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बाबा By Junaid Chaudhary

दिन जुमेरात शहादत का महीना मोहर्रम से दो दिन पहले मेरी ज़िंदगी का सबसे अहम हिस्साजिस से शुरू हुआ मेरी ज़िंदगी का किस्सा मेरे बाबामुझे वो दिन कभी याद करने की ज़रूरत नही।क्योंकि जिस...

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मैनेजर साहब By The Real Ghost

रीना पिछली रात काफी देर तक बिजी रही इसीलिए सुबह उठने में थोड़ी देर हो गयी जिसके कारण आफिस के लिए तयार होने में भी कुछ देरी हो गयीहालांकि रीना की मम्मी ने नाश्ता टाइम पर बना दिया था...

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देस बिराना By Suraj Prakash

24 सितम्बर, 1992। कैलेंडर एक बार फिर वही महीना और वही तारीख दर्शा रहा है। सितम्बर और 24 तारीख। हर साल यही होता है। यह तारीख मुझे चिढ़ाने, परेशान करने और वो सब याद दिलाने के लिए मेर...

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एक जिंदगी - दो चाहतें By Dr Vinita Rahurikar

बचपन से ही भारतीय सेना के जवानों के लिए मेरे मन में बहुत आदर था। मेरे परिवार में कोई भी सेना में नहीं है। मैंने सिर्फ सिनेमा में सैनिकों के बहादुरी भरे कामों को देखा और हमेशा ही उन...

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रहस्य By अमिता वात्य

छोटी थी तब मां मुझे खिलौने देकर बैठा दिया करती थी और खुद को दूसरे कमरे मे बंद करके जाने क्या बजाती थी , पर वो जो भी था मेरे जैसी नटखट और शैतान बच्ची को शांत कर देती थी , पर उसकी धु...

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आकर्षण का सिद्धांत By Patel Mansi Vipulbhai

प्रस्तावना:- अपने पास एक ऐसा रहस्य है, जिससे हम अपनी हर इच्छा पूरी कर सकते है। हमारे पास ऐसी सकती है जिससे हम अपनी सारी इच्छाओं को हकीकत में बदल सकते है, जीवन में सब कुछ पा सकते...

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खुदा की खोज By Parmar Geeta

एक लड़का था। उसका नाम दाऊद था। वो बहुत ही भोला था। उसकी बुढी माँ मरियम उसको बहुत ही प्यार करतीं थीं। और उसका ध्यान रखती थी। वो लोग बहुत ही गरीब थे। दाऊद अक्सर अपनी मां से पैसे मांग...

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मम्मी पढ़ रही हैं By Pradeep Shrivastava

कैसी हो हिमानी, क्या कर रही हो?
- ठीक हूं शिवा, दिव्यांश का होमवर्क पूरा करा रही हूं, तुम बताओ तुम क्या कर रही हो?
- मैं बहुत टेंशन में हूं यार। आज सुबह ही तुम्हें फ़ोन करने वाली...

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इंद्रधनुष सतरंगा By Mohd Arshad Khan

हिलमिल मुहल्ले को लोग अजायब घर कहते हैं। इसलिए कि यहाँ जितने घर हैं, उतनी तरह के लोग हैं। अलग पहनावे, अलग खान-पान, अलग संस्कार, अलग बोली-बानी और अलग धर्म-वर्ण के। सचमुच, यह मुहल्ला...

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अंशकथा By कवि अंकित द्विवेदी

कथा 01- मिथ्या की सच्चाई आज कल के परिवेश में ये शब्द ही मिथ्या स्वरुप लगता है। सच्चाई नामक शब्द उसी प्रकार विलुप्त हो रहा है जैसे कि डायनासोर । हाँ और ये तो वैज्ञानिक रुप से प्रमाण...

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दिन जुमेरात शहादत का महीना मोहर्रम से दो दिन पहले मेरी ज़िंदगी का सबसे अहम हिस्साजिस से शुरू हुआ मेरी ज़िंदगी का किस्सा मेरे बाबामुझे वो दिन कभी याद करने की ज़रूरत नही।क्योंकि जिस...

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रीना पिछली रात काफी देर तक बिजी रही इसीलिए सुबह उठने में थोड़ी देर हो गयी जिसके कारण आफिस के लिए तयार होने में भी कुछ देरी हो गयीहालांकि रीना की मम्मी ने नाश्ता टाइम पर बना दिया था...

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बचपन से ही भारतीय सेना के जवानों के लिए मेरे मन में बहुत आदर था। मेरे परिवार में कोई भी सेना में नहीं है। मैंने सिर्फ सिनेमा में सैनिकों के बहादुरी भरे कामों को देखा और हमेशा ही उन...

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हिलमिल मुहल्ले को लोग अजायब घर कहते हैं। इसलिए कि यहाँ जितने घर हैं, उतनी तरह के लोग हैं। अलग पहनावे, अलग खान-पान, अलग संस्कार, अलग बोली-बानी और अलग धर्म-वर्ण के। सचमुच, यह मुहल्ला...

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