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सत्य सनातन मेरी जान है साहब।भारतीय तिरंगा मेरी शान है साहब।।मैं बिजनौर के किरतपु...
भाग 5: गोपनीय मीटिंग और एक रहस्यअगले दो घंटे तक अनायरा चुपचाप बैठी रही, जबकि वीर...
एपिसोड 26 : “स्याही का श्राप”1. वापसी की फुसफुसाहटअदिति राठौर के गायब होने के ती...
प्रणाली (संदेह से बाबा को देखते हुए): आप... आप कुछ जानते हैं?(बाबा ने तुरंत नज़र...
भूल-56 भारत बनाम अमेरिका और पश्चिम भारत बहुत कुछ हासिल कर सकता था, अगर उसने पश्च...
फिर से रिस्टार्ट (भाग 1: टूटा हुआ घर)रात का सन्नाटा था।आसमान में बादल गरज रहे थे...
चमकदार रोशनी से भरा राजमहल बेहद शानदार और प्रभावशाली दिख रहा था। महल के हर कोने...
1- ££ काश काश मैं तेरे शहर का होता, इक चाय के सहारे ही सही पर मुलाकात की गुंजाइश...
कभी-कभी एक नजारा बीती हुई जिंदगी को ऐसे सामने लाकर खड़ा कर देता है, जैसे सब कल क...
कॉलेज के एक कोने में एक लड़का खड़ा था…हुडी पहने, लंबाई 6’2”, गेहुँआ रंग, चेहरे प...
सर्द हवा का एक झोंका खिड़की के खुले हिस्से से घुसा और अनायरा के करीने से सजे ऑफिस में हल्की-सी हलचल मचा गया। उसने अपने बाल एक कान के पीछे झटकते हुए सामने रखे डिज़ाइन पोर्टफोलियो पर...
"नहीं! ऐसा मत करो, छोड़ दो please..... जाने दो! नहीं! नहीं!" "रात्रि उठ! ऐसा कहकर मेघा (रात्रि की मां) ने रात्रि को झकझोर दिया। कितनी बार कहा है इस लड़की को की छोड़...
मुंबई, वर्ष 2025। शहर की रातें कभी सोती नहीं, लेकिन आर्यन के लिए यह रात ख़ास थी। रात के 2:30 बजे थे। मुंबई की गगनचुंबी इमारतों के बीच, आर्यन (28 वर्ष) एक अंधेरे, धूल भरे गोदाम म...
कभी-कभी ज़िंदगी वो सवाल पूछ लेती है... जिनका जवाब सिर्फ ख़ामोशी के पास होता है। और मोहब्बत... वो अक्सर वहीं से शुरू होती है, जहाँ लोग टूट कर बिखर जाते हैं। सहर की हल्की सी रौ...
सुबह के पाँच बजे। आरती आँगन में झाड़ू लगा रही थी। ठंडी हवा के साथ उसकी साँसों में थकान भी मिल गई थी। माँ खाँस रही थीं और छोटा भाई अमित अभी तक बिस्तर में गोल होकर पड़ा था। आरती (...
शाम का समय था । जानवी अपने पापा अशोक मुखर्जी से अपने पसंद के लड़के से शादी करने की जिद कर रही थी । जिस कारण से अशोक अपनी एकलौती बेटी जानवी को डांटता है । अशोक धनबाद शहर का एक जाना...
दो दुनियाओं का पहला टकराव मुंबई… यह शहर कभी नहीं सोता। अनगिनत सपनों को अपनी पनाह में लिए, और लाखों जिंदगियों की भाग-दौड़ का गवाह। इसी शहर की हलचल से दूर, एक शांत और पुरानी गली में...
यह मेरी नई कहानी है प्लीज इसे जरुर पड़ी है और कमेंट दीजिए आपको कहानी कैसी लगी है। डिस्क्रिमिनेशन यह कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए लिखा गया है इसका वास्तविकता से कोई भी संबंध नहीं ह...
सड़कों पर रोज़ की तरह भीड़ दौड़ रही थी। हर कोई कहीं पहुंचने की जल्दी में था। लेकिन उन्हीं चेहरों के बीच एक चेहरा ऐसा भी था, जो न दौड़ रहा था, न रुक रहा था — बस चल रहा था... अ...
वो एक पुरानी, तीन मंज़िला इमारत थी — शहर के शोर से कुछ दूर, जहाँ दीवारों पर समय के निशान उभर आए थे। इमारत की दरारों में पुराने नोट्स की स्याही अब भी महकती थी, जैसे हर दीवार किसी अ...
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