।...
बॉलीवुड लीजेंडस Part 1 . दादा साहब फाल्के जन्म 30 अप्रैल - 1870 , त्रयम्केश्वर ( नासिक ) , बॉम्बे ब्रिटिश इंडिया मृत्यु -16 फ़रवरी 1944 , नासिक जन्म का...
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