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Featured Books
  • नज़र से दिल तक - 15

    सुबह से ही आसमान में बादल घिरे हुए थे। अस्पताल के बाहर हल्की-हल्की फुहारें पड़ र...

  • Secrets of The Night - 3

     Secrets of the Night – झील के भीतरझील की सतह पर उभरा वह चमकदार दरवाजा मानो किसी...

  • परछाईयों का शहर

    । यहाँ प्रस्तुत है 1500 शब्दों की रहस्यमयी और रोमांचक हिंदी कहानी —शीर्षक: परछा...

  • दीवारें तोड़ती मोहब्बत - 1

    भाग 1: एक ज़िद, एक घमंडसर्द हवा का एक झोंका खिड़की के खुले हिस्से से घुसा और अना...

  • अधुरी खिताब - 22

    1. नीली राख की राहदरभंगा से निकलती ट्रेन की खिड़की पर नीली धूल चिपकी थी।रेल की आ...

  • धुन इश्क़ की... पर दर्द भरी - 33

    ईशान जैसे ही बुटीक के अंदर जाता है तो देखता है कि तानिया किसी क्लाइंट के साथ थी...

  • तेरा लाल इश्क - 17

    शाम हो चुकी थी सूरज ढल चुका था अंधेरा धीरे धीरे अपनी अंधकार बिखेर रहा था वही काल...

  • जीवन का विज्ञान - 2

    आत्मा, मन और पंचतत्व — एक ही लय की तीन अवस्थाएँ शरीर पंचतत्वों का खेल है — पृथ्व...

  • बहारें फिर भी आती हैं

    बहारें फिर भी आती हैं आज सुबह थोड़ी देर से नींद खुली थी | आनंद तो अभी भी गहरी नीं...

  • नेहरू फाइल्स - भूल-50

    भूल-50 सिंधु जल संधि : हिमालयी भूल नेहरू की हिमालयी गलतियाँ एक देश के रूप में ति...

कॉर्पोरेट जीवन: संघर्ष और समाधान By ANOKHI JHA

सुबह का समय था, और एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी की कार्यलय की हलचल धीरे-धीरे शुरू हो चुकी थी। ऑफिस की इमारत चमचमाती थी, लेकिन उसके अंदर कर्मचारियों की ज़िंदगी उतनी ही जटिल और संघर्षप...

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